अरुण कुमार हरदेनिया
सतना जिले के थाना बदेरा की सीमा पर बसे भगनपुर गांव में काफी शोरगुल से भरी सुबह थी. दरअसल, उस रात गांव में एक साथ 3 घरों के ताले तोड़ कर चोर लाखों का माल समेट कर ले गए थे.
शोर इन चोरियों का तो था ही, लेकिन उसी रात घटी एक दूसरी घटना के शोर की आवाज प्रदेश के पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गई. वह घटना थी चौथे घर से एक किशोरी के गायब होने की.
वास्तव में सुबह 3 घरों में चोरी का हल्ला होने के बाद यह बात सामने आई कि किसी ने उस रात एक और घर में धावा बोला था लेकिन वहां से चोरों ने रुपयापैसा तो नहीं, जयकुमार की 13 वर्षीय बेटी श्यामली का ही अपहरण कर लिया था.
इसलिए घटना पर आश्चर्य के साथ गांव की मासूम बेटी के अपहरण हो जाने से लोगों में गुस्सा भी कम नहीं था. यह बात 12 जुलाई, 2022 की है.
घटना की खबर पा कर बदेरा थाने की एसएचओ राजश्री रोहित दलबल के साथ मौके पर पहुंच चुकी थीं. उन्होंने किशोरी के अपहरण होने की जानकारी एसपी (सतना) आशुतोष गुप्ता और एसडीपीओ लोकेश डाबर को दे दी.
चुनावी व्यस्तता के बीच एसपी और एसडीपीओ भी भगनपुर पहुंच गए और पीडि़त परिवार से मिल कर उन्होंने घटना की पूरी जानकारी ली.
एसपी आशुतोष गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएचओ को जल्द ही काररवाई करते हुए बालिका को तलाश करने के निर्देश दिए. उन्होंने साइबर सेल के प्रभारी अजित सिंह सेंगर को भी इस केस की जांच में लगा दिया.
इस के अलावा एसपी आशुतोष गुप्ता ने मैहर से भी अतिरिक्त रिजर्व पुलिस फोर्स बुला ली. फिर पुलिस टीमें चोरी गई किशोरी की तलाश भदनपुर पहाड़, भदनपुर माइंस और गांव से लगे जंगल में करने लगीं. लेकिन श्यामली का पता नहीं चला.
पुलिस को जांच में पता चला कि जयकुमार की गांव के कुछ लोगों से कहासुनी हो गई थी. पुलिस ने इस ऐंगल पर भी जांच की.
गांव के 100 से ज्यादा लोगों से गहन पूछताछ की गई. लेकिन इस कवायद में किशोरी का कोई सुराग न मिलने पर गांव वालों का भी पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ने लगा. तब आसपास के जिलों की पुलिस भी किशोरी की तलाश में जुट गई.
दरअसल, एसपी आशुतोष गुप्ता जानते थे कि चोरों ने किशोरी को किसी गोपनीय जगह पर छिपा कर रखा होगा. किसी और सामान की चोरी होती तो पुलिस इंतजार भी कर सकती थी, लेकिन यह तो एक किशोरी की जान बचाने की बात थी.
यह फिरौती का मामला तो नहीं लग रहा था, क्योंकि जयकुमार के पास फिरौती का कोई फोन भी नहीं आया था. एसपी खुद पुलिस टीमों से संपर्क कर पलपल की खबर ले रहे थे. अलगअलग इलाकों में जा कर पुलिस टीमें अपहर्त्ताओं और किशोरी की तलाश में जुटी हुई थीं.
पुलिस बदमाशों पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही थी, जो 2 दिन बाद 14 जुलाई की सुबह उस वक्त सफल हो गई, जब अपहृत किशोरी श्यामली अचानक ही एक आटोरिक्शा में सवार हो कर भगनपुर बसस्टैंड पहुंच गई.
श्यामली के खुद वापस आने की खबर सुन कर सीएसपी श्री चौहान ने राहत की सांस ली. उन्होंने इस की सूचना एसपी आशुतोष गुप्ता को दे दी. उन के निर्देशानुसार उन्होंने पूरी ऐहतियात बरतते हुए पहले श्यामली की काउंसलिंग कराई. वह बहुत डरी और सहमी हुई थी.
