सतपुड़ा की पहाडि़यों से घिरे मध्य प्रदेश के अमला को मध्य प्रदेश का शिमला भी कहा जाता है. 5 जुलाई, 2022 की सुबह अमला पुलिस स्टेशन के टीआई संतोष पंद्रे पुराने केस की फाइल को देख रहे थे, तभी केबिन के बाहर से आई आवाज ने उन का ध्यान फाइल से हटा दिया.
‘‘साब, क्या मैं अंदर आ सकती हूं?’’ दरवाजे पर एक अधेड़ उम्र की महिला अपने पति के साथ खड़ी थी.
उन्हें देखते ही टीआई ने कहा, ‘‘आइए, अंदर आ जाइए, कहिए कैसे आना हुआ?’’
‘‘साब, मेरा नाम लता काचेवार है. मेरे पति इस दुनिया में नहीं हैं. मेरा बेटा मानसिक रूप से बीमार है. हम लोग अमला नगर परिषद के वार्ड नंबर 10 में रहते हैं. मेरी 19 साल की बेटी मुसकान 3 जुलाई की सुबह बाजार से जरूरी सामान लेने के लिए घर से निकली थी, मगर अभी तक घर नहीं लौटी है,’’ यह कहते हुए लता फफक कर रो पड़ी.
टीआई ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘आप चिंता मत कीजिए, पुलिस आप की हरसंभव मदद करेगी. मुसकान का हुलिया बताइए और अगर उस की कोई फोटो हो तो मुझे दे दीजिए. पुलिस उसे जल्द ही खोज निकालेगी.’’
‘‘साब, मुसकान के हाथ पर 3 स्टार वाला एक टैटू बना हुआ है और उस के बाल सुनहरे हैं और ये रही उस की फोटो,’’ लता ने अपनी बेटी की फोटो पर्स से निकालते हुए कहा.
टीआई संतोष पंद्रे ने फोटो पर नजर डाली तो सुनहरे बालों की खूबसूरत नाकनक्श की मुसकान को देख क र समझ गए कि उम्र के इस मोड़ पर अकसर लड़केलड़कियों के कदम फिसल ही जाते हैं.
‘‘यदि तुम्हें किसी पर शक हो तो खुल कर बताओ, पुलिस तुम्हारे साथ है.’’ टीआई ने कहा.
‘‘साब, मेरी बेटी कभी घर और दुकान के अलावा कहीं नहीं जाती थी. किसी लड़के के साथ उस की दोस्ती भी नहीं थी. साब, पिछले 2 सालों से वह अमला के कृष्णा ज्वैलर्स के यहां सेल्सगर्ल का काम कर रही है.’’ लता ने टीआई को बताया.
टीआई ने मुसकान की जल्द ही पतासाजी का आश्वासन देते हुए लता को घर जाने को कहा.
लता जानती थी कि मुसकान अकसर खरीददारी के लिए कृष्णा ज्वैलर्स के मालिक पुनीत सोनी के साथ नागपुर आतीजाती थी और कई बार काम के सिलसिले में वहीं होटल में रुक भी जाती थी. लेकिन अब तो उस का पता ही नहीं चल पा रहा था.
दूसरे दिन सुबह तक मुसकान न तो घर लौटी और न ही उस से फोन पर संपर्क हो पाया तो लता ने कृष्णा ज्वैलर्स के मालिक पुनीत सोनी को फोन लगा कर बेटी के संबंध में जानकारी ली.
पुनीत ने लता को बताया कि मुसकान तो कल दुकान पर आई ही नहीं थी. इतना ही नहीं, पुनीत ने यह भी बताया कि वह 2-3 दिन छुट्टी पर जाने की बात भी कह रही थी.
पुनीत की बातें सुन कर लता के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मुसकान कहां चली गई.
उधर पुलिस ने मुसकान की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद उस की पतासाजी के लिए सोशल मीडिया पर उस की सूचना प्रसारित कर दी. इस के अलावा विभिन्न थानों में भी उस की फोटो भेज दी. मगर मुसकान के बारे में कोई भी सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा.
अमला शहर की सीमा महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से भी लगी हुई हुई है. ऐसे में आपराधिक घटनाओं की सूचनाओं के आदानप्रदान के लिए पुलिस विभाग का अंतरराज्यीय वाट्सऐप ग्रुप बना हुआ है.
7 जुलाई, 2022 को उसी वाट्सऐप ग्रुप में नागपुर काटोल पुलिस ने एक नौजवान युवती की लाश मिलने की पोस्ट शेयर की तो बैतूल जिले की एसपी सिमाला प्रसाद की नजर उस पोस्ट पर ठहर गई.
