हम ने कई फिल्मों में रा और आईएसआई के एजेंटों के बारे में देखा है. टीवी पर भी इस से संबंधित कई सीरियल आए हैं. जैसे अनिल कपूर का मशहूर शो ‘24’ भी काफी लोकप्रिय हुआ था. इस में अनिल कपूर ने एक रा एजेंट की भूमिका निभाई थी. आज के किशोर आधुनिक तकनीकी के साथ हर चीज से अपडेट रहना चाहते हैं तो क्यों न उन्हें दुनिया की खासखास और बेहतरीन खुफिया एजेंसियों के बारे में जानकारी दी जाए.

किसी भी देश में सुरक्षा और चौकसी बनाए रखने के लिए कई तरह की सेनाओं, एजेंसियों और अन्य माध्यमों का प्रयोग किया जाता है. इन में से एक महत्त्वपूर्ण कार्य है जासूसी करना. यह काम सरकारी जासूसी एजेंसी से कराया जाता है. खुफिया एजेंसियों का काम दूसरे देशों और संगठनों में सेंध लगा कर उन की जानकारी अपने देश के लिए निकालना होता है.

यही कारण है कि हर देश अपनी सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए खुफिया एजेंसियों पर निर्भर रहता है. वह खुफिया जानकारी ही होती है, जो किसी भी वारदात को अंजाम तक पहुंचने से पहले रोक सकती हैं.

दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों के असर को काटने के लिए अपनी खुफिया एजेंसी को ज्यादा कारगर बनाना जरूरी होता है. इन एजेंसियों में काम करने वाले लोग और इन के तरीके आम लोगों को पता नहीं होते. इन का सार्वजनिक रूप से कभी खुलासा भी नहीं किया जाता. इन के काम का भी कोई सेट फार्मूला नहीं होता है. यहां कुछ खुफिया एजेंसियों के बारे में बताया जा रहा है, जिन के काम करने की शैली आम लोगों के लिए हमेशा राज ही रहती है.

रा (रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग, भारत)

खुफिया एजेंसी किसी भी देश की सुरक्षा में अपना अलग महत्त्व रखती है. रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग (रा) का गठन 1962 के भारतचीन युद्ध और 1965 के भारतपाक युद्ध के बाद तब किया गया, जब इंदिरा गांधी सरकार ने भारत की सुरक्षा की जरूरत को महसूस किया. इस की स्थापना सन 1968 में की गई थी. इसे दुनिया की ताकतवर खुफिया एजेंसी माना जाता है.

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इस पर खासतौर से विदेशी धरती से भारत के खिलाफ रची जाने वाली साजिशों, योजनाओं का पता लगाने, अपराधियों और आतंकवादियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और उस के हिसाब से देश के नीति निर्माताओं को जानकारी मुहैया कराने की जिम्मेदारी है, ताकि देश और यहां के लोगों की सुरक्षा संबंधी नीतियों को बेहतर बनाया जा सके.

इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है. यह एजेंसी भारत के प्रधानमंत्री के अलावा किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है. यह विदेशी मामलों, अपराधियों, आतंकियों के बारे में पूरी जानकारी रखती है. रा अपने खुफिया औपरेशंस के लिए जानी जाती है. इस ने अपनी कार्यकुशलता के जरिए कई बडे़ आतंकी हमलों को नाकाम किया है.

इस के सभी मिशन इतने सीक्रेट होते हैं कि किसी को कानोंकान खबर तक नहीं होती. यहां तक कि एजेंसी में काम करने वालों के परिजनों तक को पता नहीं होता कि वह किस मिशन पर काम कर रहा है. यह एजेंसी इतनी खुफिया है कि किसी भी अखबार को इस के बारे में छापने की अनुमति नहीं है.

आईएसआई (इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस, पाकिस्तान)

यह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी है जो आतंकवाद और उपद्रव को बढ़ाने के लिए भी बदनाम रही है. आईएसआई की स्थापना सन 1948 में की गई थी. 1950 में पूरे पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का जिम्मा आईएसआई को सौंप दिया गया था.

