दिसंबर का महीना था. रात के 12 बज रहे थे. ठंड भी ज्यादा थी, जिस के कारण मुंबई जैसे व्यस्त महानगर को भी ठंड ने अपनी आगोश में ले लिया था. लोग अपने घरों में रजाई, कंबल में सो रहे थे. कुछ अभी सोने की तैयारी में लगे थे.
मुंबई का ही एक इलाका है मीरा रोड. मीरा रोड में ही एक बंगला था शांति विला. जहां अभी लोग इतनी रात को ठंड के कारण रजाई में दुबके हुए थे, वहीं शांति विला के एक कमरे में अभी भी बहुत हलचल मची हुई थी.
16 साल की एक लड़की जिस का नाम कृति था, अपने हाथ में लिए चाकू से एक आदमी पर बदहवास अपनी पूरी ताकत लगा कर वार पे वार किए जा रही थी, जिस से खून के छींटे उस के चेहरे और कपड़ों पर फव्वारे की तरह आ रहे थे.
उसी कमरे में एक आलीशान पलंग भी था, जिस पर 14 साल की एक लड़की जिस का नाम नयना था, इन बातों से बेखबर बेसुध अभी भी सो रही थी. जबकि खून के छींटे उस के भी कपड़ों पर गिर रहे थे. खून की कुछ बूंदें उस के चेहरे पर भी आ गई थीं.
कृति इतनी बेसुध हो कर सामने वाले इंसान को चाकू घोंपती जा रही थी कि उसे जरा भी आभास नहीं हुआ था कि वह आदमी तो कब का मर चुका है. मगर वह अभी भी उस के पूरे जिस्म पर चाकू से अनगिनत जख्म बनाए जा रही थी. पता नहीं उसे उस आदमी से कितनी नफरत थी, जो वह उसे छलनी बना रही थी.
जब कृति के अंदर का गुस्सा कुछ कम हुआ तो वह रुक कर जोरजोर से सांसें लेने लगी. मगर जैसे ही उस की नजर खून से रंगे अपने हाथों और कपड़ों पर पड़ी तो पता नहीं क्या सोच कर वह जोरजोर से चीखने लगी.
पास के पलंग पर नयना अभी भी कमरे में हो रहे खूनखराबे से अनजान कुंभकरण की नींद सो रही थी. ऐसा लग रहा था, मानो वह नींद की गोली खा कर सो रही हो. पलंग के पास ही फर्श पर उस मृत आदमी का जिस्म खून से लथपथ पड़ा था. उस के शरीर पर एक महंगा नाइट गाऊन था.
शांति विला के चारों ओर ऊंची चारदीवारी थी. चारदीवारी और मकान के बीच में 25 से 30 फीट का फासला था. जिस के कारण कृति के रोनेचिल्लाने की आवाज आसपास के घरों एवं फ्लैटों में नहीं के बराबर ही जा रही थी. वैसे भी जाड़े की रात में लोग ज्यादा ओढ़ढांक कर सोते हैं.
कृति के चीखने एवं जोरजोर से रोने की आवाज सुन कर नयना की नींद आखिर टूट ही गई. वह हड़बड़ा कर झट से उठ कर बैठ गई.
सामने का दृश्य देख कर उस के होश उड़ गए. कृति नयना की बड़ी बहन थी. और कमरे में मृत पड़ा इंसान कोई और नहीं बल्कि दोनों का पिता गजेंद्र मेहरा था. कृति ने अभी अपने ही डैडी का खून किया था.
आखिर उस ने अपने ही डैडी का इतनी बेरहमी से कत्ल क्यों किया था? नयना के दिमाग में भी ऐसे ही अनगिनत सवाल उमड़ रहे थे.
‘‘दीदी, यह तुम ने क्या किया? तुम ने अपने ही हाथों से डैडी का खून…’’
‘‘नयना, यह इंसान हमारा डैडी नहीं था, बल्कि डैडी के वेश में छिपा हुआ एक जालिम भेडि़या था. जिस की घिनौनी हरकतों के बारे में सिर्फ सोच कर ही रूह कांप जाती है. दुनिया में इस से ज्यादा कमीना और गिरी हुई सोच वाला बाप कोई नहीं होगा.’’ कृति अपने अंदर की धधकती हुई ज्वालामुखी को शांत करती हुई बीच में ही बोल पड़ी थी.
