मध्य प्रदेश के धार जिले में एक औद्योगिक इलाका है पीथमपुर. वहां हजारों की संख्या में छोटीबड़ी कंपनियां और फैक्ट्रियां हैं. उन में एमएसएमई की 1100 इकाइयों में करीब 40 हजार लोग काम करते हैं. इस कारण इलाके में काफी गहमागहमी बनी रहती है.
रोजगार के लिए दूसरे जिलों से आए हुए लोग भी वहां काम करते हैं. फाइनैंस कंपनियां भी हैं. यहीं पर स्थित एक बड़ी फाइनैंस कंपनी में काम करने वाला युवक रूपेश बिरला भी था. वह खरगोन के सेलदा गांव का निवासी था, लेकिन पीथमपुर में अपने परिवार के साथ रह रहा था.
उस के 11 अक्तूबर, 2022 को शाम तक वापस घर नहीं लौटने पर घर वाले चिंतित हो गए थे. जब वह देर रात तक नहीं आया, तब उस के पिता पीथमपुर के सेक्टर-1 थाने गए.
उन्होंने उस वक्त थाने में मौजूद टीआई लोकेंद्र सिंह भदौरिया से बेटे के गायब होने की शिकायत की. टीआई भदौरिया ने उन से सुबह तक इंतजार करने को कहा, जबकि रूपेश के पिता ने अगवा कर उस की हत्या की आशंका जताई.
भदौरिया ने उस वक्त रूपेश के पिता की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि इस तरह की शिकायतें वहां के लिए कोई नई नहीं थीं. उन्होंने किसी दोस्त के यहां उस के रात में ठहर जाने की बात कह कर पिता को थाने से भेज दिया.
उन के थाने से जाने के बाद भदौरिया सोच में पड़ गए कि आखिर उस के पिता ने रूपेश की हत्या की बात क्यों कही? उस के अपहरण के बारे में जिक्र क्यों किया? रूपेश एक बड़ी फाइनैंस कंपनी में वसूली का काम करता था, उस सिलसिले में कहीं उसे पहले से कोई धमकी वगैरह तो नहीं मिली.
इन्हीं सवालों में उलझते हुए उस बारे में उन्होंने सुबह काररवाई करने का मन बना लिया. 12 अक्तूबर की सुबह कोई साढ़े 6 बजे का समय था.
भदौरिया अपने सहकर्मी को रात की शिकायत के बारे में कुछ आवश्यक निर्देश दे रहे थे, तभी एक युवती वहां आई. उसे देखते ही भदौरिया पहचान गए बोले,‘‘तुम तो वही हो न! क्या नाम बताया था?’’
‘‘जी राजी,’’ युवती बोली.
‘‘हां, तुम 2 दिन पहले भी आई थी. तुम्हारा केस तो दर्ज हो गया है. उस पर जल्द काररवाई भी शुरू होने वाली है. अब देखो, जिस के खिलाफ तुम ने छेड़छाड़ की शिकायत की है, वह कांग्रेस पार्टी का एक स्थानीय नेता है. इलाके का दबंग है. …और तुम उसी की कंपनी में अकाउंटेंट भी हो.’’ भदौरिया बोले.
‘‘हां सर, लेकिन आज मैं उस बारे में नहीं, बल्कि अपने प्रेमी को लापता किए जाने की शिकायत ले कर आई हूं.’’ राजी बोली.
‘‘प्रेमी? कभी तुम छेड़छाड़ की बात करती हो और अब तुम्हारा प्रेमी निकल आया?’’ भदौरिया ने सवाल किया.
‘‘जी सर, उसी प्रेमी के चलते तो मैं छेड़छाड़ की शिकार हुई. मुझे परेशान करने वाले मालिक आशिक पटेल को मालूम हो गया था कि मैं रूपेश बिरला से प्रेम करती हूं. तब उस ने मुझे नौकरी से भी निकाल दिया है. अब कहां वह मुझ से दुगनी से भी अधिक उम्र का शादीशुदा आदमी और कहां मेरा 25-26 साल का रूपेश,’’ राजी बोली.
