25 मई, 2022 की रात करीब 3-साढ़े 3 बजे प्रयागराज में यमुनापार इलाके के चकहीरानंद मोहल्ले में पुलिस की कई गाडि़यां हूटर बजाते हुए एक के बाद एक देखते ही देखते प्रवेश करती गईं. गरमी की उमस से बेहाल मोहल्ले वालों को सुबह में गरमी से थोड़ी राहत मिली थी. सभी सोने का प्रयास कर रहे थे कि हूटर बजाती गाडि़यों से लोगों की नींद टूट गई. सभी गाडि़यां सुनील मिश्रा के घर के पास आ कर रुक गईं.
लोगों की नींद में खलल पड़ चुकी थी. सभी आश्चर्यचकित थे. अचरज से अपनेअपने मकानों की छतों पर खड़े हो कर एकदूसरे से आंखों ही आंखों में इशारे से मानो पूछ रहे हों, ‘‘आखिर इतनी सुबह भारी पुलिस फोर्स हमारे मोहल्ले में क्यों आई है? क्या कोई आतंकी सुनील मिश्रा के मकान में घुसा है? आखिर माजरा क्या है? अभी तो रात के 3-साढ़े 3 बजे हैं. लेकिन इतनी रात पुलिस की दस्तक क्यों?’’
इस तरह के तमाम विचार चकहीरानंद मोहल्ले में रहने वालों के मन में उमड़घुमड़ रहे थे. चूंकि इस समय गंगापार के हालात सही नहीं चल रहे थे. सामूहिक हत्याओं, नरसंहार से पूरा प्रयागराज जिला थर्रा उठा था, सो मोहल्ले वालों का यह सोचना लाजिमी था.
बहरहाल, कुछ देर में ही इस सवाल का जवाब भी मिल गया. खुद सुनील मिश्रा ने पहले पुलिस की हेल्पलाइन नंबर 112 पर डायल कर के सूचना दी थी कि उस के घर में चोर घुस आया है, जिसे उस की बेटी अमायरा ने गोली मार दी है और मौके पर ही उस की मौत हो गई है. बेटी अमायरा भी बुरी तरह से घायल फर्श पर पड़ी तड़प रही है.
यह सूचना मिलते ही आननफानन में पुलिस नैनी थानाक्षेत्र में स्थित घटनास्थल पर पहुंची थी. जब पुलिस के जवानों ने सुनील मिश्रा के मकान में प्रवेश किया तो घटनास्थल का सीन देख कर सब सन्न रह गए.
छत की सीढि़यों के नीचे स्लैब पर सुनील मिश्रा की बेटी अमायरा घायल अवस्था में पड़ी तड़प रही थी. उस के हाथ और पेट में गोली लगी थी. रिवौल्वर भी उस की हथेली में था. छत पर 22-23 साल के एक नौजवान की लाश पड़ी थी.
पुलिस अफसरों को देखते ही मकान मालिक सुनील मिश्रा और उस के घर के सदस्य गला फाड़फाड़ कर रोने लगे.
एसएसपी अजय कुमार व एसपी सौरभ दीक्षित ने भी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. बहरहाल, घटनास्थल का क्राइम सीन कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा था और सुनील मिश्रा का कथन कुछ और.
फिलहाल प्रारंभिक काररवाई करते हुए सुनील मिश्रा की घायल बेटी व मृत युवक, जिस का नाम अरनव था, की डैडबौडी को फौरन जिला अस्पताल एसआरएन पहुंचाया गया.
क्योंकि अमायरा की जान खतरे में थी और वह बुरी तरह से पेट पकड़ कर फर्श पर तड़प रही थी. एक गोली उस की हथेली में लगी थी तो दूसरी उस के पेट में फंसी हुई थी. अरनव की डैडबौडी का पोस्टमार्टम होना जरूरी था और अमायरा का प्राथमिक उपचार.