वह लाश महाराष्ट्र के नागपुर के पास काटोल पुलिस थाने के अंतर्गत चारगांव इलाके में ईंट भट्ठे के पास मिली थी. वह पीले रंग की टीशर्ट पहने थी, जिस पर अंगरेजी में लव लिखा हुआ था. उस के हाथ पर 3 स्टार का टैटू बना हुआ था. युवती के सिर पर हमले की वजह से चेहरे की पहचान आसानी से नहीं हो पा रही थी.
एसपी ने यह पोस्ट अमला पुलिस के सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर की तो अमला पुलिस थाने के टीआई संतोष पंद्रे ने फोटो को गौर से देखा. मुसकान की मां लता ने उन्हें जो फोटो दिया था, उस से उस की कदकाठी काफी मेल खा रही थी.
टीआई ने मुसकान की मां लता को थाने बुला कर वह फोटो दिखाई तो उस के होश उड़ गए. पीली टीशर्ट और हाथ पर बने टैटू को देख कर वह जोर से चीखी, ‘‘मेरी बेटी कहां है और उस का ये हाल किस ने कर दिया?’’
इस के बाद पुलिस लता को ले कर नागपुर के काटोल पहुंच गई. काटोल पुलिस थाने के टीआई महादेव आचरेकर ने लता को युवती की लाश के कपड़े, अंगूठी और मोबाइल फोन दिखाया तो उस ने बताया कि ये सब उस की बेटी मुसकान के हैं.
महाराष्ट्र के किसी भी थाने में इस तरह के हुलिए वाली किसी लड़की की गुमशुदगी दर्ज नहीं थी.
इस वजह से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि युवती शायद पड़ोसी राज्यों में से किसी शहर की रहने वाली हो.
इस पर नागपुर क्राइम ब्रांच ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों की पुलिस से संपर्क किया और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर दी. पोस्टमार्टम के बाद लाश की शिनाख्त न होने से काटोल पुलिस ने लाश दफना दी थी.
नागपुर (ग्रामीण) पुलिस के काटोल थाने में मुसकान की हत्या का मामला कायम कर लता से पूछताछ की और मुसकान के मोबाइल में मिले फोटो के आधार पर यह बात सामने आई कि मुसकान का प्रेम प्रसंग कृष्णा ज्वैलर्स के मालिक पुनीत सोनी से चल रहा था. लिहाजा काटोल पुलिस केस की जांच के लिए अमला आ गई.
पुलिस ने पुनीत सोनी से मुसकान की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो पहले तो वह पूरे घटनाक्रम से अंजान बना रहा. पुलिस ने जब उस के मोबाइल की काल डिटेल्स रिपोर्ट सामने रखी तो वह बगलें झांकने लगा.
पुलिस ने उस के शोरूम पर काम करने वाले 17 साल के किशोर अन्नू से पूछताछ की तो वह डर गया और उस ने पल भर में ही पूरे रहस्य से परदा हटा दिया. पुलिस टीम ने पुनीत से सख्ती से पूछताछ की तो मुसकान की हत्या की सारी कहानी सामने आ गई.
अमला के सरदार वल्लभभाई पटेल वार्ड में रहने वाली मुसकान महत्त्वाकांक्षी थी, मगर परिवार की माली हालत के चलते उसे हायर सेकेंडरी परीक्षा पास करते ही सेल्सगर्ल की नौकरी करनी पड़ी.
कोरोना काल में मुसकान के पिता की मौत हो जाने के बाद परिवार की माली हालत खराब हो गई थी. मुसकान का बड़ा भाई आपराधिक किस्म का था. आए दिन उस के झगड़े होते रहते थे. इसी के चलते पिछले साल उस का किसी ने मर्डर कर दिया था.
बड़े भाई की मौत के बाद घर चलाना मुश्किल हो गया था. ऐसे में मुसकान कृष्णा ज्वैलर्स शोरूम पर सेल्सगर्ल की नौकरी करने लगी.
मुसकान को कृष्णा ज्वैलर्स शोरूम पर काम करते हुए बमुश्किल महीना भर ही बीता था, मगर इस एक महीने में ही उसे एक बात साफ समझ में आ गई थी कि शोरूम के मालिक पुनीत की नजरें उसे ही घूरा करती हैं.
28 साल का पुनीत सोनी अपने पिता सुनील सोनी की एकलौती संतान होने के साथ हैंडसम भी था. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में अमला नगर परिषद की गणेश कालोनी में रहने वाले पुनीत का ज्वैलरी का कारोबार आसपास के इलाकों में खूब चलता है.
