6 जून, 2022 का वाकया है. रात के तकरीबन 3 बजे थे. थाटीपुर के अत्यंत पौश इलाके रामनगर में सन्नाटा पसरा हुआ था. गरमी के चलते लोग घरों के भीतर एसी, कूलर चला कर गहरी नींद में सोए हुए थे. इन्हीं में एक परिवार कृष्णकांत भदौरिया का भी था, जो एक आलीशान कोठी में रहता था. इसी कोठी में उन का बेटा ऋषभ, पुत्रवधू भावना अपने 2 मासूम बच्चों के साथ रहती थी.
परिवार संपन्न और खुशहाल था, घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. कोई बड़ी डिग्री न होने के कारण ऋषभ को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल सकी थी, अत: वह कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले कर नेतागिरी करने लगा था. इस के साथ ही जोड़जुगत बैठा कर पार्टी का प्रदेश प्रवक्ता तक बन बैठा था.
इस के अलावा वह वक्त गुजारने और पैसा कमाने के मकसद से प्रौपर्टी की खरीदफरोख्त का काम भी करने लगा था, इसलिए दिन में उस का वक्त घर के बाहर ही गुजरता था. ऐसी स्थिति में घर की सारी जिम्मेदारियां उस की पत्नी भावना निभाती थी. दोनों बच्चों को स्कूल भेजने के बाद घर पर भावना दिन भर अकेली रहती थी, जिस से उसे बोरियत सी होने लगी थी.
टाइम पास करने के लिए उस की सहेली ने उसे मोबाइल पर रिश्तेदारों और सहेलियों से बातचीत कर वक्त बिताने की सलाह दी. यह सलाह भावना को बेहद पसंद आई.
अब भावना का ज्यादातर समय मोबाइल फोन पर बातचीत में बीतने लगा. कभीकभी वह मोबाइल फोन पर बातचीत में इतना खो जाती कि उसे पति ऋषभ की भी चिंता नहीं रहती. पति का फोन आता तो कई बार वह उठाती ही नहीं.
उधर बारबार फोन करने पर भी जब भावना काल रिसीव नहीं करती तो ऋषभ के दिल की धड़कनें बढ़ जातीं. उसे लगता कि कहीं भावना कौशलेंद्र से तो बात नहीं कर रही. यही सोच कर वह परेशान हो उठता. शहर के हर्षनगर में रहने वाला कौशलेंद्र ऋषभ के बचपन का दोस्त था.
काफी देर बाद जब वह पति को फोन लगा कर बताती कि मैं अपने पिताजी से बात कर रही थी, इसलिए आप का फोन नहीं उठा सकी तब कहीं जा कर ऋषभ को तसल्ली मिलती. ऋषभ ने भावना से स्पष्ट तौर पर कह रखा था कि 1-2 घंटी बजने के बाद वह उस का फोन जरूर उठा लिया करे, क्योंकि फोन नहीं उठने पर उसे घबराहट होने लगती है.
लेकिन भावना ने ऋषभ की इस बात पर कतई ध्यान नहीं दिया. वह अपनी सहेलियों और नातेदारों से मोबाइल पर घंटों बातें करने में मशगूल रहती. इस बीच जब कभी ऋषभ का फोन आता, वह उसे कबाब में हड्डी सा लगता.
भावना की इस हरकत से ऋषभ को शक हो गया कि भावना उस से छिपा कर किसी और से बतियाती है. ऋषभ को भावना का इस तरह मोबाइल पर बतियाना जरा भी अच्छा नहीं लगता था, लेकिन भावना पति की नसीहत को जरा भी अहमियत नहीं देती थी.
वह पति की बात को एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल देती थी. वैसे भी शक की फांस बहुत खतरनाक होती है, इसे जल्द ही दूर न किया जाए तो वह मजबूत से मजबूत दांपत्य जीवन में भी दरार पैदा कर देती है.
भावना अपने दांपत्य में लगी इस फांस को गंभीरता से नहीं ले रही थी, जिस का नतीजा यह निकला कि इस बात को ले कर उस की पति से अकसर नोकझोंक होने लगी. इस की वजह यह थी कि ऋषभ घर से बाहर होने पर जब कभी भी पत्नी के मोबाइल पर फोन लगाता, हर बार उस का फोन व्यस्त ही मिलता था.
ऐसा अनेक बार होने पर ऋषभ के मन में शक बैठ गया कि वह जरूर उस के बचपन के जिगरी दोस्त कौशलेंद्र से बतियाती होगी. बाद में जब घर लौट कर ऋषभ भावना से मोबाइल फोन के बिजी होने की वजह पूछता तो वह कह देती कि सहेली से बात कर रही थी. इस तरह ऋषभ के मन में शक की जो फांस लगी थी, वह नासूर बनती जा रही थी.
