अब्दुल मलिक का प्रौपर्टी डीलिंग का काम था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लौकडाउन था. अब्दुल मलिक का औफिस भी बंद था. 4 अप्रैल, 2020 को शाम के वक्त वह घर में ही था कि उस के मोबाइल पर किसी का फोन आया. अब्दुल मलिक ने स्क्रीन पर नजर डाली तो उस के चेहरे पर मुसकान दौड़ गई, नंबर उस की प्रेमिका सूफिया का था.
घर वालों के सामने वह प्रेमिका से खुल कर बात नहीं कर सकता था, लिहाजा कमरे से बाहर निकल गया. अब्दुल मलिक लखनऊ के थाना सआदतगंज के नौबस्ता मंसूरनगर में रहता था. उस की प्रेमिका सूफिया का घर उस के घर से करीब 100 मीटर दूर था.
बाहर जा कर वह सूफिया से धीरेधीरे बात करने लगा. सूफिया ने उसे बताया कि उस के अब्बू और भाई ने उस की पिटाई की है और वह उस से कुछ बात करना चाहते हैं. उन्होंने तुम्हें अभी घर बुलाया है, थोड़ी देर के लिए घर आ जाओ.
सूफिया की बात सुन कर अब्दुल मलिक परेशान हो गया. उस ने उसी समय फोन कर के अपने दोस्त अब्दुल वसी को बुलाया और मोटरसाइकिल पर दोस्त को ले कर सूफिया के घर पहुंच गया. सूफिया के घर उस के परिवार के लोगों के अलावा उस के ताऊ सुलेमान भी अपने दोनों बेटों रानू और तानू के साथ मौजूद थे.
अब्दुल मलिक और अब्दुल वसी जब वहां पहुंचे तो घर में शांति थी. वहां मौजूद सब लोग उन दोनों को इस तरह से देखने लगे जैसे उन्हें उन के ही आने का इंतजार हो. सूफिया भी अपने कमरे से बाहर निकल आई.
सूफिया के बाहर आते ही उस का भाई दानिश भड़क उठा. वह तेज आवाज में बोला, ‘‘अभी तुझे इतना समझाया था, तेरी समझ में कुछ नहीं आया जो यार की आवाज सुनते ही बाहर आ गई. लगता है तू ऐसे नहीं मानेगी. अब देखता हूं कि तुझे बचाने के लिए कौन आता है.’’
इतना कह कर वह सूफिया पर टूट पड़ा और कमरे में रखे डंडे से उस की पिटाई करने लगा. घर वालों ने कुछ देर पहले ही उस की काफी पिटाई की थी, जिस से उस का बदन दुख रहा था. फिर से पिटाई होने पर वह बुरी तरह कराहने लगी.
उस का दुख और कराहट अब्दुल मलिक से देखी नहीं गई. लिहाजा वह प्रेमिका को बचाने के लिए आगे आया. जैसे ही वह सूफिया को बचाने के लिए बढ़ा, तभी दानिश बहन को छोड़ अब्दुल मलिक पर टूट पड़ा.
सूफिया ने मलिक को बचाने का प्रयास किया तो उस के पिता उस्मान और ताऊ सुलेमान आ गए. उन दोनों ने सूफिया को धक्का दे कर अलग गिरा दिया. फिर वे दोनों भी मलिक पर टूट पड़े.
अपने दोस्त को बचाने के लिए वसी आगे आया तो सुलेमान के दोनों बेटे रानू और तानू ने अब्दुल वसी को दबोच लिया और उस की पिटाई करने लगे. वे सब अब्दुल मलिक और वसी पर अपनी भड़ास उतार रहे थे. सूफिया लहूलुहान हो चुकी थी. इतने पर भी वह किसी तरह अपने प्रेमी को बचाने की कोशिश करती रही. पर उस की कोशिश नाकामयाब रही.
इसी दौरान अब्दुल वसी किसी तरह उन के चंगुल से छूट कर वहां से निकला. वहां से भाग कर वह सीधे थाना सआदतगंज पहुंचा, क्योंकि नौबस्ता मंसूरनगर इसी थाने के अंतर्गत आता है.
लौकडाउन वैसे ही पुलिस का सिरदर्द बना हुआ. जिस समय अब्दुल वसी सआदतगंज थाने पहुंचा, उस समय एडिशनल डीसीपी (वेस्ट) विकासचंद्र त्रिपाठी, एसीपी अनिल कुमार यादव के साथ सर्किल के पुलिसकर्मियों के साथ मीटिंग कर रहे थे.
