रोजाना की तरह लखनऊ के जीआरएम मैरिज लौन के मालिक रोशन लाल का बेटा महेंद्र मौर्या उर्फ पुष्कर मौर्या 25 जुलाई, 2022 को अपनी कपड़े की दुकान बंद कर कार से घर लौट रहा था. उस की कार ज्यों ही भुअर पुल के नीचे पहुंची, गाड़ी के सामने 2 बाइक आ कर रुक गईं.
खराब रास्ते के चलते पुष्कर की कार धीरेधीरे चल रही थी. अचानक आई बाइकों के चलते पुष्कर ने भी कार रोक दी. उस समय आसपास कोई और नजर नहीं आ रहा था.
बाइक से मास्क लगाए दोनों सवार उतरे और कार पर अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. आगे का शीशा तोड़ती कुछ गोलियां सीधे कार में बैठे महेंद्र को भी जा लगीं और पलक झपकते ही उस का सिर स्टीयरिंग पर जा टकराया.
यह घटना उस की दुकान से महज 500 मीटर की दूरी पर भुअर अंडरपास के निकट हुई थी. दोनों हमलावर पहले से ही घात लगाए रुके हुए थे. घटनास्थल पर ही महेंद्र को मौत के घाट उतार चुके दोनों बाइक सवार वहां से फरार हो गए थे.
गोलियां चलने की आवाजें सुन कर नजदीक के भुअर पुलिस चौकी पर तैनात पुलिस वाले भागेभागे वहां पहुंच गए. गोलीबारी की वारदात की सूचना चौकी इंचार्ज परवेज अंसारी ने थाना ठाकुरगंज के प्रभारी हरिश्चंद्र को मोबाइल से दे दी.
सूचना पाते ही थानाप्रभारी हरिश्चंद्र भी डीसीपी शिवा शिम्मी चिनअप्पा, एसीपी इंद्रप्रकाश सिंह और एडिशनल डीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा को सूचना दे कर एडिशनल इंसपेक्टर (क्राइम) विजय कुमार यादव, एसआई राजदेव प्रजापति, कांस्टेबल सुबोध सिंह के साथ कुछ समय में ही घटनास्थल पर पहुंच गए.
खबर मिलने पर कुछ देर में ही मृतक के घर वाले भी आ गए. थानाप्रभारीने महेंद्र के पिता रोशन लाल मौर्या से भी आवश्यक पूछताछ की. घटनास्थल और लाश का निरीक्षण करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. थानाप्रभारी ने रोशन लाल की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कर ली.
थानाप्रभारी हरिश्चंद्र ने विवेचना अपने हाथों में ले कर आगे की जांच शुरू की. इस के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया.
जल्द ही महेंद्र की हत्या के बारे में कुछ जानकारियां उन्हें मिल गईं. उस के मुताबिक उसे सुपारी दे कर मरवाया गया था. यह काम उस की पत्नी के ममेरे ससुर संजय मौर्या के इशारे पर किया गया था. इस जानकारी के आधार पर ही पुलिस टीम ने इस हत्याकांड की जांच को आगे बढ़ाया.
थानाप्रभारी हरिश्चंद्र ने महेंद्र मौर्या के पिता को साथ ले कर पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की. उन से गहन पूछताछ हुई. रोशन लाल ने भी हत्या का मुख्य कारण परिवारिक निजी कारणों की ओर इशारा किया. उन्होंने पुलिस को कुछ गोपनीय बातें भी बताईं.
जांच का सिलसिला आगे बढ़ा. मुखबिरों के जाल बिछाए गए और सर्विलांस प्रभारी राजदेव प्रजापति के माध्यम से महेंद्र के फोन नंबर की काल डिटेल्स जुटाने का काम किया गया. पुलिस को जल्द ही सफलता मिल गई और महेंद्र के सभी हमलावरों के बारे में पता लगा लिया गया.
पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक, हमलावरों के नाम सतीश गौतम और मुकेश रावत थे. जांच अधिकारी हरिश्चंद्र ने सहयोगी विवेचक इंसपेक्टर विजय कुमार यादव और भुअर पुलिस चौकी के इंचार्ज परवेज अंसारी को हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए लगा दिया. सर्विलांस से मिली लोकेशन के आधार पर दोनों 31 जुलाई, 2022 को आईआईएम रोड से करीब ढाई बजे दिन में गिरफ्तार कर लिए गए.
हमलावरों में सतीश गौतम लखनऊ की मलिहाबाद तहसील के अहमदाबदा कटोरी का रहने वाला था, जबकि दूसरा हमलावर मुकेश रावत लखनऊ के काकोरी थानांतर्गत सैफलपुर गांव का रहने वाला निकला.
दोनों से जब पुलिस अधिकारियों ने गहन पूछताछ की, तब जो कहानी सामने आई, वह काफी चौंकाने वाली थी.
इसी के साथ उन्होंने महेंद्र मौर्या को गोली मार कर हत्या करने का जुर्म भी स्वीकार कर लिया. साथ ही यह भी बताया कि संजय मौर्या ने महेंद्र मौर्या की हत्या की सुपारी दी थी. उस से मिली जानकारी के आधार पर हमलावरों ने महेंद्र की हत्या से पहले उस के रोजाना की रुटीन के आधार पर वारदात की योजना बनाई थी.
संजय मौर्या ने बचाव और पुलिस को गुमराह करने के लिए कई इंतजाम भी किए थे. जैसे उस ने बाराबंकी जेल में बंद एक अपराधी ज्ञानसिंह यादव की जमानत करवा कर दिनेश सिंह नामक युवक से उस की आईडी प्रूफ पर एक सिम लिया था.
कथा लिखे जाने तक सआदतगंज निवासी संजय मौर्या और हत्याकांड में नाम आने वाले दूसरे आरोपियों में ज्ञानसिंह यादव और दिनेश सिंह ठाकुर फरार थे.
सतीश गौतम और मुकेश रावत के बयानों के आधार पर हत्याकांड के पीछे की सच्चाई इस प्रकार उजागर हुई—
बुद्धेश्वर मंदिर से गुजरता हुआ हरदोई बाईपास दुबग्गा के पास मिलता है. वहीं दूसरी ओर हरदोई से आने वाला सीधा राजमार्ग आगे बालागंज चौक से होता हुआ केजीएमयू मैडिकल कालेज केंद्र को जा कर निकलता है.
महेंद्र मौर्या के पिता रोशन लाल का दुबग्गा बाईपास के किनारे अपना मकान है. वहीं उन का मैरिज लौन जीआरएम बना हुआ है. उन का बड़ा बेटा महेंद्र उन के कारोबार को सालों से संभाले हुए था.
लखनऊ हरदोई राजमार्ग के किनारे लखनऊ से 25 किलोमीटर की दूरी पर मलिहाबाद में राम प्रसाद मौर्या रहते हैं. उन के 2 बेटे राहुल और पंकज के अलावा एक बेटी पल्लवी है. संजय मौर्या की चचेरी बहन रामश्री इसी खानदान को ब्याही गई थी.
पल्लवी और संजय का परिचय एक शादी के दौरान हुआ था. पहली नजर में ही पल्लवी संजय के दिल में उतर गई थी. उसे ले कर संजय सपने सजाने लगा था.
संजय मौर्या के पिता शिवकुमार मौर्या को जब इस की जानकारी हुई, तब वह बेहद नाराज हो गए. शिवकुमार ने पल्लवी के घर वालों से संजय के रिश्ते की बात करने से सिरे से इनकार कर दिया. वह संजय की शादी पल्लवी से करने के लिए हरगिज तैयार नहीं हुए.
कारण, रिश्ते का घालमेल और उलटा पड़ जाना था, जो सामाजिक तौर पर मान्य नहीं होता. दरअसल, संजय जिस रिश्तेदारी में था, उस के मुताबिक उस की पल्लवी से शादी नहीं हो सकती थी.