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इस में सेना के तीनों अंगों के अधिकारी मिल कर काम करते हैं. अमेरिका क्राइम रिपोर्ट के मुताबिक आईएसआई को सब से ताकतवर एजेंसी बताया गया था. हालांकि आईएसआई पर आए दिन आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. भारत में हुए कई आतंकी हमलों में भी आईएसआई के एजेंटों की भूमिका उजागर हो चुकी है. इस का मुख्यालय इस्लामाबाद में है.

सीआईए (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी, अमेरिका)

यह अमेरिका की बहुचर्चित खुफिया एजेंसी है. इस की स्थापना सन 1947 में तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने की थी. सीआईए 4 भागों में बंटी हुई है. इस का मुख्यालय वर्जीनिया में है. सीआईए सीधे डायरेक्टर औफ नैशनल इंटेलिजेंस को रिपोर्ट करती है. 2013 में वाशिंगटन पोस्ट ने सीआईए को सब से ज्यादा बजट वाली खुफिया एजेंसी बताया था. साइबर क्राइम, आतंकवाद रोकने समेत सीआईए देश की सुरक्षा के लिए काम करती है. कहा जाता है कि अमेरिका को सुपर पावर का दरजा सीआईए के खुफिया कार्यक्रमों की वजह से ही मिल पाया है.

वैसे भारत में ही नहीं, दुनिया के कई देशों में सीआईए की गतिविधियों को ले कर सदैव प्रश्नचिह्न लगते रहे हैं. हालांकि ओसामा बिन लादेन को मार गिराने में सीआईए की सफलता एक लंबे अरसे के बाद मिली ऐतिहासिक विजय मानी गई थी. सीआईए के पास दूसरे देशों से खुफिया जानकारी जुटाने के अलावा आतंकवाद, परमाणु हथियार और देश के बड़े नेताओं की सुरक्षा का भी जिम्मा है.

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मौजूदा समय में सीआईए के सामने आतंकवाद एक बड़ी चुनौती है. कहा जाता है कि सीआईए का बजट अरबों डौलर का होता है. इसे मिलने वाले पैसे की जानकाररी को वैसे तो गुप्त रखा जाता है पर माना जाता है कि 2017 में इस के लिए अमेरिकी सरकार ने 12.82 अरब डौलर का बजट दिया था.

एमआई-6 (मिलिट्री इंटेलिजेंस सेक्शन-6, ब्रिटेन)

जेम्स बौंड सीरीज की फिल्मों में बौंड के किरदार को इसी इंटेलिजेंस एजेंसी का सीक्रेट एजेंट बताया जाता है. अब आप समझ ही गए होंगे कि तकनीक और बहादुरी में इस का कोई मुकाबला नहीं है. इस की स्थापना सन 1909 में की गई थी. यह सब से पुरानी खुफिया एजेंसियों में से एक है. माना जाता है कि इस एजेंसी ने अपनी सेवाएं प्रथम विश्वयुद्ध में भी दी थीं और हिटलर को हराने में इस की मुख्य भूमिका थी.

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इस एजेंसी की खास बात यह भी है कि यह दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों को भी उन के मिशन में मदद करती है. इसे यूनाइटेड किंगडम की सुरक्षा का गुप्त मोर्चा भी कहा जाता है. एमआई-6 जौइंट इंटेलिजेंस, डिफेंस सरकार के साथ जानकारी साझा करने जैसे काम करती है.

एमएसएस (मिनिस्ट्री औफ स्टेट सिक्योरिटी, चीन)

यह चीन की एकलौती खुफिया एजेंसी है, जो आंतरिक और बाहरी दोनों मामलों पर नजर रखती है. इस का मुख्यालय बीजिंग में है. यह एजेंसी चीन को विश्व की गतिविधियों से अवगत कराती है. इस एजेंसी के जिम्मे काउंटर इंटेलिजेंस औपरेशंस और विदेशी खुफिया औपरेशंस को चलाना है. इस का गठन सन 1983 में हुआ था.