धीरेधीरे भावना और ऋषभ के बीच दूरियां बढ़ती चली जा रही थीं, जिस की वजह से ऋषभ उखड़ाउखड़ा सा रहता था. इस तनाव की वजह से पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध नाममात्र के थे. दूरियां बढ़ने की अहम वजह सिर्फ इतनी थी कि ऋषभ अपनी पत्नी पर शक करने लगा था कि उस का झुकाव कहीं उस के बचपन के मित्र कौशलेंद्र की ओर है.
इसी शक के चलते उसे जब भी मौका मिलता, वह पत्नी के मोबाइल की काल हिस्ट्री चैक करता रहता था. कोई भी नंबर उसे अनजान लगता तो वह उसे ले
कर भावना के साथ झगड़ा और मारपीट करता था.
इन सब के पीछे एक खास वजह यह भी थी कि वह यह भी समझ चुका था कि उस की हकीकत पत्नी के सामने खुल चुकी है. यानी वह उस की आपराधिक छवि को भी जान चुकी है.
भावना को जैसे ही पता चला कि उस का पति आपराधिक छवि का है तो उस के दिल को काफी ठेस पहुंची. उस ने पति को समझाने की भरसक कोशिश की कि वह गुनाह के रास्ते छोड़ कर अच्छे रास्ते पर चले, पर वह भावना की बात को महत्त्व नहीं देता था. जब भावना यही बात बारबार कहती तो वह उस की पिटाई कर देता.
भावना पति के तुनकमिजाज और शक्की स्वभाव से आजिज आ कर अकसर गुस्से में दोनों बच्चों को ले कर मायके चली जाती थी और अपने पिता महेश सिंह को सारी बात बता देती थी.
बेटी की बात सुन कर महेश सिंह को काफी आघात पहुंचता था, तब महेश सिंह नाराज होते हुए दामाद ऋषभ को कड़ी फटकार लगाते थे. ऐसा कई बार हुआ था. हालांकि इस के बाद भी महेश सिंह 10-15 दिन बाद ही बेटी को समझाबुझा कर ससुराल भेज देते थे.
6 जून, 2022 की रात को भी ऋषभ और भावना के बीच कहासुनी हुई. भावना ने पति को समझाने की भरसक कोशिश की, लेकिन ऋषभ उस पर कुछ ज्यादा ही भड़क गया. उन दोनों के बीच तकरार इतनी ज्यादा बढ़ गई कि उसी दौरान ऋषभ ने पत्नी पर पिस्टल तान दी.
भावना समझ गई कि पति के सिर पर खून सवार है, वह बचने के लिए बैडरूम से बाहर निकल कर लान की तरफ भागी. वह चीखती, उस के पहले ही ऋषभ ने उस के सिर को निशाना बना कर फायर कर दिया. वह इतना ज्यादा गुस्से में था कि रिश्तों की गहराई और परिवार की मर्यादा को भूल कर एक के बाद एक 3 गोलियां पत्नी के सिर में मार दीं.
गोलियां लगने से भावना लान में ही ढेर हो गई. इस के बाद वह हथियार और अपनी जरूरत का सामान ले कर वहां से फरार हो गया. ऋषभ ने अनायास ही एक ऐसी घटना को अंजाम दे डाला, जिसे देख कर हर किसी का कलेजा कांप उठा.
रात 3 बजे जब इलाके के सभी लोग सो रहे थे, तभी चीखनेचिल्लाने के शोर से लोगों की आंखें खुल गईं. शोरगुल सुन कर घबराए लोग अपनेअपने घरों से बाहर आए तो कृष्णकांत भदौरिया को बदहवास हाल में रोतेबिलखते देख कर हैरान रह गए.
वह ऋषभ के दोनों मासूम बच्चों की अंगुली पकड़े हुए जोरजोर से रोते हुए कह रहे थे, ‘‘मेरी मदद करो, मेरे बेटे ऋषभ ने अपनी पत्नी भावना की गोली मार कर हत्या कर दी है.’’
कृष्णकांत भदौरिया जो कुछ कह रहे थे, उसे सुन कर लोगों के होश उड़ गए.
इसी दौरान किसी ने पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी. कुछ देर में वहां थाना थाटीपुर पुलिस भी आ गई. पुलिस के आने पर कुछ लोग हिम्मत कर के उन की आलीशान कोठी में दाखिल हुए तो वहां की स्थिति देख कर उन सभी की आंखें हैरत से फटी रह गईं. भावना की लाश कोठी में कमरे के बाहर लान में खून से लथपथ पड़ी हुई थी.