श्यामली के सामान्य होने पर पुलिस ने पहले तो उस का भरोसा जीता फिर दोस्ताना माहौल में उस से पूछताछ की. इस में वह ज्यादा कुछ नहीं बता सकी, सिवाय इस के कि उसे जो आदमी उठा कर ले गया था, उस का नाम संतोष था. यह नाम उस ने तब सुना था, जब उस का एक दोस्त उसे इस नाम से पुकार रहा था.
केवल नाम से आरोपी तक पहुंचना आसान नहीं था, क्योंकि जिले भर में इस नाम के सैकड़ों लोग हो सकते थे.
आरोपी की तलाश को मुश्किल देख कर एसपी ने टीम को बैकट्रेस तकनीक पर काम करने के निर्देश दिए. बैकट्रेस तकनीक वह होती है, जिस में पुलिस घटना के अंतिम बिंदु से पीछे की तरफ बढ़ कर आरोपियों तक पहुंचने का रास्ता बनाती है.
इस मामले में अंतिम बिंदु वह था, जब आटो वाले ने श्यामली को भगनपुर बस स्टैंड पर उतारा था. इसलिए पीछे की तरफ चल कर आगे बढ़ने के लिए पुलिस ने पहले उस आटो वाले की तलाश की, जिस से श्यामली बस स्टैंड तक आई थी.
काफी प्रयास के बाद पुलिस ने उस आटो वाले को खोज कर जब उस से इस लड़की के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह इस किशोरी को मैहर से ले कर आया था, जहां यह किसी बस से उतरी थी.
यह जानकारी मिलने पर पुलिस ने आटो के बाद उस बस की तलाश शुरू की, जिस में बैठ कर किशोरी मैहर तक आई थी.
मां शारदा के इकलौते मंदिर के लिए पूरे देश में विख्यात मैहर के लिए सैकड़ों बसें रोज सवारी ले कर आती हैं. लेकिन पुलिस कमर कस कर काम कर रही थी, इसलिए एकएक बस ड्राइवर और कंडक्टर से पूछताछ की गई.
पुलिस की मेहनत रंग लाई और उसे वह बस भी मिल ही गई, जिस से किशोरी मैहर पहुंची थी. उस बस के कंडक्टर ने बताया कि मैहर से पहले झुकेही के पास एक लाल मोटरसाइकल पर सवार 2 युवकों ने इस बालिका को बस में मैहर के लिए बैठाया था.
इतना पता चलने पर पुलिस ने वापस किशोरी से पूछताछ कर यह जानकारी जुटाई कि दोनों युवक उसे मोटरसाइकल पर बैठा कर कितनी देर में उस सड़क तक ले कर आए थे, जहां से उसे बस में बैठाया गया. इस पर श्यामली ने कहा कि लगभग 10-15 मिनट का समय लगा था.
एसपी आशुतोष ने अनुमान लगाया कि किशोरी को झुकेही के आसपास 10-12 किलोमीटर के इलाके के किसी घर में रखा गया होगा. इसलिए पुलिस टीम किशोरी को ले कर झुकेही के आसपास के इलाकों की बस्ती में घूमने लगी. जहां एक जगह श्यामली ने उस घर की पहचान कर ली, जहां उसे एक रात रखा गया था.
पुलिस ने इस घर में रहने वालों की जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह घर राकेश का है.
पुलिस ने राकेश वर्मन और उस की पत्नी अनीता वर्मन से पूछताछ की तो उन दोनों ने बताया कि वह श्यामली को जानते तक नहीं हैं. वह उन के यहां इस से पहले कभी नहीं आई और न ही उसे कभी देखा.
उन दोनों की बातों से पुलिस को लग रहा था कि वे झूठ बोल रहे हैं, इसलिए दोनों को थाने ले आई. इसी बीच पुलिस को मुखबिरों से पता चला कि 2 दिन पहले राकेश का साला संतोष वर्मन राकेश के घर आया था. इस से पुलिस समझ गई कि पीछे चल कर आगे बढ़ने की उन की योजना कामयाब हो चुकी है.
राकेश और अनीता से पूछताछ के बाद पुलिस ने संतोष को कटनी जिले के खम्हरिया गांव में स्थित उस की ससुराल से हिरासत में ले लिया.