इसे देखते हुए शिवकुमार ने अपने बेटे संजय का विवाह लखनऊ शहर में दूसरी जगह से कर दिया, जो जून 2022 में संपन्न हुआ था. हालांकि रामप्रसाद ने पहले ही जनवरी 2022 में अपनी बेटी पल्लवी की शादी दुबग्गा निवासी रोशन लाल के बेटे महेंद्र मौर्या के साथ कर दी थी.
शादी के बाद संजय पल्लवी से मिलने के बहाने से उस की ससुराल आने लगा था, जो उसे अच्छा नहीं लगता था और तब उस ने अपने पति महेंद्र मौर्या से उन के अपने रिश्तेदार संजय मौर्या के घर आने पर रोक लगाने को कहा.
संजय अकसर महेंद्र की गैरमौजूदगी में पल्लवी के पास आने लगा था. शादी से पहले संजय और पल्लवी के बीच के प्रेम संबंध के बारे में रोशन लाल, महेंद्र और परिवार के किसी सदस्य को कोई जानकारी नहीं थी.
सामाजिक मर्यादा के कारण पल्लवी ने संजय से दूरी बनाना ही उचित समझा और पति से उसे घर आने से मना करने का आग्रह किया. ऐसा करते हुए उस ने अपने दिल पर पत्थर रख लिया था. संजय और महेंद्र के बीच भी रिश्तेदारी थी. वह महेंद्र का रिश्ते में मामा लगता था. इस लिहाज से संजय पल्लवी का ममेरा ससुर बन गया था.
जबकि संजय एक रसिक किस्म का युवक था. वह पल्लवी की सुंदरता और जवानी पर लट्टू हो चुका था. पल्लवी भी उसे बेहद पसंद करती थी. वे डिजिटल जमाने के प्रेमी थे. सोशल मीडिया से जुड़े थे. फेसबुक फ्रैंड भी थे. उन की डेटिंग मैसेजिंग बौक्स में गुड मौर्निंग और गुडनाइट से होती थी.
इस सिलसिले में दोनों फेसबुक के जरिए अपने दिल की भावनाएं प्रदर्शित करते रहते थे. देर रात तक उन की चैटिंग होती रहती थी. किंतु उसे वह जीवनसाथी नहीं बना पाई थी.
जुलाई 2020 तक सब कुछ ठीकठाक चलता रहा. पल्लवी और संजय की बातचीत केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित रही, लेकिन यह बात उस की मां रामश्री से छिपी न रह सकी और एक दिन रामश्री ने अपने पति रामप्रसाद से पल्लवी का विवाह किसी अन्य स्थान पर करने को कहा. और फिर रामप्रसाद ने अपने एक रिश्तेदार रोशन लाल से उस के बेटे का हाथ अपनी बेटी के लिए मांग लिया.
पल्लवी जनवरी, 2022 में अपनी ससुराल आ गई. उस के बाद से संजय काफी परेशान रहने लगा. उस के मन में महेंद्र के प्रति ईर्ष्या और घृणा होने लगी. वह उस की प्रेमिका छीनने वाला दुश्मन की तरह नजर आने लगा. उस ने मन में ठान लिया कि वह उस के वैवाहिक जीवन में जहर घोल कर ही रहेगा, ताकि पल्लवी का संबंध उस से टूट जाए.
उस के दिमाग में यहां तक खुराफाती कीड़ा कुलबुलाने लगा कि यदि उसे खत्म कर दिया जाए, तब वह विधवा पल्लवी का हाथ लेगा. बताते हैं कि वह इसी उधेड़बुन में लग गया.
एक दिन संजय और महेंद्र का आमनासामना आगरा एक्सप्रेसवे पर हो गया. संजय ने उस पर नाराजगी दिखाते हुए कहा कि तू अपनी नईनवेली बीवी के बहकावे में हमारे रिश्ते को खत्म करना चाहता है.