‘‘दीदी, तुम ऐसा क्यों बोल रही हो? मुझे पूरी बात बताओ, आखिर हुआ क्या था?’’ नयना अपनी बड़ी बहन कृति के पास आ कर उस के कंधे पर धीरे से हाथ रखते हुए बोली.
कृति अभी भी गुस्से पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी. कृति फर्श से धीरे से उठ कर पलंग पर आ कर बैठ गई. पीछे से नयना भी उसी के बगल में बैठ गई.
उन के डैडी गजेंद्र मेहरा, जोकि मुंबई के एक बहुत बड़े बिजनैसमैन थे, की लाश अभी भी वैसे ही फर्श पर खून से लथपथ पड़ी थी.
‘‘नयना, हर एक इंसान के बरदाश्त और धैर्य करने की सीमा एक न एक दिन टूट ही जाती है. आखिर इंसान तो इंसान ही होता है न. यह मरा हुआ हम दोनों का डैडी, मगर पता नहीं अब मैं इसे किस नाम से पुकारूं, पापी पापा, ब्लडी डैडी, कुकर्मी बाप या पता नहीं और क्याक्या उपमा दूं इसे. मुझ जैसी बेटी ऐसे कुकर्मी बाप को कुछ भी कहेगी, कम ही होगा. काश! ऐसा डैडी किसी का न हो.’’ कृति अपने चेहरे पर जमाने भर के कठोर भाव लाते हुए बोली.
‘‘नयना, आज मैं ने जो काम किया है न, वह मुझे बहुत पहले ही कर देना चाहिए था. कम से कम मुझ जैसी बेटी की उस का अपना सगा बाप ही इज्जत तो नहीं लूटता.’’
कृति की बात सुन कर नयना के पैरों तले की जमीन जैसे खिसक गई.
‘‘दीदी, यह तुम क्या कह रही हो, डैडी ने तुम्हारी…’’
‘‘हां, एक बार नहीं बहुत बार. आज यह कमीना बाप तुम्हारी भी इज्जत लूटने इस कमरे में आया था. तुम्हें आज इस ने दूध में नींद की गोलियां मिला कर दी थीं, ताकि तुम बेफिक्र हो कर सो जाओ और यह कुकर्मी अपनी हवस आराम से मिटा ले. मगर आज मेरी सहनशक्ति की सीमा टूट गई और मैं ने इसे मार दिया.’’
यह सुन कर नयना पर तो मानो पहाड़ ही टूट कर गिर पड़ा.
‘‘ये मैं क्या सुन रही हूं, यह इंसान जिसे आज तक मैं अपना डैडी समझती आ रही थी, वह इतना घिनौना और ब्लडी था. इसे तो अब डैडी कहने में भी शर्म आ रही है. दुनिया की कोई भी बेटी कभी ऐसे डैडी की कल्पना भी नहीं कर सकती है.’’ नयना भी गुस्से में मृत पड़े अपने डैडी को खा जाने वाली निगाहों से देखती हुई बोली.
‘‘दीदी, आज तुम मुझे पूरी बात बताओ. आखिर यह इंसान ऐसा कर क्यों रहा था? ’’
‘‘नयना, पता नहीं इस कुकर्मी बाप के कत्ल के इल्जाम में मुझे फांसी होगी या उम्रकैद की सजा. लेकिन मैं सीने में सच्चाई रूपी बोझ को दबाए नहीं मरना चाहती हूं. इसलिए आज मैं तुम को पूरी बात बताऊंगी.’’
कृति ने एक लंबी सांस ली. उस समय रात के एक बज रहे थे. ठंड अधिक होने के कारण बाहर श्मशान सा सन्नाटा पसरा हुआ था. कृति उसी समय अपनी बहन को पूरी बात विस्तार से बताने लगी.