अब तक घटना की सूचना पा कर अरनव के परिजन भी आ चुके थे. जवान बेटे की लाश को जब पुलिस वाले पोस्टमार्टम के लिए भेज रहे थे तो उस के मातापिता, भाईबहन का रोरो कर बुरा हाल था. अरनव का घर सुनील मिश्रा के मकान से महज एक किलोमीटर की दूरी पर था.
उपरोक्त घटना की सूचना जंगल की आग की तरह पूरे नैनी क्षेत्र और सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे शहर में फैल चुकी थी. खैर, आगे की काररवाई करते हुए सब से पहले पुलिस को सूचना देने वाले अमायरा के पिता सुनील मिश्रा को ही थाने ला कर पूछताछ शुरू की गई.
सुनील मिश्रा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. वह फूटफूट कर अधिकारियों के सामने बस रोए जा रहा था.
उसे ढांढस बंधाते हुए एसएसपी अजय कुमार ने कहा, ‘‘देखिए मिश्राजी, इस तरह रोनेधोने से काम नहीं चलेगा. आप की बेटी को गोली लगी है और वह जीवनमौत के बीच संघर्ष कर रही है. ईश्वर ने चाहा तो उस की जिंदगी बच जाएगी और सच्चाई भी सामने आ जाएगी.
‘‘पहले हमें आप यह बताइए कि आप ने क्या देखा था मृतक युवक कौन है? क्योंकि आप ही ने सब से पहले इस वारदात की सूचना पुलिस को मोबाइल से दी थी, इसलिए आप ने जो कुछ भी देखा हो उसे बता दीजिए ताकि हम अपराधियों तक पहुंच सकें.’’
अधिकारियों की बात सुन कर सुनील मिश्रा थोड़ा शांत हुआ और बोला, ‘‘साहब, मुझे नहीं मालूम कि मृत कौन है? यह किस का बेटा है और कहां का रहने वाला है. मेरे खयाल से यह लड़का चोरीचकारी की नीयत से मेरे घर में घुसा होगा, जिसे मेरी बेटी ने देख लिया होगा. वह किसी घटना को अंजाम देने में कामयाब हो पाता उस से पहले बेटी अमायरा ने मेरी रिवौल्वर से उस पर फायर कर दिया होगा. अपने बचाव के लिए मरने से पहले उस ने अमायरा से रिवौल्वर छीन कर उसे भी गोली मार दी.
‘‘उमस बहुत ज्यादा हो रही थी. मैं पानी पीने के लिए उठा था और गरमी से राहत के लिए ऊपर एसी वाले कमरे में जा रहा था, जहां घर के बाकी सदस्य सो रहे थे. तभी मैं ने देखा कि मेरी बेटी खून से लथपथ पड़ी फर्श पर तड़प रही थी. मैं भागते हुए छत पर गया तो देखा उस लड़के की लाश पड़ी थी. उस लड़के को मैं नहीं जानता. उसे मोहल्ले में भी कभी नहीं देखा.’’
पुलिस के लिए बड़ा ही दिलचस्प और संगीन मामला था. एसएसपी की दूरदृष्टि और पुलिसिया नजरिया कुछ और ही कह रही थी तथा सुनील मिश्रा का बयान कुछ और. कारण, अगर सुनील की बातों पर यकीन कर भी लिया जाए तो उस की बेटी अमायरा ने पहले ही किसी भी नीयत से उस के मकान में दाखिल युवक को अपने पिता की रिवौल्वर से जान से मार डाला था तो फिर उस के बाद अपने पेट और हथेली पर गोली मारने की क्या जरूरत थी.
अब कातिल उन की निगाहों के सामने था, जो पूरे घटनाक्रम को छिपाने की साजिश बड़ी ही होशियारी से कर रहा था.
उस के परिवार के अन्य सदस्यों से भी पूछताछ की गई. सभी का कहना था कि उस समय सब लोग गहरी नींद में थे. फायरिंग व सुनील मिश्रा की चीखपुकार सुन कर जागे थे.