19 साल की खूबसूरत मुसकान जब पुनीत के पास काम मांगने आई तो वह पहली ही नजर में पुनीत के दिल में उतर गई. वैसे तो पुनीत शादीशुदा होने के साथ एक बेटे का बाप भी था, लेकिन खूबसूरत लड़की को अपने सामने पा कर उस की चाहत इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह अपने आप को रोक नहीं सका.
एक दिन शोरूम पर जब ग्राहक नहीं थे तो पुनीत ने अपने दिल का हाल मुसकान से कह ही दिया, ‘‘मुसकान, तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हें देखता हूं तो मैं अपने दिल को काबू में नहीं रख पाता हूं.’’
कम उम्र में घरपरिवार के खर्च की जिम्मेदारी संभालने वाली मुसकान भी उस के प्यार के इजहार को नकार न सकी. ज्वैलरी शोरूम पर ही उन का प्यार परवान चढ़ने लगा.
पुनीत मुसकान की हर ख्वाहिश और जरूरतों का खयाल रखने लगा. पुनीत मुसकान को अपने प्यार के जाल में फंसा चुका था. वह आए दिन मुसकान को तरहतरह के गिफ्ट की पेशकश करता था. दुकान में 17 साल का एक लड़का अन्नू (परिवर्तित नाम) भी काम करता था. पुनीत और मुसकान के बीच मीडिएटर का काम अन्नू करता था.
पुनीत मुसकान के साथ संबंध बनाने को उतावला हो रहा था, मगर मुसकान अपने मातापिता के डर से इस के लिए राजी नहीं थी.
पिछले साल दीपावली के पहले की बात है. एक दिन मौका पा कर पुनीत मुसकान के घर जा कर उस की मां से बोला, ‘‘मांजी दीपावली के बाद सीजन शुरू होने वाला है. ज्वैलरी की खरीदारी के लिए मुसकान को नागपुर साथ ले जाना है, मुसकान को ग्राहकों की पसंदनापसंद का खूब अनुभव हो गया है.’’
बेटी की तारीफ सुन कर लता ने यह सोच कर हामी भर दी कि आखिर पुनीत उस का मालिक जो ठहरा, उस के साथ जाने में हर्ज ही क्या है.
मुसकान के घर वालों की सहमति मिलते ही एक दिन कार से पुनीत और मुसकान नागपुर के लिए चल पड़े. रास्ते में कार के सफर के दौरान उन्होंने खूब मस्ती की. नागपुर पहुंच कर दिन भर ज्वैलरी की खरीदारी की और पुनीत ने मुसकान को नए स्टाइलिश कपड़े दिलाए तो उस की खुशी दोगुनी हो गई.
मुसकान अपने आप पर फख्र कर रही थी कि पुनीत उस का कितना खयाल रखता है. शाम को एक होटल में कमरा ले कर दोनों ठहर गए. कमरे में पहुंचते ही पुनीत के सब्र का बांध टूट चुका था. उस ने मुसकान को अपनी बाहों में भरते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा प्यार पाने के लिए मैं कब से तड़प रहा था मेरी जान, आज मुझे अपनी प्यास बुझा लेने दो.’’
मुसकान ने भी हौले से पुनीत के सिर पर हाथ घुमाते हुए कहा, ‘‘थोड़ा सब्र करो. मैं तो पूरी रात तुम्हारे साथ हूं. मैं भी अपना सब कुछ तुम्हें लुटा दूंगी.’’
प्यार के जोश और वासना की आग में 2 जिस्म कब एक जान हो गए, उन्हें पता ही नहीं चला. रात भर होटल में अपनी हसरतों को पूरा करने के बाद दूसरे दिन सुबह दोनों अमला पहुंच गए.
एक बार शुरू हुआ वासना का खेल धीरेधीरे रफ्तार पकड़ चुका था. पुनीत ज्वैलरी की खरीदारी का बहाना बना कर मुसकान को अकसर ही नागपुर और दूसरे शहरों में ले जाने लगा.
मुसकान भी यह बात समझ चुकी थी कि शादीशुदा जिंदगी जीने वाला उस का प्रेमी पुनीत केवल उस के जिस्म से ही खेल रहा था, लिहाजा वह भी पुनीत से अपनी हर जायजनाजायज मांग रखने लगी थी.
धीरेधीरे वह पुनीत को ब्लैकमेल भी करने लगी. पुनीत यदि मुसकान की मांग पूरी करने में आनाकानी करता तो वह उसे बदनाम करने की धमकी देने लगती.