यह एजेंसी देश के आंतरिक मामलों में दखल बस कम्युनिस्ट पार्टी की लोकप्रियता बनाए रखने के लिए देती है. चीन जैसे कम्युनिस्ट देश में कई बार सूचनाओं पर भी प्रतिबंध लग जाते हैं.

वैसे भी यहां की कम्युनिस्ट सरकार को अगर कोई गुप्त सूचना या दुश्मन के बारे में जानना होता है तो वह एमएसएस को ही याद करती है. यह चीनी सरकार की सब से भरोसेमंद एजेंसी है. इस एजेंसी का एक ही मकसद है चीनी जनता की रक्षा और कम्युनिस्ट पार्टी का शासन बरकरार रखना.

पिछले 2 दशकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह तेजी से उभरी है. इस की खासियत यह है कि जितनी बारीकी से यह अपने देश के नागरिकों की हर गतिविधि का रिकौर्ड रखती है, उतना ही मजबूत तंत्र इस का विदेशों में भी है.

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चीन ने जिस तरह से आर्थिक क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपना दबदबा बनाया है और उस से महाशक्ति अमेरिका तक परेशान है, ठीक इसी तरह उस की खुफिया एजेंसी भी काफी मजबूत हो गई है. उस के स्लीपर सेल आज दुनिया के कोनेकोने में फैले हुए हैं.

एएसआईएस (आस्ट्रेलियन सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस, आस्ट्रेलिया)

यह आस्ट्रेलिया की खुफिया एजेंसी है. पिछले 2 दशकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह तेजी से उभरी है. इस का मुख्यालय कैनबरा में है. इस का सहयोग व्यापार और विदेशी मामलों में भी लिया जाता है. 13 मई, 1952 को इस जांच एजेंसी का गठन किया गया था. इस की इंटेलिजेंसी काफी कुशल है जो अब तक इसे अंतरराष्ट्रीय खतरों से बचाए हुए है. इस का कार्यक्षेत्र एशिया और प्रशांत महासागर के क्षेत्र हैं.

यह खुफिया एजेंसी आस्ट्रेलियाई सरकार की एक तरह से वाचडौग है और यह चौबीसों घंटे देश की सेवा में लगी रहती है. पिछले कुछ सालों में इस ने कई घरेलू और बाहरी अपराधियों को गिरफ्तार करवाया है.

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मोसाद (इजराइल)

यह खुफिया एजेंसी दुनिया की सब से बेहतरीन खुफिया एजेंसी मानी जाती है. इस एजेंसी का अरब के देशों में काफी दबदबा है. इस की स्थापना सन 1949 में की गई थी. इस के बारे में खास बात यह है कि ये अपना काम बहुत ही क्रूरता के साथ करती है.

अगर इजराइल या फिर उस के नागरिकों के खिलाफ कोई साजिश रची जा रही हो तो जानकारी मिलने पर मोसाद के खूंखार एजेंट ऐसे साजिशकर्ताओं को दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ कर मौत के घाट उतार देते हैं.

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यह दुनिया की सब से खतरनाक खुफिया एजेंसी है. कहा जाता है कि इस का कोई भी औपरेशन आज तक फेल नहीं हुआ. मोसाद मुख्यत: आतंक विरोधी औपरेशंस को अंजाम देती है और सीक्रेट औपरेशंस चलाती है, जिस का उद्देश्य देश की रक्षा करना होता है. वैसे तो मोसाद काम इजराइल में अन्य एजेंसियों के साथ मिल कर करती है, लेकिन उस की जवाबदेही केवल प्रधानमंत्री को ही है.

डीजीएसई (डायरेक्टोरेट जनरल फौर एक्सटर्नल सिक्योरिटी, फ्रांस)

इस एजेंसी को सन 1982 में बनाया गया था, जिस का मकसद फ्रांस सरकार के लिए विदेशों से खुफिया जानकारी एकत्र करना है. इस का मुख्यालय पेरिस में है. यह एजेंसी अन्य देशों की खुफिया एजेंसी से काफी अलग है. डीजीएसई सिर्फ देश के बाहरी मामलों पर नजर रखती है. इस का मुख्य काम सरकार को आईएसआई की गतिविधियों से आगाह कराना है.

