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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के पटवाई थानाक्षेत्र में पृथ्वीराज सपरिवार रहते थे. परिवार में पत्नी ऊषा देवी के अलावा 3 बेटियां और एक बेटा संजय था. पृथ्वीराज के पास जो कुछ खेती की जमीन थी, उसी पर खेती कर के वह अपने परिवार का पेट पालते थे.

बड़ी बेटी की वह शादी कर चुके थे. दूसरे नंबर की प्राची ने हाईस्कूल करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. प्राची खूबसूरत थी. उम्र के 16 बसंत पार करते ही प्राची के रूपलावण्य में जो निखार आया था, वह देखते ही बनता था. वह गांव की गलियों से गुजरती तो मनचलों के सीने पर सांप लोट जाया करते थे. प्राची को भी इस बात का अहसास था कि उस में कुछ बात तो है, तभी तो लोग उसे टकटकी लगा कर देखते हैं.

वह उम्र के उस नाजुक दौर से गुजर रही थी, जहां लड़कियों के दिल की जवान होती उमंगें मोहब्बत के आसमान पर बिना नतीजा सोचे उड़ जाना चाहती हैं. ऐसी ही उमंगें प्राची के दिल में कुलांचे भरने लगी थीं. उम्र के इसी पायदान पर खड़ी प्राची ने कब अपना दिल धर्मवीर के हवाले कर दिया, इस का उसे पता भी नहीं लगा था.

धर्मवीर प्राची के घर के पड़ोस में ही रहता था. हाईस्कूल करने के बाद वह अपना पुश्तैनी खेतीबाड़ी का काम करने लगा.

आसपड़ोस में घर होने के कारण अकसर प्राची और धर्मवीर का आमनासामना हो जाता था. जब भी प्राची धर्मवीर के सामने पड़ती तो धर्मवीर एकटक उसे देखता रहता था. पहले तो प्राची को यह बात बहुत खली लेकिन धीरेधीरे उसे भी धर्मवीर में रुचि आने लगी. इसी के चलते दोनों चुपकेचुपके एकदूसरे के आकर्षण में बंध गए.

एक रोज शाम का समय था. गांव के बाहर एकांत में दोनों एकदूसरे के सामने पड़े तो धर्मवीर को लगा कि अपने दिल की बात कह देने का यही सब से उपयुक्त मौका है. वह प्राची से बोला, ‘‘प्राची, मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं.’’

‘‘कहिए…’’ प्राची ने सीधे तौर पर पूछ लिया तो धर्मवीर झेंप गया.

फिर धर्मवीर हिम्मत कर के बोला, ‘‘प्राची, मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. लगता है कि अब तुम्हारे बिना मेरा जीना मुश्किल है. क्या तुम मेरी मोहब्बत कबूल करोगी?’’

यह सुन कर प्राची का चेहरा शर्म से लाल हो गया. वह धीरे से बोली, ‘‘चाहती तो मैं भी तुम्हें हूं, लेकिन डर लगता है.’’

‘‘डर…कैसा डर?’’ धर्मवीर ने प्राची से पूछा.

‘‘कहीं हमारी मोहब्बत रुसवा हो गई तो?’’

‘‘मैं तुम्हारी कसम खा कर कहता हूं कि मैं मर जाऊंगा लेकिन तुम्हें रुसवा नहीं होने दूंगा. क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?’’

‘‘भरोसा है, तभी तो जनाब से इश्क करने की जुर्रत की है.’’ कह कर अब तक संजीदा प्राची के चेहरे पर शरारती मुसकान आ गई. धर्मवीर ने उसे अपनी बांहों में ले कर घेरा और तंग कर दिया, जिस पर प्राची कसमसा कर रह गई. धर्मवीर ने आगे बढ़ कर प्राची के होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया.

‘‘उई मां, बड़े बेशर्म हो तुम.’’ कहते हुए प्राची ने धर्मवीर को परे हटा कर खुद को उस की कैद से आजाद किया और हंसती हुई वहां से चली गई.

धर्मवीर प्राची का प्यार पा कर झूम उठा. उसे लगा कि सारे जहां की खुशियां उस की झोली में सिमट आई हैं. कुछ यही हाल प्राची का भी था. धर्मवीर की हरकतों ने उस के बदन में अजीब सी मादकता भर दी थी.

इस तरह धर्मवीर व प्राची की प्रेम कहानी शुरू हो गई. दोनों को जैसे ही मौका मिलता, उन के बीच प्यारमोहब्बत की बातें होतीं. उस समय दोनों को दीनदुनिया की खबर ही न रहती. दोनों ने एक साथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं. जैसेजैसे समय बीतता रहा, उन का इश्क परवान चढ़ता रहा.

प्राची व धर्मवीर ने लाख कोशिश की कि उन के प्रेम संबंधों का किसी को पता न चले, लेकिन इश्क की खुशबू भला कौन रोक पाया है. प्राची के रंगढंग देख कर उस के पिता पृथ्वीराज को शक हुआ तो उन्होंने उस पर नजर रखने के लिए अपनी पत्नी ऊषा को कह दिया. ऊषा ने उस पर नजर रखी तो उस ने प्राची को धर्मवीर से इश्क करते देख लिया.

