12 जून, 2017 को गुमानी शंकर जिस वक्त कोटा से रवाना हुए, उस समय सुबह के 9 बजे थे. कारोबारी गुमानी शंकर को अपने परिवार के साथ एक वैवाहिक समारोह में भाग लेने श्यामनगर जाना था. गाड़ी वह खुद ड्राइव कर रहे थे. बगल वाली सीट पर उन का पोता हिमांशु बैठा था, जबकि पीछे की सीट पर उन की पत्नी लाडबाई और बहू सुनीता बैठी थी. उन्होंने हाईवे पर अनंतपुरा बाईपास से गुजर कर करीब एक किलोमीटर का फासला तय किया था कि रियरव्यू में उन्हें दाईं तरफ से सफेद रंग की एक कार तेजी से आती दिखाई दी.
गुमानी शंकर बहुत अच्छे ड्राइवर नहीं थे, इसलिए उन्होंने उस कार को साइड देने के लिए अपनी कार की रफ्तार कम कर ली. पीछे से आती कार तेजी से आगे निकल कर गुमानी शंकर की कार के आगे जाकर रुक गई. मजबूरी में गुमानी शंकर को अपनी कार रोकनी पड़ी.
इस से पहले कि गुमानी शंकर कुछ समझ पाते, मुंह पर ढांटा बांधे भारीभरकम एक आदमी ड्राइविंग सीट की ओर का गेट खोल कर फुरती से उन्हें परे धकेलते हुए अंदर आ घुसा और चाबी निकाल कर इग्नीशन औफ कर दिया. चाबी जेब में रख कर उस व्यक्ति ने गन चमकाई तो गुमानी शंकर की आंखें फटी रह गईं. उन के मुंह से बोल तक नहीं निकला. उस ने धमकाते हुए कहा, ‘‘खबरदार! कोई जरा भी आवाज नहीं निकालेगा.’’
गुमानी शंकर की अपनी जगह से हिलने तक की हिम्मत नहीं हुई. उस आदमी की बात से सभी समझ गए कि ये लुटेरे हैं. उस ने पहले डैश बोर्ड टटोला, उस के बाद उन के कपड़ों की तलाशी ली. उसे 30 हजार रुपए मिले, जिन्हें उस ने अपनी जेब में रख लिए.
गुमानी शंकर चाह कर भी कोई विरोध नहीं कर सके. उस ने महिलाओं के गले से मंगलसूत्र तोड़ लिए. गुमानी शंकर ने दिलेरी दिखाने की कोशिश में मुंह खोलना चाहा, लेकिन अपनी तरफ तनी हुई गन ने उन के कसबल ढीले कर दिए. तभी लुटेरों में से एक ने कहा, ‘‘जा रहे हैं सेठ, अफसोस है कि माल उम्मीद से बहुत कम मिला. अब यह सोच कर हलकान मत होना कि हम कौन हैं. बेहतरी इसी में है कि इस वारदात को ही भूल जाओ.’’
इस के बाद लुटेरे फुरती से अपनी कार में सवार हुए और कार मोड़ कर अनंतपुरा की तरफ निकल गए. गुमानी शंकर ने कार से बाहर निकल कर उन्हें देखना चाहा, लेकिन तब तक वे आंखों से ओझल हो चुके थे. उन्होंने तत्काल मोबाइल निकाल कर पुलिस कंट्रोल रूम का नंबर मिलाया. लेकिन पुलिस से संपर्क नहीं हो सका. थकहार कर वह ड्राइविंग सीट पर बैठ गए.
अब तक एक बात उन के दिलोदिमाग में घर कर गई थी कि लुटेरे सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार में आए थे और उस पर नंबर प्लेट नहीं थी. उन की भाषा भरतपुरिया लहजा लिए हुए थी, इस का मतलब वे उधर के थे.
लुटेरों का अगला शिकार गोविंदनगर निवासी सुरेंद्र नायक बने. नायक अपनी पत्नी टीना के साथ बाइक पर थे. गुरुवार 15 जून की सुबह 9 बजे नायक डीडीआई अस्पताल के मुहाने पर पहुंचे थे कि ट्रैफिक नियमों को दरकिनार करते हुए सामने से तेजरफ्तार आ रही सफेद कार को देख कर वह हड़बड़ा गए.
नायक बाइक का संतुलन संभाल पाते, उस के पहले ही कार से फुरती से निकल कर 2 ढांटाधारी युवकों ने उन्हें घेर लिया. उन में से एक ने गन दिखा कर बाइक की चाबी निकाल ली. जबकि दूसरे ने यह कहते हुए झटके से नायक की पत्नी के गले से मंगलसूत्र खींच लिया कि दिनदहाड़े इतने कीमती जेवर पहन कर घर से निकलना अच्छा नहीं है. आइंदा से इस बात को याद रखना.