यह लोकल पुलिस के साथ मिल कर भी काम करती है. इस एजेंसी के द्वारा सेना और पुलिस को रणनीति बनाने में बहुत सहयोग दिया जाता है. कुछ देशों की तरह यह एजेंसी भले ही शक्तिशाली न हो लेकिन 9/11 के बाद इस ने 15 आतंकवादी घटनाएं होने से बचाई है. संसाधनों की कमी के बावजूद इस के हजारों जासूस दुनिया भर में फैले हुए हैं.

बीएनडी (फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस, जर्मनी)

जर्मनी की बीएनडी को बेहतरीन और आधुनिक तकनीकों से लैस खुफिया एजेंसी माना जाता है. इस का मुख्यालय म्यूनिख के पास पुलाच में है. इस एजेंसी की खास बात यह है कि यह दुनिया भर की फोन काल्स पर खास नजर रहती है. इस एजेंसी के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है.

इस की निगरानी प्रणाली इतनी शानदार है कि शायद ही कोई इंटेलिजेंस एजेंसी इसे मात दे पाए. खतरे को पहले ही भांप कर यह उसे खत्म कर देती है. इस का गठन सन 1956 में हुआ था. बीएनडी योजनाबद्ध अपराध, प्रौद्योगिकी के अवैध हस्तांतरण, हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी, मनी लांड्रिंग और गैरकानूनी ढंग से देश से आनेजाने वालों का भी मूल्यांकन करती है.

समय के साथसाथ इस एजेंसी ने अपने कदम काफी आगे बढ़ा लिए हैं, इस एजेंसी की सब से बड़ी ताकत इस के जासूस होते हैं. अपने जासूसों के बल पर ही यह एजेंसी जान पाती है कि दुनिया में क्या चल रहा है. कहते हैं कि मौजूदा समय में बीएनडी के पास लगभग 4 हजार जासूसों का नेटवर्क है.

देश की सुरक्षा से संबंधित इस एजेंसी के पास बहुत से अधिकार भी हैं जैसे कि सुरक्षा की बात हो तो यह कभी भी किसी का भी फोन टेप कर सकती है. किसी की निजी जानकारी लेने पर भी वह किसी भी प्रकार की बाधा में नहीं फंसते हैं.

एफएसबी (फेडरल सिक्योरिटी सर्विस, रूस)

1995 में स्थापित एफएसबी खुफिया एजेंसी का लोहा पूरी दुनिया मानती है. इस का मुख्यालय मौस्को में है. माना जाता है कि सूचना देने और सुरक्षा पहुंचाने में एफएसबी का कोई जवाब नहीं है. खुफिया से जुड़े मामलों के अलावा एफएसबी बौर्डर से जुड़े मामलों पर भी गहरी नजर रखती है. यह गंभीर अपराधों और संघीय कानूनों के उल्लंघन की जांच भी करती है. ऐसा रूस के शीर्ष सुरक्षा बलों का मानना है.

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यूं तो पिछले कई सालों तक जब सोवियत संघ का पतन नहीं हुआ था, तब रूस में खुफिया एजेंसी केजीबी का दबदबा था और राष्ट्रपति पुतिन उस के चीफ रह चुके हैं. लेकिन एफएसबी ने पिछले कुछ सालों से आतंकवाद के खात्मे के लिए जो कार्यक्रम चलाए हैं, उस से यह रूस की नंबर एक खुफिया एजेंसी बन गई है.

इस एजेंसी ने ही रूस को एक बार फिर सुपरपावर देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बना दिया है वरना केजीबी के बंद होने के बाद रूस की परेशानी बढ़ गई थी. देश के बाहर ही नहीं, बल्कि देश में आतंकवाद की संभावित घटनाओं को रोकने के लिए यह मशहूर है.

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