संतोष वर्मन ने अपना अपराध न सिर्फ स्वीकार कर लिया, बल्कि इस अपराध में शामिल 5 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया. जिस के बाद श्यामली के अपहरण पूरी कहानी इस तरह से सामने आई—
संतोष वर्मन ने पुलिस को बताया कि श्यामली के अपहरण की उसकी कोई पूर्व योजना नहीं थी. वह श्यामली के घर में भी रुपयापैसा चुराने की नीयत से दाखिल हुआ था.
लेकिन घर में माल न मिलने पर खाली हाथ लौटते समय उस की नजर अचानक ही अपनी बहन के साथ गहरी नींद सो रही श्यामली पर पड़ी तो वह उस के भोले सौंदर्य पर मोहित हो गया. जिस से वह गहरी नींद में सो रही श्यामली को गलत मंशा से कंधे पर उठा लाया.
उस की योजना श्यामली के संग एक बार सैक्स संबंध बना कर उसे जंगल में छोड़ कर आगे निकल जाने की थी, इसलिए उस ने कुछ दूर जंगल में ले जा कर उस के संग बलात्कार किया.
मगर एक बार में उस का मन नहीं भरने पर वह श्यामली को बाइक पर बैठा कर कटनी में रहने वाले अपने दोस्त अजय निषाद के घर ले गया. यहां दिन के उजाले में संतोष ने श्यामली को देखा तो उसे हमेशा अपने साथ रखने का मन बना लिया.
इसलिए वह श्यामली को खुश कर उस का दिल जीतना चाहता था. इस के लिए संतोष श्यामली को बाजार ले गया, जहां उस के लिए कुछ कपड़े और चप्पल खरीद कर दिए. खरीदारी कराने के बाद उस ने धमकाने के अंदाज में श्यामली को समझाया कि वह अपने साथ घटी इस घटना के बारे में किसी से न बताए.
मासूम श्यामली तो वैसे ही डरी हुई थी, इसलिए संतोष की बात पर वह चुपचाप सिर हिलाती रही.
अगले दिन संतोष उसे बाइक पर बैठा कर कटनी जिले के कठिला में रहने वाली अपने बहन अनीता के घर ले गया. इस दौरान बीच में पड़ने वाले जंगल में संतोष ने एक बार फिर श्यामली को डराधमका कर उस के साथ अपनी हवस बुझाई.
बहन के घर आ कर संतोष एक रात रुका. इसी बीच उसे पता चला कि अकेले सतना की ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों की पुलिस श्यामली की जोरशोर से तलाश कर रही है तो वह समझ गया कि उस का बचना अब मुश्किल है.
लेकिन फिर उसे लगा कि अगर किसी तरह से श्यामली वापस घर पहुंच जाए तो पुलिस इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल देगी.
इसलिए दूसरे दिन सुबह होते ही वह अपने भांजे रंजीत के साथ बाइक पर श्यामली को ले कर झुकेही आया और उसे भगनपुर जाने की पूरी बात समझा कर पैसा दे कर बस में बैठा दिया.
श्यामली संतोष के बताए अनुसार बस से मैहर उतरी और वहां से आटोरिक्शा में बैठ कर भगनपुर पहुंच गई. जिस के बाद पुलिस ने बैकट्रेस तकनीक पर काम करते हुए केवल नाम के सहारे आरोपी को खोज कर मुख्य आरोपी संतोष से जुड़े लोगों को पकड़ना शुरू कर दिया.
इस की भनक लगने पर पुलिस से बचने के लिए संतोष वर्मन भूमिगत हो गया, मगर पुलिस ने उसे उस की ससुराल में दबिश दे कर गिरफ्तार कर लिया.
इस के बाद संतोष के कटनी निवासी दोस्त अजय निषाद को भी गिरफ्तार कर लिया. जबकि संतोष के बहनोई राकेश वर्मन, बहन अनीता वर्मन और भांजे रंजीत वर्मन को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी.
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बदेरा थाने में आईपीसी की धारा 363, 365, 368, 457, 380, 376 (2) (एन), 376 (ए) (ब), 506 एवं पोक्सो एक्ट की धारा 5/6 एवं एससी/एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर न्यायालय में पेश किया, जहां से सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया. द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में जयकुमार और श्यामली परिवर्तित नाम हैं