कोई कुछ समझ पाता, उस के पहले ही दोनों युवक कार में बैठ कर छूमंतर हो गए. लुटेरे बाइक की चाबी भी साथ ले गए थे. नतीजतन नायक के पास हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं रहा. पीसीआर को सूचना दी गई तो थोड़ी देर में पुलिस की टीम वहां पहुंच गई, लेकिन तब तक उन के करने के लिए कुछ नहीं बचा था. ताज्जुब की बात यह थी कि भीड़भरी सड़क पर इतनी बड़ी वारदात हो रही थी और किसी ने उन की मदद नहीं की.
अगले 8 दिनों में कोटा महानगर के अलगअलग इलाकों में दिनदहाड़े लूट की एक दरजन वारदातों ने शहर में तहलका मचा दिया. बदमाश बेखौफ हो कर हाईवे पर दिनदहाड़े हथियारों के बल पर जिस तरह लूटपाट कर रहे थे, पुलिस के लिए खुली चुनौती थी.
हर वारदात में बिना नंबर की स्विफ्ट डिजायर कार और गन के साथ लूटपाट करने वाले दो ढांटाधारी युवकों की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया था कि सभी वारदातें एक ही गिरोह कर रहा है. क्योंकि हर वारदात का स्टाइल एक जैसा था. ट्रैफिक नियमों को धता बताते हुए अचानक शिकार के सामने नमूदार होना और गन दिखा कर जो भी मालमत्ता मिले, लूट कर भाग जाना.
लूटी जाने वाली कार और बाइक सवार को निहत्था करने के मकसद से चाबी साथ ले जाना भी उन की वारदात में शामिल था, ताकि उन का पीछा न किया जा सके. वारदातों से सहमे लोगों में भरोसा बनाए रखने के लिए एसपी अंशुमान भोमिया ने मीडिया के जरिए लोगों को आश्वस्त किया कि लूट के मामलों की गहराई से जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि अपराधियों और अपराध में इस्तेमाल की जा रही कार के बारे में पता लगाया जा रहा है. अपराधी जल्दी ही पुलिस की गिरफ्त में होंगे. इस बीच पुलिस यह जान चुकी थी कि लुटेरों की कार का नंबर आरजे25 सीए 4717 है.
लुटेरे सिर्फ कोटा तक ही सीमित रहे हों, ऐसा नहीं था. जब एसपी अंशुमान भोमिया अपने मातहतों के साथ लूट की घटनाओं की समीक्षा कर रहे थे, उन्हें चौंकाने वाली सूचना मिली कि लूट की ऐसी ही वारदातें बूंदी, टोंक, बारां और उदयपुर में भी हो चुकी हैं.
लुटेरे जीआरपी थाना क्षेत्र, सवाई माधोपुर में 2 ट्रेनों में भी लूट की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. ट्रेनों में लूटपाट के दौरान उन्होंने सिर्फ महिलाओं को ही निशाना बनाया था. उन्होंने महिलाओं से कहा था कि किसी भी तरह की गलत हरकत से बचना चाहती हैं तो बिना देर किए जेवर उतार कर दे दें. डरीसहमी महिलाओं ने एक पल की भी देर नहीं की थी.
एक तरफ पुलिस सफेद स्विफ्ट डिजायर कार वाले लुटेरों की तलाश में भटक रही थीं तो दूसरी तरफ उन की गतिविधियां चरम पर थीं. हालात दिनोंदिन पेचीदा होते जा रहे थे. इस पर कोटा संभाग के आईजी विशाल बंसल ने एसपी अंशुमान भोमिया को सलाह दी कि लुटेरों को गिरफ्तार करने के लिए विशेष दल का गठन कर के कोटा, बूंदी और टोंक पुलिस का जौइंट औपरेशन शुरू कराएं.
एसपी अंशुमान भोमिया लुटेरों को पकड़ने के लिए एडीशनल एसपी अनंत कुमार के निर्देशन में डीएसपी शिवभगवान गोदारा, राजेश मेश्राम, सीआई अनिल जोशी, लोकेंद्र पालीवाल, धनराज मीणा, शौकत खान, रामनाथ सिंह और सर्किल इंसपेक्टर श्रीचंद को शामिल कर के विशेष टीमों का गठन कर दिया.
पहली टीम सीआई लोकेंद्र पालीवाल की अगुवाई में कोटा, बूंदी हाईवे पर नजर रख रही थी, जबकि दूसरी टीम अनिल जोशी के नेतृत्व में मुखबिर तंत्र के जरिए शहर से रिसने वाली सूचनाएं खंगाल रही थी. बूंदी और टोंक पुलिस ने भी अपने खुफिया तंत्र को हाईवे पर मुस्तैद कर दिया था.
बूंदी के एसपी राजेंद्र सिद्धू के निर्देशन में लुटेरों की तलाश में जुटी पुलिस की जांच में 2 बातें सामने आईं. पहली तो यह कि लुटेरे नाकों से गुजरने से बच रहे थे, साथ ही उन के निशाने पर वही लोग होते थे, जिन के साथ महिलाएं होती थीं. लुटेरे जरूरत से ज्यादा दुस्साहसी थे. यही वजह थी कि वे हर वारदात में एक ही स्विफ्ट डिजायर कार इस्तेमाल कर रहे थे और घूमफिर कर उन्हीं इलाकों में वारदात कर रहे थे.