देखते ही देखते मुसकान की लाइफस्टाइल काफी मौडर्न हो चुकी थी. महंगे कपड़े और मोबाइल का शौक उस के सिर चढ़ कर बोल रहा था. बदनामी के डर से मुसकान की हर डिमांड पूरी करना पुनीत की मजबूरी बन चुकी थी.
जून महीने के अंतिम सप्ताह की बात है. रात के करीब 9 बजे जब मुसकान अपने घर जाने लगी तो उस ने पुनीत से कहा, ‘‘मेरा मोबाइल बारबार हैंग हो जाता है, मुझे एक आईफोन दिला दो.’’
‘‘चलो देखते हैं, अभी तो घर निकलो बाद में बात करते हैं.’’ पुनीत ने उस समय तो बात टालने के मकसद से यह कह कर बात खत्म कर दी थी.
धीरेधीरे पुनीत को यह बात समझ आ गई थी कि दुकान की आमदनी का बहुत बड़ा हिस्सा वह मुसकान पर खर्च कर रहा है. पुनीत यह सोच कर हैरान था कि इसी तरह चलता रहा तो किसी दिन उस का ज्वैलरी का कारोबार ठप्प हो जाएगा.
प्रेमिका की आए दिन बढ़ने वाली डिमांड उस की परेशानी का सबब बन चुकी थी. इस बार 60-70 हजार के आईफोन की डिमांड से पुनीत मन ही मन तिलमिला गया था. उसे अब रातरात भर नींद नहीं आ रही थी.
आखिर में पुनीत ने मुसकान से छुटकारा पाने का कठोर निर्णय ले लिया था. अपनी इस योजना में उस ने दुकान पर काम करने वाले नौकर अन्नू को रुपयों का लालच देते हुए शामिल कर लिया था.
योजना के मुताबिक पुनीत ने 3 जुलाई की सुबह अचानक मुसकान को फोन किया, ‘‘हैलो मुसकान, जल्दी से तैयार हो जाओ, आईफोन लेने के लिए नागपुर चलना है.’’
मुसकान आईफोन मिलने की खुशी में पागल हो गई और जल्दी से तैयार हो कर घर से बाहर निकलते हुए मां से केवल इतना ही कह पाई, ‘‘मैं बाजार जा रही हूं, कुछ देर में वापस आती हूं.’’
कुछ ही देर में पुनीत और अन्नू कार ले कर बाजार आ चुके थे. बाजार से मुसकान को कार में बिठा कर वे नागपुर के लिए रवाना हो गए.
कार पुनीत ही ड्राइव कर रहा था और मुसकान अगली सीट पर बैठी थी, जबकि पिछली सीट पर बैठा अन्नू मोबाइल पर गेम खेलने का नाटक कर रहा था.
कार से सफर के दौरान मुसकान को बीयर की पेशकश की गई, लेकिन उस ने इंकार कर दिया. पुनीत और अन्नू ने मिल कर शराब पी. कुछ ही घंटों में कार मध्य प्रदेश की सीमा से बाहर निकल चुकी थी.
रास्ते में सुनसान जगह पर पुनीत ने कार रोकी और बराबर की सीट पर बैठी मुसकान के गले में हाथ डाल कर प्यार का नाटक करने लगा. इसी दौरान पीछे बैठे हुए अन्नू ने उस का जोर से गला दबा दिया. मुसकान ने जोर से चीखने की कोशिश की, मगर पुनीत ने उस का मुंह हथेली से बंद कर दिया.
कुछ ही देर में जब वह बेहोश हो गई तो दोनों ने उसे कार से बाहर खींच लिया और सड़क पर पड़े पत्थर से उस का सिर कुचल कर मौत के घाट उतार दिया. मुसकान की लाश को सड़क के किनारे लुढ़का कर दोनों कार से अमला वापस आ गए.
पुनीत ने मुसकान की ब्लैकमेलिंग से तंग आ कर उसे प्रदेश के बाहर खत्म करने की योजना इसलिए बनाई ताकि किसी को उस पर शक न हो. मगर पुलिस की नजरों से वह ज्यादा दिन तक बच नहीं सका.
महाराष्ट्र के काटोल पुलिस के टीआई महादेव आचरेकर और मध्य प्रदेश के अमला पुलिस के टीआई संतोष पंद्रे की सूझबूझ से 11 जुलाई को मुसकान की हत्या के राज से परदा हट गया.
महाराष्ट्र पुलिस ने पुनीत सोनी और अन्नू को मुसकान की हत्या के जुर्म में भादंवि की धारा 302 और 201 के तहत दर्ज कर कोर्ट में पेश किया, जहां से पुनीत को नागपुर सैंट्रल जेल और अन्नू को बाल सुधार गृह भेज दिया. द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में अन्नू परिवर्तित नाम है.