कृति ने कहा कि जानती हो नयना, यह शांति विला मां की मां यानी नानी के लिए नाना ने ही बनवाया था. शांति नानी का ही नाम था. मां अपने मम्मीपापा की इकलौती संतान थीं. इसलिए नानानानी के मरने के बाद यह घर और उन की पूरी जायदाद मां को ही मिली थी.
मां बचपन से ही बहुत जिद्दी थीं. उन्होंने कालेज में अपने साथ पढ़ने वाले एक गरीब परिवार के युवक गजेंद्र मेहरा यानी हम दोनों के इस कुकर्मी बाप से अपने मम्मीपापा से झगड़ा कर के शादी की थी. नानानानी को भी अंत में अपनी इकलौती बेटी की जिद के आगे झुकना ही पड़ा था.
शुरूशुरू में तो सब कुछ ठीक रहा. नाना ने भी अपना सारा बिजनैस डैडी को सौंप दिया था. डैडी भी मन लगा कर बिजनैस की अच्छी तरह से देखभाल कर रहे थे.
शादी के 2 साल बाद मेरा और मेरे जन्म के 2 साल बाद तुम्हारा जन्म हुआ था. तुम्हारे जन्म के एक साल बाद ही एक कार दुर्घटना में नानानानी मर गए थे. नानानानी के मरते ही पता नहीं क्यों डैडी का स्वभाव एकदम से बदल गया था. अब वह बातबात पर मां से झगड़ा करने लगे थे. फिर भी मां हम दोनों की खातिर सब कुछ चुपचाप सहती जा रही थी.
उधर डैडी की हरकतें दिनप्रतिदिन और बदलती जा रही थीं. अब वह काम के बहाने अकसर घर से रात में भी बाहर ही रहने लगे थे. जबकि ये सब झूठ था. उन का अपनी ही सेक्रेटरी के साथ चक्कर चल रहा था और वो रात उसी के पास गुजारते थे.
जब मां को इस बात का पता चला तो उन्होंने गुस्से में डैडी से तलाक के लिए कोर्ट में अरजी दी. सारा कारोबार एवं यह घर भी मां के नाम पर ही था और मां यदि डैडी से तलाक ले लेतीं तो वह कंगाल बन कर सड़क पर आ जाते. इसीलिए वह किसी भी हालत में तलाक नहीं लेना चाहते थे. इस के लिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. पैसे से वकील और जज को खरीद कर बारबार तलाक की अरजी को नामंजूर करवा दे रहे थे.
तारीख दर तारीख सिर्फ सुनवाई की तिथि बढ़ रही थी. देखते ही देखते तलाक के लिए कोर्ट का चक्कर लगाते मां को 7 साल बीत गए. फिर भी तलाक पर कोर्ट का कोई फैसला नहीं हुआ.
इसी बीच मां का बिना तलाक लिए ही दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. मगर अब हमें लगता है कि नाना, नानी और मां को भी डैडी ने ही पूरी प्लानिंग के साथ सिर्फ जायदाद हड़पने के लिए मरवा दिया था.
यह सुनातेसुनाते कृति की आखों से फिर आंसू निकलने लगे. जबकि नयना ध्यान से पूरी बात सुन रही थी. उस ने कहा, ‘‘डैडी के साथ आए दिन होने वाले झगड़े के कारण ही शायद मां ने हम दोनों बहनों को बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने को भेज दिया था. जिस के कारण ही हम दोनों आज तक घर के सारे हालात से अनजान थे. मां को शायद अपने मरने का भी आभास हो गया था, इसीलिए उन्होंने अपनी सारी जायदाद मेरे नाम कर दी थी.
‘‘यह जायदाद बाद में जब तुम्हारी भी उम्र 20 साल की हो जाओगी तो इस में से आधी तुम्हारे नाम हो जाएगी. इसीलिए डैडी मां के मरते ही मुझे तुरंत हौस्टल से अपने पास बुला लिया था, ताकि वो मुझ से बहलाफुसला कर सारी जायदाद अपने नाम करवा सके.’’ कहतेकहते फिर से कृति सिसकने लगी.