अब्दुल वली ने यह जानकारी एडिशनल डीसीपी (वेस्ट) विकासचंद्र त्रिपाठी को दी. वह खुद भी घायल था. एडिशनल डीसीपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए थानाप्रभारी को तुरंत मौकाएवारदात पर रवाना कर दिया.
इस के बाद वसी ने फोन कर के यह सूचना अपने दोस्त अब्दुल मलिक के पिता अब्दुल करीम को भी दे दी. उस्मान और उस के घर के लोगों द्वारा अपने बेटे की पिटाई करने की खबर सुन कर करीम भौंचक रह गए. वह भी परिवार के लोगों के साथ गुस्से में उस्मान के घर की तरफ दौड़े.
उस के घर वाले जब उस्मान के घर पहुंचे तो पहले ही वहां पुलिस मौजूद थी. लेकिन वहां का माहौल बड़ा गमगीन था. घर में अब्दुल मलिक और उस की प्रेमिका सूफिया की लाशें पड़ी थीं. दोनों ही लाशें खून से लथपथ थीं. खून लगे डंडों के अलावा वहां खून सनी ईंटें भी पड़ी थीं. लग रहा था कि दोनों की हत्या डंडों से पीटपीट कर की गई थी.
जवान बेटे की लाश देख कर अब्दुल करीम का कलेजा गले में आ गया. वह बिलखबिलख कर रोने लगे. पुलिस ने उस्मान से उन दोनों हत्याओं के बारे में पूछताछ की तो उस ने बड़ी सहजता से स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी बेटी सूफिया और अब्दुल मलिक की हत्या की है.
पुलिस ने उस्मान को उसी समय हिरासत में ले लिया. इस के बाद थानाप्रभारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस दोहरे हत्याकांड की जानकारी दे दी.
सूचना पा कर एडिशनल डीसीपी (पश्चिम) विकासचंद्र त्रिपाठी और एसीपी अनिल कुमार यादव कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गए. उन्होंने भी मौकामुआयना करने के बाद आरोपी उस्मान से पूछताछ की. पुलिस ने मौके से सारे सबूत अपने कब्जे में ले लिए.
अब्दुल मलिक की हत्या की सूचना मिलते ही उस के घर में जैसे कोहराम मच गया. उस की पत्नी तो रोतरोते बारबार बेहोश हो रही थी. महिलाएं किसी तरह उसे संभाले हुई थीं.
इस दोहरे हत्याकांड की खबर सुन कर मोहल्ले के कई लोग उस्मान के घर के सामने जमा होने लगे, लेकिन लौकडाउन की वजह से उन्हें एक साथ एकत्र नहीं होने दिया गया. अधिकांश को पुलिस ने उन के घर भेज दिया. मृतकों के परिवार के जो नजदीकी लोग वहां बचे थे, उन्हें सोशल डिस्टैंस की बात कह कर एकदूसरे से एक मीटर दूर खड़े रहने के निर्देश दिए.
जरूरी काररवाई करने के बाद पुलिस ने अब्दुल मलिक और सूफिया के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए. उस्मान ने अपनी बेटी और उस के प्रेमी मलिक की हत्या खुद अकेले ही करने की बात कही थी, लेकिन यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी कि अकेला आदमी 2 जनों की हत्या, वह भी डंडे से पीट कर कैसे कर सकता है. इसलिए पुलिस ने उस्मान से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सच्चाई उगल दी.
उस्मान ने बताया कि दोनों की हत्या में उस के साथ उस का बेटा दानिश भी था. पूछताछ में यह भी पता लगा कि इस दोहरे हत्याकांड में उस्मान का बड़ा भाई सुलेमान, सुलेमान के दोनों बेटे रानू व तानू भी शामिल थे.
मुस्तैदी दिखाते हुए पुलिस ने दानिश को भी उसी समय हिरासत में ले लिया. इस के बाद पुलिस ने सुलेमान के घर दबिश दे कर उसे व उस के बेटे रानू को भी हिरासत में ले लिया जबकि दूसरा बेटा तानू फरार हो गया था.
चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस थाने ले आई. उन सब से अब्दुल मलिक और सूफिया की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने जो कहानी बताई, वह प्यार की बुनियाद पर रचीबसी निकली
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का एक थाना है सआदतगंज. शहर में स्थित इस थाने के अंतर्गत आता है नौबस्ता मंसूरनगर. यहीं पर अब्दुल मलिक अपनी पत्नी और 4 बच्चों के साथ रहता था. वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था.
उस के घर से कोई 100 मीटर दूर उस्मान और सुलेमान रहते थे. अब्दुल मलिक के पिता अब्दुल करीम और सुलेमान की आपस में अच्छी दोस्ती थी. पारिवारिक संबंधों की वजह से उन का एकदूसरे के घर आनाजाना था.
