उस लड़की की हिम्मत को अब सराहा जाने लगा है, क्योंकि वह निडरता की ऐसी मिसाल बन गई,
जिस की किसी को उम्मीद नहीं थी. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली रीना (बदला हुआ नाम) दबंग प्रवृत्ति के युवाओं की दरिंदगी का शिकार हुई थी. प्यार करने वालों को सजा देने के मामले में बदनाम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की सरजमीं पर उसे 7 हैवानों ने सामूहिक रूप से अपनी हवस का शिकार बनाया था. विरोध करने पर उस के साथ दरिंदगी की गई.
चुप बैठने के बजाय दरिंदगी की शिकार रीना ने सामाजिक शर्म को किनारे रख कर उन्हें सजा दिलाने की ठान ली. लाख तिरस्कार, दबाव, लालच व धमकियों के बावजूद उस ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी लड़ाई लड़ती रही. नतीजतन हैवानियत करने वाले छटपटा कर रह गए. किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन मामूली लड़की निडरता से लड़ाई लड़ कर हैवानियत का खेल खेलने वालों को सजा दिला देगी.
मुजफ्फरनगर की जिला अदालत ने बहुचर्चित गैंगरेप कांड में 31 जुलाई, 2017 को दोपहर 7 युवाओं अब्दुल, राशिद, वासिफ, सोमान, मोनू, राहुल व सलाऊ को उम्रकैद और जुरमाने की सजा सुनाई. इन लोगों ने एक लड़की के साथ न केवल सामूहिक गैंगरेप किया था, बल्कि मोबाइल से उस का एमएमएस भी बना कर वायरल कर दिया था. उन की हनक, हैवानियत और गरीब लड़की की इज्जत को खिलौना समझने की भूल ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचा दिया.
किसी ने पीडि़त लड़की को डरायाधमकाया तो किसी ने उस की लूटी अस्मत को दौलत के तराजू में तौला. पर उन के सारे पैंतरों और दबंगता को उस मामूली लड़की ने चकनाचूर कर दिया. रीना की हिम्मत के सामने उन की सभी कोशिशें व करतूत जवाब दे गईं.
मुजफ्फरनगर के एक गांव की रहने वाली रीना रोंगटे खड़े कर देने वाली हैवानियत से रूबरू हुई. उस के परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी. पिता मजदूरी कर के तथा 2 भैसों को पाल कर किसी तरह परिवार का गुजारा करते थे. रीना खुद शाहपुर कस्बे में एक चिकित्सक के क्लिनिक पर रिसैप्शनिस्ट की नौकरी करती थी. वहीं काम करने वाले एक युवक से उस की दोस्ती हो गई.
17 अगस्त, 2013 को वह अपने दोस्त के साथ बाइक पर सवार हो कर रेस्टोरैंट में खाना खाने के लिए बेगराजपुर जा रही थी. बसधाड़ा गांव के जंगल में वे एक ट्यूबवेल पर रुक कर पानी पीने लगे. इसी बीच 3 युवक वहां पहुंच गए. उन की नजर में इस तरह एक लड़की का किसी लड़के से मिलना गुनाह था.
यह बात अलग थी कि समाज की इस कथित ठेकेदारी की आड़ में उन की खुद की घिनौनी मानसिकता जिम्मेदार थी. उन्होंने रीना के दोस्त के साथ मारपीट की, साथ ही अपने कुछ अन्य साथियों को भी बुला लिया. सभी ने मारपीट कर के रीना के दोस्त को जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से भगा दिया और रीना को पीटते हुए खींच कर खेत में ले गए.
इस के बाद उन सभी लड़कों ने रीना को अपनी हवस का शिकार बनाया. विरोध करने पर उस के साथ मारपीट कर के गालियां दी गईं. एक आरोपी ने ब्लैकमेल करने के लिए मोबाइल से उस की वीडियो भी बना ली, साथ ही धमकी दी कि जब भी बुलाएं आ जाना और अगर पुलिस में जाने की सोची तो उसे बदनाम कर दिया जाएगा.
रीना रोईगिड़गिडाई, पर उन हैवानों पर इस का कोई असर नहीं हुआ. बदनामी के डर से रीना इस घटना के बाद चुप रही. न परिवार को बताया और न ही पुलिस को. अलबत्ता वह घुटन भरी जिंदगी जीती रही. हालात और मजबूरी के आगे परेशान हो कर उस ने गांव छोड़ दिया और गुड़गांव जा कर नौकरी करने लगी.
हैवानियत करने वाले रीना को अपनी मौजमस्ती का साधन बनाना चाहते थे. लेकिन अब वह उन से दूर चली गई थी. इस पर उसे सबक सिखाने के लिए उन्होंने 10 महीने बाद जून, 2014 में वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल कर दी. इस से हड़कंप मच गया. रीना का चेहरा और युवकों की करतूत साफ झलक रही थी. सभी की पहचान से मामला तूल पकड़ गया.
वीडियो क्लिप रोंगटे खड़े कर देने वाली थी. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू की और रीना को खोज निकाला. इस के बाद रीना ने 24 जून, 2014 को सातों आरोपियों के खिलाफ थाने में तहरीर दे दी. मामला गंभीर था. पुलिस ने गैंगरेप और आईटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. आरोपी दूसरे संप्रदाय के थे. इस से इलाके में तनाव भी बढ़ा, लेकिन पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.
पहचान उजागर होने से रीना की जिंदगी दोजख बन गई. समाज ने भी अपनी परंपरागत मानसिकता के चलते उस पर उल्टीसीधी टिप्पणियां कर के अपना रोल बखूबी निभाया. ऐसे लोगों की भी कमी नहीं थी, जो आरोपियों के इस दुष्कर्म पर यह कह कर परदा डालने की कोशिश कर रहे थे कि अगर रीना दोस्त के साथ उस रास्ते से नहीं जाती तो ऐसी नौबत ही नहीं आती.