‘‘जानती हो नयना, मुझे मां की एक दोस्त जाह्नवी आंटी ने सारी बातें मेरे घर आने के ठीक अगले ही दिन बता दी थीं. इसीलिए मुझे डैडी की सारी सच्चाई और उन की काली करतूतों का पता चल गया था. अब तो मुझे भी उन से नफरत हो गई थी. तभी उन के लाख कोशिश के बावजूद भी मैं जायदाद उन के नाम नहीं की थी.
‘‘इस के बाद ही डैडी का घिनौना चेहरा मेरे सामने उजागर हुआ था. मेरा घर से निकलना बंद करवा दिया गया था. मुझे तुम से फोन पर डैडी अपने सामने बैठा कर ही बात करवाते थे. उस के बाद फिर मुझे कमरे में भूखेप्यासे बंद कर दिया जाता था.
‘‘इस पर भी जब इस जालिम बाप का दिल नहीं भरा तो वह जायदाद को जबरदस्ती अपने नाम करवाने के लिए मुझे मारनेपीटने भी लगा था. मगर मैं ने भी फैसला कर लिया था कि जीते जी मां की अमानत को इस निर्दयी इंसान के नाम कभी नहीं लिखूंगी.’’
कृति ने रुक कर एक लंबी सांस ली और कहा, ‘‘नयना, इस के बाद तो इंसानियत की सारी मर्यादाएं ही टूट गईं, जब यह बेशर्म बाप अपनी ही बेटी की अस्मत रोज तारतार करने लगा.’’
उस की बात सुन कर नयना दंग रह गई. वह बोली, ‘‘दीदी, इस इंसान को तो डैडी कहते हुए भी अब शर्म आ रही है. आखिर कोई इंसान इतना घिनौना काम कैसे कर सकता है? क्या आज आदमी के अंदर की इंसानियत एकदम खत्म हो गई है, जो उसे अपनी बेटी को भी हवस का शिकार बनाने में जरा भी शर्म और ग्लानि महसूस नहीं हो रही थी.’’
नयना का क्रोध भी सारी बातें सुन कर सातवें आसमान पर पहुंच गया था.
‘‘नयना, पूरी बात सुनोगी तो तुम भी दंग रह जाओगी. तुम को भी हौस्टल से यहां इसीलिए इस जालिम ने बुलाया था, ताकि यह तुम्हें भी अपनी हवस का शिकार बना कर मुझे जायदाद अपने नाम लिखने को मजबूर कर सके.’’ कहतेकहते कृति नयना से लिपट कर जोरजोर से रोने लगी.
‘‘नयना, अब इस दुनिया में तुम्हारे सिवाय मेरा था ही कौन. मैं खुद तो रोज तिलतिल कर मर ही रही थी, आखिर तुम्हें भी कैसे यह जिल्लत भरी जिंदगी जीने देती, इसीलिए मैं ने इस जालिम इंसान का खून कर दिया.’’
कृति नयना से लिपटी रोती हुई अपने दिल की भड़ास निकाले जा रही थी. बीचबीच में नयना भी रोती हुई अपनी बहन को सांत्वना दे रही थी.
रात के सन्नाटे को चीरती हुई दोनों बहनों की सिसकियां धीरेधीरे संपूर्ण वातावरण में फैलने लगी थीं, मगर उसे कोई सुनने वाला नहीं था.
आज दौलत के चक्कर में इंसान की इंसानियत इतनी गिर गई है कि उसे अपने खून के रिश्ते भी नहीं दिख रहे. शायद सच में वह ब्लडी डैडी ही था.
अगली सुबह खुद कृति ने ही पुलिस को फोन कर के पिता की हत्या की सूचना दे दी. पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर गजेंद्र मेहरा के शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
पुलिस ने हत्या की आरोपी कृति को हिरासत में ले कर बाल न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया. बाल सुधार गृह से कृति को 2 साल बाद रिहा कर दिया गया. इस के बाद कृति और नयना ने मिल कर एक्सपोर्ट बिजनैस शुरू कर दिया. दोनों बहनें अब अपने बीते हुए कल को भूल चुकी हैं. द्य