सुनील मिश्रा से अधिकारियों ने दोबारा घुमाफिरा कर सवालों की झड़ी लगा दी तो वह पुलिस के सामने टूट गया और फूटफूट कर रोने लगा. भर्राए गले से बताया कि वह युवक उस की बेटी का प्रेमी अरनव है. उस की हत्या का जुर्म और बेटी पर गोली चलाने की बात सुनील मिश्रा ने स्वीकार कर ली.
शर्म और ग्लानि से भरे सुनील मिश्रा ने औनर किलिंग की जो कहानी पुलिस अधिकारियों को सुनाई, वह इस प्रकार निकली.
पेशे से ढाबा चलाने वाला सुनील मिश्रा अधिकतर घर से बाहर ही रहता था. उस का घूरपुर रोड पर ‘मिश्रा फैमिली रेस्टोरेंट व ढाबा’ है. परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे और एक बेटी अमायरा. सुनील का अपने घर चकहीरानंद में महीने में एक बार ही आना होता था.
कथा में आगे बढ़ने से पहले अरनव के परिवार के बारे में संक्षिप्त जानकारी जरूरी है.
असमय ही प्रेम में फना हुए अरनव के पिता सत्यप्रकाश एलआईसी एजेंट हैं. पत्नी संध्या के अलावा 2 बेटे अरनव और विकास (बदला हुआ नाम) थे, जिन में अरनव की मौत हो चुकी है.
अरनव सिंह इस साल 12वीं कक्षा में नैनी के महर्षि विद्या मंदिर इंटर कालेज रामनगर में पढ़ता था. उस का घर पीएसी कालोनी स्थित नैनी क्षेत्र में है.
अरनव के पिता मूलरूप से सुलतानपुर जिले के रहने वाले हैं. वह काफी सालों से इलाहाबाद यमुनापार इलाके में पूरे परिवार के साथ रह रहे थे.
दोनों के परिवार वाले अमायरा और अरनव की प्रेम कहानी से अनभिज्ञ थे. अरनव और अमायरा दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे. किताबों के लेनदेन से उन का प्रेम परवान चढ़ा था. जिस के चलते अरनव को अपने प्राण गंवाने पड़े.
सुनील मिश्रा का समय अकसर परिवार से दूर बाहर ही बीतता था. परिवार के भरणपोषण के लिए ढाबा चलाता था. काफी दिनों के बाद वह एक दिन पहले ही अपने घर आया था.
रात को मंगलवार का व्रत खोलने के बाद वह पत्नी के साथ बिना एसी वाले कमरे में सो रहा था. बच्चे एसी वाले कमरे में थे. उस रात गरमी बहुत ज्यादा थी.
गरमी से बेहाल पतिपत्नी एसी वाले कमरे में सोने के लिए गए तो देखा सभी बच्चे तो कमरे में सो रहे थे लेकिन अमायरा वहां नहीं थी. आखिर कहां गई होगी वह? सुनील बस यही सोच रहा था कि उसी समय कुछ खटपट की आवाज सुनाई दी.
बदहवास हालत में अमायरा कमरे में आई. उस की मां ने पूछा तो उस ने जवाब दिया कि पेट में हलका दर्द हो रहा है. इतना कहने के बाद वह फिर से पानी पीने जाने की बात कह कर कमरे से बाहर निकली.
अब तक सुनील मिश्रा को अमायरा पर शक हो चला था. आखिर वह उस का बाप था. जमाने के रंगढंग देख रहा था. उस ने एक बात गौर की थी, जब पतिपत्नी बच्चों के कमरे में सोने गए थे तो उस समय बेटी सीढि़यों से उतर कर कमरे में आई थी. आखिर इतनी रात गए वह छत पर क्या कर रही थी?
यह सवाल उस के जहन में बारबार घूम रही थी. जब वह पानी पीने का बहाना कर के कमरे से दोबारा निकली तो उस का रुख फिर से छत की ओर था. सुनील मिश्रा भी उस के पीछेपीछे छत की तरफ बढ़ा.