हत्या का मामला था, अब तक पूरी रामनगर सोसाइटी के लोग घटनास्थल पर एकत्रित हो चुके थे. इस बीच ऋषभ के पिता कृष्णकांत भदौरिया ने घटना की सूचना अपने समधी महेश सिंह को दे दी.
मामला शहर के पौश इलाके रामनगर के रहने वाले बहुचर्चित कांग्रेसी नेता से जुड़ा हुआ था, जिस में उस ने अपनी पत्नी भावना की गोली मार कर निर्मम हत्या कर दी थी. हत्या कर के वह फरार हो गया था. सीएसपी ऋषिकेश मीणा और टीआई पंकज त्यागी घटनास्थल पर जांच कर रहे थे.
थोड़ी देर बाद ही एडिशनल एसपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया फोरैंसिक एक्सपर्ट व डौग स्क्वायड की टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.
पुलिस अधिकारियों ने भी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और क्राइम सीन को समझा. पुलिस टीम के पहुंचने तक रामनगर के बाशिंदे काफी बड़ी संख्या में भदौरिया के घर के सामने जुट गए थे. सभी लोग भावना के मासूम बच्चों के बारे में सोचसोच कर परेशान थे.
इधर हत्यारे के पिता कृष्णकांत भदौरिया की हालत सदमे के कारण कुछ ज्यादा ही खराब हो रही थी. पड़ोसी उन्हें सांत्वना दे कर जैसेतैसे संभाल रहे थे.
पुलिस ने घटनास्थल की औपचारिक काररवाई निपटाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.
पुलिस को यह तो पता लग ही चुका था कि भावना की हत्या उस के पति ऋषभ ने की है. इसलिए ऋषभ के खिलाफ उस के सुसर महेश सिंह की तहरीर पर थाना थाटीपुर में धारा 302 भादंवि के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने हत्यारोपी कांग्रेसी नेता ऋषभ पर 10 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया. इस के बाद पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी थी.
इसी बीच एसपी अमित सांघी को मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि पत्नी की हत्या के मामले में फरार चल रहे ऋषभ भदौरिया को उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी के बेवर कस्बे में देखा गया है.
यह सूचना मिलने के बाद एसपी ने बिना देर किए एडिशनल एसपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में क्राइम ब्रांच इंसपेक्टर संतोष यादव व थाटीपुर टीआई पंकज त्यागी को शामिल किया गया. उन्होंने टीम मैनपुरी रवाना कर दी.
आखिर पुलिस टीम द्वारा ऋषभ भदौरिया को हत्या के 21 दिन बाद उस के ही रिश्तेदार के घर से हिरासत में ले लिया गया. वह अपने रिश्तेदार के घर पर रह कर फरारी काट रहा था.
उस ने बताया कि पुलिस द्वारा उस की गिरफ्तारी पर 10 हजार का ईनाम घोषित किए जाने के बाद से उसे एनकाउंटर का भय सता रहा था. पुलिस टीम उसे बेवर से ग्वालियर ले आई. उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्टल व खून से सने कपड़े भी बरामद कर लिए.
इस के अलावा पुलिस ने उस के पास से वह क्रेटा कार भी बरामद कर ली, जिस में बैठ कर वह पत्नी की हत्या के बाद फरार हुआ था.
प्रारंभिक जांच में ही पुलिस को पता चला कि 10 मई, 2022 की रात को भी ऋषभ ने अपने बचपन के जिगरी दोस्त कौशलेंद्र कुशवाहा पर 5 राउंड फायर किए थे. ऋषभ के खौफ के चलते वह थाने में रिपोर्ट लिखवाने का साहस नहीं जुटा सका था. लेकिन जैसे ही ऋषभ अपनी पत्नी को मार कर फरार हुआ और उस पर ईनाम घोषित हुआ तो हर्ष नगर निवासी कौशलेंद्र कुशवाहा थाने में रिपोर्ट लिखवाने पहुंच गया था.
हत्या के आरोपी कांग्रेसी नेता ऋषभ भदौरिया पर पहले से हत्या व हत्या के प्रयास सहित 14 मामले दर्ज हैं.
उस के खिलाफ 2 बार जिला बदर की काररवाई भी की गई थी. अब पुलिस उस पर एनएसए लगाने की तैयारी में लगी हुई थी.
ऋषभ को सुंदर और सुशील पत्नी मिली थी. सुसराल भी अच्छी थी. 2 सुंदर बच्चे भी थे. लेकिन शक के नासूर ने उस की बसीबसाई गृहस्थी को उजाड़ कर रख दिया. पत्नी को मार कर वह जेल चला गया, जिस से उस के मासूम बच्चे अनाथ हो गए.
ऋषभ के अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक ऋषभ भदौरिया के दोनों बच्चे अपने नाना महेश सिंह के
पास थे. द्य