संजय ने कहा, ‘‘आज की लौंडिया हमारे मामाभांजे के रिश्ते में आग लगाना चाहती है, और तू उस की हर बात मान रहा है. अभी से ही बीवी का गुलाम बन गया. कल को तो अपने मांबाप को भी उस के चक्कर में छोड़ देगा.’’
महेंद्र को यह बात चुभ गई, क्योंकि उस ने पल्लवी में न केवल एक आदर्श पत्नी का रूप देखा था, बल्कि एक आज्ञाकारी बहू को भी पाया था. यही नहीं वह अपने मामा की रंगीनमिजाजी और फरेबी आदतों को पहले से ही जानता था.
उसे जैसे ही पल्लवी ने बताया कि तुम अपने मामा संजय को यहां आने से मना कर दो, वैसे ही उस की मंशा को समझ गया था.
उस रोज हाईवे पर संजय के साथ महेंद्र की तीखी नोकझोंक हुई. गुस्से में संजय ने धमकी दी कि उसे उस के घर आनेजाने से कोई नहीं रोक सकता है. उस की जब मरजी होगी, वह आएगा और जाएगा.
पल्लवी को ले कर हुए विवाद के बाद महेंद्र ने भी संजय को चेतावनी दी थी कि वह उसे और पल्लवी को परेशान न करे.
दरअसल, महेंद्र को भी तब तक संजय और पल्लवी के बीच के प्रेम संबंध की जानकारी हो गई थी, लेकिन वह इसे तूल नहीं देना चाहता था. क्योंकि उस ने महसूस किया था कि पल्लवी शादी के बाद उस रिश्ते को खत्म कर चुकी है. महेंद्र ने संजय से साफ लहजे में कह दिया था कि वह उस के वैवाहिक जीवन के रास्ते से हट जाए. उस की गृहस्थी में जहर न घोले.
यह बात संजय को और भी कचोट गई. उस घटना के बाद उस ने महेंद्र मौर्या की हत्या करने की योजना बना ली. इसे कार्यरूप देते हुए कुछ माह निकल गए और इसी बीच उस की भी शादी हो गई. फिर भी संजय पल्लवी को हासिल करने की फिराक में लगा रहा.
योजना के मुताबिक पहले उस ने बाराबंकी जेल में बंद अपने दोस्त ज्ञानसिंह यादव की जमानत करवाई. जमानत पर बाहर आने के बाद बदले में उस से महेंद्र की हत्या को अंजाम देने के लिए कहा.
उस के बाद ही ज्ञान सिंह यादव ने अपने कुछ सहयोगियों की मदद ली. उन से पहले महेंद्र की रेकी करवाई. उसे महेंद्र की हत्या के लिए संजय से 35 हजार रुपए मिले. जबकि संजय ने भाड़े पर लिए गए मुकेश रावत को मकान बनवाने के लिए 75 हजार रुपए देने का वादा किया. इस में से उसे 20 हजार दे दिए थे. बाकी पैसे काम हो जाने के बाद देने के लिए कहा था.
इस तरह से निर्धारित तारीख पर भाड़े के हत्यारों ने महेंद्र की गोली मार कर हत्या कर दी. रोशन लाल ने पूछताछ में बताया कि संजय ने उसे भी फोन पर धमकी दी थी कि वह महेंद्र की हत्या करने के बाद उस की विधवा बहू से शादी करेगा.
इसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया था. पल्लवी के साथ उस के संबंध और संजय की धमकियों की पुष्टि को ले कर जांच अधिकारी ने उस से भी पूछताछ की थी.
इस कहानी के लिखे जाने तक हत्याकांड की योजना बनाने वाला आरोपी संजय पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाया था. बाकी आरोपियों के कब्जे से हत्या में प्रयुक्त मोटरसाइकिलें बरामद कर ली गई थीं. पुलिस ने महेंद्र की अल्टो कार भी अपने कब्जे में ले ली थी
लखनऊ पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर ने हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपए के ईनाम देने की घोषाणा की. द्य
(कथा विवेचक तथा समाचार पत्रों से प्राप्त सूचना पर आधारित. कथा में कुछ नाम
काल्पनिक हैं)