अमायरा को पिता के पीछेपीछे आने का अहसास हुआ तो उस ने पैर पकड़ लिए, ‘‘पापा, कहां जा रहे हैं?’’
उस समय वह बेहद घबराई हुई थी.
‘‘ऊ…ऊ…पर कोई नहीं है. चलिए, चल कर सोते हैं. आप थकेमांदे इतने दिनों बाद आए हैं चलिए कमरे में.’’
सुनील मिश्रा ने रोते हुए बताया, ‘‘साहब, मैं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बेटी जिसे मैं बहुत प्यार करता था, वह मेरी इज्जत खाक में मिला देगी. हकीकत तो यह है कि जब वह छत पर गई तो कुछ देर बाद मैं भी दबेपांव वहां गया. वह अपने प्रेमी के साथ आलिंगनबद्ध थी.
‘‘मुझे सारा माजरा समझ आ गया. क्योंकि मैं ने उसे रंगेहाथों आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. मैं वह सीन देख कर…अब क्या बताऊं एक जवान बेटी का पिता क्या कर सकता है. अपनी बेटी को आपत्तिजनक अवस्था में देख कर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं.
‘‘मेरा शरीर गुस्से से थरथर कांपने लगा. खून खौल उठा था मेरा. मैं नीचे कमरे में आया और अपनी रिवौल्वर उठा ली. अमायरा ने मुझे रोकने की बहुत कोशिश की. लेकिन मैं उसे धकियाते हुए छत पर पहुंचा तो देखा वह लड़का छत पर उकड़ूं बैठा हुआ था.
‘‘मैं ने क्रोध में आ कर उस पर रिवौल्वर तानी तो बेटी ने फिर मेरे पैर पकड़ लिए. उस ने अरनव के जान की भीख मांगी तो मुझे और भी ज्यादा गुस्सा आ गया. गुस्से में मैं ने पहली गोली अमायरा पर ही चला दी. गोली उस के हाथों को छूते हुए निकल गई. वह गिर पड़ी. उस के बाद उस के प्रेमी अरनव को 2 गोलियां मारीं. फिर घूमा और एक गोली अमायरा पर दोबारा चलाई जो सीधे उस के पेट में जा कर लगी.
‘‘गोली चलने की आवाज से घर वाले भी जाग गए थे. वे बदहवास भागे आए. अब तक मैं ने खुद को भी खत्म करने का निर्णय ले लिया था. मैं ने रिवौल्वर अपनी कनपटी पर सटाई और ट्रिगर दबा दिया लेकिन बुलेट फंस गई. दोबारा ट्रिगर दबाना चाहा तब तक घर वालों ने मुझे पकड़ लिया.’’
बयान देते हुए वह फिर से फूटफूट कर रोने लगा क्योंकि वह अपनी बेटी अमायरा को बेटों से ज्यादा चाहता था. बड़ी मन्नतों से वह पैदा हुई थी. अमायरा सीए बनना चाहती थी, जिस के लिए उस ने कौमर्स विषय चुना था.
वह उसे हर खुशी देना चाहता था. उस के सीए बनने के सपने को भी पूरा करना चाहता था. एक ओर जहां सुनील मिश्रा बेटी को बहुत प्यार करता था तो वहीं दूसरी ओर बेटी के पैर बहक गए. वह पिता की
गैरमौजूदगी में अपने प्रेमी अरनव से रोज मिलती थी और उस के मिलन में सहायक थी उस की बुआ की बेटी. वही घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर कर दोनों का मिलन करवाती थी.
बहरहाल, बेटी के विश्वासघात ने जहां उस के प्रेमी अरनव की जिंदगी छीन ली तो दूसरी ओर पिता का साया और विश्वास भी. अमायरा के नसीब में अब न प्रेमी का प्यार है और न ही पिता की सरपरस्ती. पुलिस ने कानूनी काररवाई करते हुए रिपोर्ट दर्ज कर सुनील मिश्रा को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया है. द्य
—कथा में अमायरा परिवर्तित नाम है.