‘‘क्या नाम बताया तुम ने, रूपेश बिरला?’’ भदौरिया ने पूछा.
‘‘हां, रूपेश बिरला. क्यों कोई बात है क्या?’’ राजी ने भी आश्चर्य से पूछा.
‘‘इस के लापता होने की शिकायत ले कर बीती रात उस के पिता आए थे. बताया कि वह एक फाइनैंस कंपनी में काम करता है?’’ भदौरिया बोले.
‘‘हांहां, वह फाइनैंस कंपनी में काम करता है. हम दोनों 3 साल से प्यार करते हैं. इसी साल शादी भी करने वाले हैं. लेकिन सर!’’
‘‘लेकिन क्या?’’
‘‘रूपेश को मेरे मालिक आशिक ने अगवा कर उस की हत्या करवा दी है.’’ राजी दावे के साथ बोली.
‘‘यह तुम इतने दावे के साथ कैसे कह सकती हो?’’ टीआई भदौरिया ने सवाल किया.
‘‘उस का मेरे पास यह सबूत है. देखिए मेरे मोबाइल में औडियो रिकौर्ड है, आप भी सुनिए.’’ यह कहती हुई राजी ने अपने मोबाइल की गैलरी से कुछ सेकेंड का औडियो प्ले कर दिया.
औडियो सुन कर भदौरिया दंग रह गए. उस में आशिक पटेल की आवाज थी. वह राजी को धमकी देता हुआ बोल रहा था कि रूपेश से संबंध तोड़ ले, वरना वह उस के साथसाथ परिवार को भी खत्म कर देगा.’’
यह सुनने के बाद उन्होंने तुरंत आशिक के खिलाफ काररवाई करने की तैयारी शुरू कर दी. वह इतना तो समझ ही गए थे कि एक काररवाई से ही रात की शिकायत का भी समाधान निकल आएगा.
उन्होंने राजी को किए गए काल की रिकौर्डिंग के हवाले से मामले को गंभीरता से लिया. उन्होंने इस की पूरी जानकारी धार के एसपी आदित्य प्रताप सिंह, एएसपी देवेंद्र पाटीदार एवं सीएसपी तरुणेंद्र बघेल को देने के बाद आरोपी आशिक पटेल को पूछताछ के लिए थाने बुलवाया.
वास्तव में आशिक पटेल पर पुलिस के लिए हाथ डालना आसान नहीं था, लेकिन भदौरिया के पास पूछताछ के लिए एक छोटा सा सबूत मिल चुका था.
आशिक पटेल कांग्रेस का नेता था. उस के पिता अल्लानूर पटेल पूर्व में धन्नड़ के सरपंच भी रह चुके हैं. खुद आशिक भी मध्य प्रदेश असंगठित कामगार एवं कर्मचारी संघ का उपाध्यक्ष था. आशिक ने अपनी राजनीतिक पहचान का फायदा उठा कर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण कर रखा था.
उस पर तिमंजिला इमारत बना रखी थी, जिस में 250 कमरे थे, जो उस ने किराए पर दे रखे थे. अधिकतर किराएदार मजदूर वर्ग और कंपनियों में काम करने वाले छोटे कर्मचारी ही थे. उन पर वह अपना दबदबा बनाए रखता था.
किराए से उस की लाखों की कमाई होती थी और वहां रहने वालों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल कर राजनीतिक रुतबा बना रखा था.
इन किराएदारों के दम पर नगर पालिका चुनावों में पार्षद की जीतहार तय करना उस के लिए आसान काम था. उस ने करीब 35 हजार वर्गफीट सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा था.
आशिक पटेल की कंपनी में राजी नाम की एक युवती अकाउंटेंट का काम करती थी. वह बहुत सुंदर और होशियार थी. आशिक उस से प्यार करने लगा. हालांकि यह उस का एकतरफा प्यार ही था. कारण, राजी उस के बेटे की उम्र की थी और वह रूपेश बिरला से प्यार करती थी.