कई तरह के लांछन लगाए गए. जिल्लत और तोहमतों से रीना का बेहद करीबी रिश्ता बन गया. तोहमत लगाने वाले लोग ज्यादा थे, जो हर मामले में लडकियों की ही गलती निकालने की मानसिकता का शिकार होते हैं. लेकिन इन सब बातों ने रीना को और भी मजबूत बना दिया था. उस ने इंसाफ की लड़ाई लड़ने की ठान ली.
आरोपियों को सजा दिलाना ही उस की जिंदगी का मकसद बन गया. वक्त बीतता रहा. एक साल बाद 7 में से 6 आरोपियों को जमानत मिल गई. आरोपियों के खिलाफ सबूत मजबूत थे. उन्हें सजा का डर था, लिहाजा वे समझौता करना चाहते थे. रीना द्वारा अदालत में बयान बदलने से पूरा केस उलट सकता था. उन की तरफ से दबाव बनाया जाने लगा.
तरहतरह के लालच दिए गए, लेकिन रीना और उसके मातापिता ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. रीना एक असहनीय दर्द से गुजर रही थी. वह रातों को जाग कर रोती थी. उस का दुख कम हो, इसलिए घर वाले उस की गृहस्थी बसा देना चाहते थे. खतौली कस्बे के नजदीक का रहने वाला एक युवक उस का हाथ थामने को तैयार हो गया. फलस्वरूप दोनों का विवाह हो गया.
एक साल तो रीना का ठीक बीता, लेकिन घटना की परछाईं और वक्त ने खुशियों को उस का दुश्मन बना दिया. आरोपियों के पैरोकार रीना की ससुराल तक पहुंच गए. रीना बताती है कि उन्होंने उस के पति को 25 लाख रुपए देने का लालच तक दे डाला. लालच में आ कर पति व ससुराल वालों ने रंग बदल लिया और उस से बयान बदलने को कहने लगे.
उन का तर्क था कि अब उस की शादी हो गई है, इसलिए ऐसी सभी बातों को बीता हुआ कल मान कर भूल जाना चाहिए, वरना बदनामी के सिवा कुछ हाथ नहीं लगेगा. रीना ससुराल वालों के बदले रवैये पर हैरान थी. आरोपी पैसे देने और माफी मांगने को तैयार थे. लेकिन रीना ने किसी की नहीं मानी.
इस मुद्दे पर परिवार में कलह रहने लगी. कई महीनों तक भी जब उस ने ससुराल वालों की बात नहीं मानी तो उसे फरमान सुना दिया गया कि या तो वह बयान बदल कर आरोपियों को बचाने में मदद करे या फिर रिश्ता खत्म कर ले. रीना समझ चुकी थी कि ससुराल में उस का साथ देने वाला कोई नहीं है. यह शर्मनाक हकीकत भी थी कि एक पति जिस ने उसे उम्र भर साथ निभाने का वचन दिया था, वह इंसाफ की डगर पर उस का साथ देने के बजाय उसे कमजोर कर रहा था.
रीना ने जितनी जिल्लत झेली, उतनी ही वह मजबूत होती गई. रीना ने भी ठान लिया कि वह दुराचारियों को कभी माफ नहीं करेगी. लिहाजा उस ने किसी अनहोनी की आशंका के भय से ससुराल से ही रिश्ता खत्म करने का फैसला कर लिया. ससुराल छोड़ कर आपसी सहमति से पतिपत्नी दोनों अलग हो गए. इस चर्चित कांड में मुकदमे के विचेनाधिकारी सबइंसपेक्टर अजयपाल गौतम ने विवेचना कर के सबूतों सहित अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया. अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई. रीना ने पूरा घटनाक्रम अदालत में बयान किया.
अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कय्यूम अली ने इसे गंभीर अपराध बताया, जबकि बचाव पक्ष के वकीलों ने आरोपियों के कैरियर, उम्र व भविष्य की दलीलें दे कर कम से कम सजा की मांग की. अदालत में आरोपियों द्वारा सुनाई गई शर्मिंदा कर देने वाली वीडियो क्लिप को भी देखा गया. उस से उन की वहशत सामने आ गई. अदालत ने वीडियो को अहम सबूत माना.
आरोप तय होने के बाद आखिर 31 जुलाई को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश भारद्वाज ने सातों आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्हें भादंवि धारा 376 (जी) में उम्रकैद व 10-10 हजार रुपए जुरमाना व आईटी एक्ट में 3 साल का करावास व 25-25 हजार रुपए जुरमाने की सजा सुनाई. आरोपियों में सोमान को छोड़ कर सभी अविवाहित थे. सजा के बाद जब आरोपियों को जेल ले जाया गया तो वे मुंह छिपाते नजर आए.
अदालत का फैसला आने के बाद रीना कहती है, ‘मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकती. हैवानों को कभी माफ नहीं किया जा सकता. सजा से दूसरे वहशियों को सीख मिलेगी, ताकि फिर कोई किसी लड़की के साथ ऐसा न कर सके.’
रीना के मातापिता कहते हैं, ‘हम ने बेटी की अस्मत के सामने समझौता नहीं किया. हमें न्याय की पूरी उम्मीद थी.’ हैवानियत करने वाले शायद अपने गुनाह से बच भी जाते, लेकिन अपराध के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली रीना की हिम्मत वाकई काबिलेतारीफ है. उस की हिम्मत ने ही उन्हें उन के गुनाह की सजा दिलाई.