पुलिस ने लूट में इस्तेमाल की जा रही कार को टारगेट कर के पूरे कोटा शहर की कड़ी नाकेबंदी कर दी. नाकेबंदी के दौरान करीब एक हजार कारों को चैक किया गया, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.
लुटेरों की टोह में पुलिस पूरी तरह सक्रिय थी, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लग रही थी. कशमकश के दौरान एसपी अंशुमान भोमिया के दिमाग में एक खयाल कौंधा, हालांकि खयाल दूर की कौड़ी था, लेकिन टटोलने में कोई हर्ज नहीं था.
दूर की यह कौड़ी 31 मई की वारदात से जुड़ी थी, जिस में जीआरपी पुलिस ने जयपुर सुपरफास्ट में लूटपाट करने वाले अबरार और सोनू मीणा नाम के 2 लुटेरों को सवाई माधोपुर से पकड़ा था. पूछताछ में उन्होंने अपने 2 साथियों के नाम भी बताए थे, जो फरार हो गए थे.
जीआरपी थानाप्रभारी गंगासहाय शर्मा के मुताबिक उन के नाम वारिस उर्फ भूरिया तथा राजेश मीणा थे. अंशुमान भोमिया ने एडीशनल एसपी अनंत कुमार शर्मा को मन की बात बताई तो वह भी सहमत हो गए. उन के बारे में पुलिस को जो पुख्ता जानकारी हासिल हुई, उस के मुताबिक, दोनों ही जेल से हाल ही में छूटे थे.
21 जून बुधवार की रात जौइंट औपरेशन के तहत अनंत कुमार शर्मा अपनी गाड़ी से गश्त कर रहे थे. अचानक वायरलैस से उन्हें सूचना मिली कि लुटेरे टोंक जिले में वारदात करने के बाद उनियारा की तरफ जा रहे हैं. बूंदी के एसपी राजेंद्र सिद्धू को इस बाबत सूचना मिल चुकी थी और उन की हिदायत पर लाखेरी और इंद्रगढ़ पुलिस स्विफ्ट डिजायर कार का पीछा कर रही थी.
राजेंद्र सिद्धू ने टोंक और उनियारा पुलिस को भी सतर्क कर दिया था. सूत्रों से पता चला कि स्विफ्ट डिजायर कार में बैठे लुटेरों ने खतरा भांप कर इंद्रगढ़ लाखेरी पुलिस पर फायर भी किया था, लेकिन उन्होंने पीछा करना नहीं छोड़ा.
पुलिस के इस जौइंट औपरेशन में कोटा, बूंदी और टोंक पुलिस ने लुटेरों को चारों ओर से घेर लिया. नतीजतन टोंक जिले के थाना सोंप में पुलिस ने उन्हें कल्याणपुरा पायगा गांव के पास रोक लिया. पकड़े गए युवक वारिस उर्फ भूरिया तथा राजेश मीणा थे. अनंत कुमार शर्मा भी पुलिस टीम के साथ पहुंच गए थे. थाना सोंप में काररवाई के बाद दोनों लुटेरों और जब्त कार को लाखेरी, इंद्रगढ़ पुलिस को सौंप दिया गया.
पुलिस उन्हें ले कर बूंदी के लिए रवाना हुई. उन के पास भारी संख्या में जेवरात के अलावा 66 हजार रुपए नकद, एक देशी कट्टा और रिवौल्वर था. पूछताछ में उन्होंने बूंदी और सवाई माधोपुर में वारदातों के अलावा कोटा हाईवे पर की गई वारदातों को भी स्वीकार किया. बूंदी में 5 मामले दर्ज होने से लुटेरों को पहले बूंदी पुलिस को सौंपा गया.
अनिल कुमार शर्मा कोटा पहुंचे तो 2 अन्य लुटेरों के पकड़े जाने की सूचना मिली. इन के नाम मनोज उर्फ बंटी तथा दानिश थे. दोनों के कब्जे से 2 भरी हुई पिस्टलें बरामद हुई थीं. अंशुमान भोमिया के मुताबिक आरोपियों से शुरुआती पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि उन्होंने कुछ समय पहले ही यह कार सवाई माधोपुर के एक व्यक्ति से डेढ़ लाख रुपए में खरीदी थी. लेकिन सौदे की रकम अभी तक नहीं चुकाई गई थी.
एसपी भोमिया ने बताया कि लुटेरों ने वारदातों में जिस कार का उपयोग किया था, उस के आगेपीछे के 4 और 7 नंबर साफ कर दिए गए थे. इस से 17 का अंक ही नजर आ रहा था. उन्होंने बताया कि नाकेबंदी के दौरान एक हजार से ज्यादा सफेद स्विफ्ट डिजायर कारों को चैक किया गया था. फिलहाल आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में हैं.
– कथा पुलिस सूत्रों के आधार पर