अब्दुल मलिक भी उन के यहां आताजाता था. वहीं पर उस की मुलाकात उस्मान की 19 वर्षीय बेटी सूफिया से हुई. सूफिया बहुत खूबसूरत थी. हालांकि 32 वर्षीय अब्दुल मलिक शादीशुदा था, लेकिन इस के बावजूद उस का मन सूफिया पर डोल गया. उस ने उस की छवि अपने दिल में बसा ली. यह करीब एक साल पहले की बात है.
सूफिया भी जवानी के उफान पर थी. उस की हसरतें उड़ने के लिए फड़फड़ा रही थीं. चूंकि अब्दुल मलिक शादीशुदा होने की वजह से इस मामले में अनुभवी था, लिहाजा उस ने अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से उसे अपने प्यार के जाल में फंसा लिया. इस तरह दोनों के बीच प्यार का सफर शुरू हो गया. लेकिन इस सफर का अंत क्या होगा, इस बात पर दोनों में से किसी ने भी गंभीरता से नहीं सोचा.
अब्दुल मलिक और उस्मान के पारिवारिक संबंधों की आड़ में उन का प्यार अमरबेल की तरह बढ़ता गया. दोनों के ही घर वालों ने अब्दुल मलिक और सूफिया की बातों को कभी शक के नजरिए से नहीं देखा.
बाद में जब अब्दुल मलिक का उस्मान के घर आनेजाने का सिलसिला ज्यादा बढ़ गया और उस के आने पर सूफिया की खुशी उस के चेहरे पर झलकने लगी तो उन्हें दोनों के संबंधों पर शक होने लगा.
दोनों की पोल एक दिन तब खुली जब दानिश के एक दोस्त ने दोनों को लखनऊ के गौतमबुद्ध पार्क में झाड़ी की ओट में बैठ कर बातचीत करते देख लिया. उस दोस्त ने यह बात सूफिया के भाई दानिश को बता दी. दानिश के लिए यह बेइज्जती वाली बात थी. लिहाजा उस ने इस बारे में अपनी अम्मीअब्बू को बता दिया.
इस के बाद सूफिया के घर वालों को यह बात समझने देर नहीं लगी कि अब्दुल मलिक का उन के घर आने का असली मकसद क्या है. बहरहाल, उन्होंने ज्यादा होहल्ला करने के बजाए सूफिया को ही समझाया. इस के अलावा उन्होंने अब्दुल मलिक के पिता अब्दुल करीम से भी इस बारे में शिकायत की.
चूंकि अब्दुल करीम सूफिया के ताऊ सुलेमान के दोस्त थे, इसलिए सुलेमान ने भी अब्दुल करीम से बात की. करीम ने बेटे मलिक को समझाया कि वह शादीशुदा और 4 बच्चों का बाप है, इसलिए इस तरह की हरकतों से बाज आए.
घर वालों के समझानेबुझाने पर अब्दुल मलिक और सूफिया कुछ दिनों तक नहीं मिले. हां, फोन पर बातें जरूर कर लेते थे. दोनों ने तय कर लिया था कि चाहे कोई भी उन के ऊपर बंदिशें लगाए, जुदा नहीं होंगे. उन का प्यार हमेशा बरकरार रहेगा.
अब्दुल मलिक ने जब उस्मान के घर जाना बंद कर दिया तो वे लोग समझ गए कि अब मलिक और सूफिया ने मिलनाजुलना छोड़ दिया है, जबकि हकीकत कुछ और ही थी. दोनों प्रेमियों के दिलों में प्यार की आग ठंडी नहीं पड़ी थी, बल्कि मुलाकात न होने पर उन की चाहत और बढ़ गई थी.
आखिर चोरीछिपे उन्होंने घर के बजाय रेस्टोरेंट आदि जगहों पर मिलना शुरू कर दिया था. लेकिन उन की यह लुकाछिपी ज्यादा दिनों तक बरकरार नहीं रह सकी.
एक दिन सूफिया के भाई दानिश ने खुद अपनी बहन सूफिया को आलमबाग इलाके में अब्दुल मलिक की मोटरसाइकिल पर घूमते देख लिया. यह देख कर उस का खून खौल उठा, लेकिन उस समय वह कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि मलिक की मोटरसाइकिल आगे निकल गई थी.