जब इस की जानकारी आशिक पटेल को हुई तब वह गुस्से से भर गया. भीतर ही भीतर जलभुन गया. रूपेश को तो कुछ कह नहीं सकता था, लेकिन राजी पर उस से संबंध खत्म करने के लिए दबाव जरूर बना सकता था. उस ने ऐसा ही किया.
पहले उस ने राजी को बातों से समझाया, उस का वेतन दोगुना करने तक का लालच दिया. फिर भी राजी जब नहीं मानी, तब उस ने उसे धमकियां देनी शुरू कर दीं.
ऊब कर राजी ने नौकरी छोड़ दी. उस के बाद तो आशिक और भी बौखला गया. एक दिन उस ने राजी को फोन किया. पहले तो उस ने राजी को प्यार से समझाने की कोशिश की. राजी ने सिरे से इंकार कर दिया. उस ने दोटूक जवाब दे दिया कि वह किसी भी सूरत में अपने प्रेमी को धोखा नहीं दे सकती.
यह सुनते ही आशिक गुस्से में आ गया और अपनी ताकत का हवाला देते हुए रूपेश को मरवा देने की धमकी दे डाली. संयोग से राजी ने मोबाइल में इस काल की रिकौर्डिंग कर ली थी.
उसी काल के आधार पर पुलिस ने आशिक पटेल से सख्ती से पूछताछ की. जब पुलिस ने उसे रिकौर्डिंग सुनाई, तब उस ने रूपेश की हत्या करवाने की बात कुबूल कर ली. उस ने हत्याकांड को कैसे अंजाम दिया, इस की भी जानकारी दी. आशिक ने बताया कि रूपेश की हत्या में उस के 5 दोस्त भी शामिल थे.
उस की निशानदेही पर पुलिस ने उन पांचों आरोपियों को थाने ला कर पूछताछ की. आरोपियों ने बताया कि उन्होंने रूपेश के शव को कालोनी में नाले के किनारे दफना दिया था. शव जल्दी गल कर नष्ट हो जाए, इस के लिए लाश के ऊपर 15 किलोग्राम नमक डाला, मिट्टी और घासफूस डाल कर उस जगह को सीमेंट कंक्रीट से पक्का कर दिया था.
मामले की तहकीकात पूरी होने के बाद एसपी आदित्य प्रताप सिंह ने सभी 6 आरोपियों अखिलेश मिश्रा, अंकुश दुबे, सुरेंद्र सिंह ठाकुर, कालू उर्फ दीपक मंडल, रवि मंडल, आशिक पटेल को गिरफ्तार कर उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
जैसे ही पुलिस और प्रशासन को मालूम हुआ कि आशिक पटेल रूपेश बिरला हत्याकांड का मास्टरमाइंड है, वैसे ही उस के ठिकाने पर प्रशासनिक काररवाई शुरू कर दी गई. इस सिलसिले में अवैध कब्जे की जमीन पर बनी बिल्डिंग पर बुलडोजर चला दिया गया. कुल 250 कमरे वाले 3 मंजिला इमारत को जमींदोज करने में 2 दिन लगे.
प्रशासन ने नगर निगम से 10 जेसीबी और बड़ी पोकलेन मशीनें मंगवा कर अतिक्रमण तोड़ा. आशिक द्वारा कब्जाई जमीन की कीमत लगभग 10 करोड़ रुपए आंकी गई. बिल्डिंग तोड़े जाने से पहले सभी परिवारों को शिफ्ट किया गया. यह जिले की सब से बड़ी काररवाई थी.
मुख्य आरोपी आशिक पटेल के साम्राज्य को ध्वस्त करने के दरम्यान एक अन्य आरोपी अखिलेश मिश्रा की गुमटी को भी हटा दिया गया. पुलिस रिकौर्ड में आशिक पटेल के खिलाफ पहले भी एक हत्या समेत 5 अन्य मामले दर्ज थे.
इस मामले की 2 दिनों के भीतर ही जांच पूरी होने पर एसपी आदित्य प्रताप सिंह ने सीएसपी तरुणेंद्र सिंह बघेल और टीआई लोकेश सिंह भदौरिया सहित पूरी टीम के काम की तारीफ की. द्य