उस दिन सूफिया जब घर लौटी तो दानिश ने उसे आड़ेहाथों लिया. बेटे की शिकायत पर उस के पिता उस्मान ने सूफिया की जम कर पिटाई की. इतना ही नहीं, उस ने बेटी को हिदायत दी कि अगर उस ने मलिक से मिलना नहीं छोड़ा तो अंजाम बुरा होगा.
उस्मान इस बात को नहीं जानता था कि प्यार पर जितना पहरा बैठाया जाता है, वह उतना ही मजबूत होता है. यही हाल अब्दुल मलिक और सूफिया के प्यार का था. वे तन से ही नहीं, मन से भी एकदूसरे के हो चुके थे.
यह बात अब्दुल मलिक की पत्नी को भी पता थी. उस ने भी अपने शौहर को बहुत समझाया पर उस ने पत्नी की बातों को तवज्जो नहीं दी. इस के बाद उस की बीवी ने उस से झगड़ना शुरू कर दिया. नतीजा यह निकला कि उस के प्रेम संबंध को ले कर घर में कलह रहने लगी.
मलिक को उस के घर वाले भी समझातेसमझाते हार चुके थे, पर उस ने सूफिया से मिलना नहीं छोड़ा. सूफिया ने भी घर वालों की परवाह न कर के अब्दुल मलिक के घर जाना शुरू कर दिया. सूफिया की इस जिद से उस के घर वाले भी तंग आ चुके थे. वे उसे समझाने के साथ उस की पिटाई करकर के उकता गए थे.
पूरे मोहल्ले में उन के घर की खूब बदनामी हो रही थी. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसे में वे क्या करें. शनिवार 4 अप्रैल, 2020 की बात थी. दोपहर के बाद सूफिया अपने प्रेमी अब्दुल मलिक से मिलने उस के घर गई. यह जानकारी जब सूफिया के घर वालों को हुई तो उस के घर लौटने पर भाई और अब्बा ने उस की पिटाई की.
जानकारी मिलने पर सूफिया के ताऊ और उस के दोनों बेटे रानू और तानू भी सूफिया को समझाने के लिए पहुंच गए. सूफिया ने पिटने के बाद भी कह दिया कि चाहे उस की जान चली जाए, वह अब्दुल मलिक को नहीं छोड़ेगी. इस जिद पर उस के घर वालों ने उस की और पिटाई की.
सूफिया की जिद पर घर वाले समझ गए कि अब वह किसी भी कीमत पर मानने वाली नहीं है.
इस के लिए वह अब्दुल मलिक को ही कसूरवार मान रहे थे. उस की वजह से ही उन की इज्जत पूरे मोहल्ले में तारतार हो रही थी. इसलिए उन्होंने तय कर लिया कि वे मलिक को इस की सजा जरूर देंगे.
पिटाई के बाद सूफिया अपने कमरे में चली गई थी. इस के बाद घर के सभी लोगों ने योजना बनाई कि किसी बहाने से अब्दुल मलिक को बुला कर उसे ऐसी सजा दी जाए कि उस के घर वाले भी याद रखें.
योजना के अनुसार उन्होंने सूफिया से कहा कि तू अब्दुल मलिक को फोन कर के बुला ले. उस से भी पूछ लें कि वह शादीशुदा होने के बावजूद तुझ से शादी करने को तैयार है भी या नहीं.
अपने घर वालों की यह बात सुन कर सूफिया थोड़ी खुश हुई कि शायद घर वाले उस की शादी मलिक से कराने के लिए राजी हो गए हैं.
इसलिए उन के कहने पर उस ने प्रेमी अब्दुल मलिक को अपने घर बुला लिया. सूफिया के कहने पर अब्दुल मलिक अपने दोस्त वसी को मोटरसाइकिल पर बिठा कर सूफिया के घर पहुंच गया.
लेकिन सूफिया के घर वाले तो पूरी योजना बनाए बैठे थे. जैसे ही वह वहां पहुंचा, सभी उस पर डंडा ले कर टूट पड़े. किसी तरह वसी वहां से जान बचा कर भागा और सीधे थाने पहुंच गया. इसी दौरान उस्मान और उस के भाई सुलेमान व उन के बच्चों ने अब्दुल मलिक व सूफिया की डंडों से पीटपीट कर हत्या कर दी और ईंट मारमार कर उन के सिर फोड़ दिए.
चारों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने अब्दुल करीम की शिकायत पर चारों आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 147, 323, 302, 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.
उन की निशानदेही पर पुलिस ने वारदात में प्रयुक्त 3 डंडे, ईंट भी बरामद कर ली.
चारों आरोपियों उस्मान, दानिश, सुलेमान और रानू को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें लखनऊ कारागार भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित
सौजन्य: सत्यकथा, मई 2020