जब पृथ्वीराज को पता चला तो वह आगबबूला हो उठा. उस समय प्राची घर पर ही थी. उस ने प्राची को आवाज दे कर बुलाया, जब वह उस के पास आ गई तो वह बोला, ‘‘क्यों री, यह मैं क्या सुन रहा हूं कि तू धर्मवीर से इश्क लड़ाती घूम रही है.’’

पिता के मुंह से यह बात सुन कर प्राची चौंक गई. वह समझ गई कि किसी ने उस के पिता से उस की व धर्मवीर की चुगली कर दी है.

फिर भी पिता से झूठ बोलना प्राची के बस में नहीं था, इसलिए वह पिता से बोली, ‘‘हां पापा, बात यह है कि हम दोनों आपस में मोहब्बत करते हैं और अगर आप की इजाजत हो तो विवाह करना चाहते हैं.’’

प्राची ने यह कहा तो मानो पूरे घर में भूचाल आ गया. पृथ्वीराज प्राची पर कहर बन कर टूट पड़ा. उस ने प्राची की खूब पिटाई की और उसे हिदायत दी कि अगर उस ने दोबारा धर्मवीर से मिलनेजुलने की कोशिश की तो उस का परिणाम अच्छा नहीं होगा.

प्राची की मां ऊषा ने भी समाजबिरादरी का हवाला दे कर प्राची को समझाया. उधर प्राची व धर्मवीर के इश्क की बात धर्मवीर के घर वालों को पता चली तो उन्होंने भी धर्मवीर को प्राची से नाता तोड़ लेने का फरमान सुना दिया.

प्राची व धर्मवीर पर सख्त पाबंदियां लगा दी गईं. वे जल बिन मछली की तरह तड़प उठे. दरअसल, प्राची धर्मवीर के दिलोदिमाग पर नशा बन कर छा चुकी थी. उस के सौंदर्य ने धर्मवीर पर जादू सा कर दिया था. उधर प्राची का भी यही हाल था, उस के खयालों में धर्मवीर के अलावा और कुछ आता ही नहीं था. हर समय वह धर्मवीर से मिलने को बेकरार रहती थी.

कहते हैं कि प्रेम में जितनी लंबी जुदाई होती है, प्यार उतना ही गहरा होता है. घर वालों की बंदिशें धर्मवीर व प्राची के प्यार को कम नहीं कर सकीं. जब उन की प्रेम अगन बढ़ती चली गई तो उन्होंने मिलने का एक अनोखा रास्ता खोज लिया.

एक दिन धर्मवीर ने प्राची को संदेश भिजवाया कि वह दिन छिपने के बाद उस से जंगल में आ कर मिले. धर्मवीर का संदेश पा कर प्राची उस जगह दौड़ी चली गई, जहां धर्मवीर ने मिलने के लिए बुलाया था. दोनों ने गले मिल कर अपने गिलेशिकवे दूर किए. इस के बाद दोनों यही क्रम दोहराने लगे.

एक बार फिर से दोनों का मिलन बदस्तूर शुरू हो गया. इधर प्राची ने घर में धर्मवीर का नाम लेना तक बंद कर दिया था, जिस के चलते पृथ्वीराज ने सोच लिया कि बेटी के सिर से इश्क का भूत शायद उतर गया है.

धर्मवीर के विवाह के लिए रिश्ते आने लगे तब धर्मवीर और प्राची को इस का पता चला तो उन के होश उड़ गए. धर्मवीर के घर वाले भी किसी कीमत पर प्राची को अपने घर की बहू स्वीकारने को तैयार नहीं थे. प्राची के पिता पृथ्वीराज ने भी साफसाफ कह दिया कि वह अपनी बेटी को कुएं में धक्का दे देगा लेकिन उस का हाथ धर्मवीर के हाथ में नहीं देगा.

अगले दिन प्राची जब धर्मवीर से मिली तो बोली, ‘‘कुछ करो धर्मवीर, अगर हम यूं ही खामोश बैठे रहे तो एकदूसरे से जुदा कर दिए जाएंगे और मैं तुम से जुदा हो कर जिंदा नहीं रहना चाहती. अगर तुम मुझे नहीं मिले तो मैं जहर खा कर जान दे दूंगी.’’

‘‘ऐसा नहीं कहते प्राची, हम ने पाक मोहब्बत की है. हमारी मोहब्बत जरूर कामयाब होगी.’’ धर्मवीर प्राची के हाथ को अपने हाथ में ले कर बोला तो प्राची के मन को तसल्ली हुई.

9 दिसंबर, 2019 की सुबह लगभग साढ़े 8 बजे प्राची घर का कूड़ा गांव के बाहर घूरे पर डालने गई. काफी समय बीत गया, वह नहीं लौटी तो उस के मातापिता ने उसे पूरे गांव में तलाशा, लेकिन उस का कोई पता नहीं लगा.

काफी तलाशने के बाद भी जब प्राची का नहीं मिली तो 10 दिसंबर को पृथ्वीराज ने थाना पटवाई में बेटी के लापता होने की सूचना दी. साथ ही उन्होंने गांव के ही धर्मवीर पर शक जताया. इस सूचना पर थानाप्रभारी इंद्र कुमार ने थाने में प्राची की गुमशुदगी की सूचना लिखा दी.

थानाप्रभारी ने धर्मवीर के बारे में पता करवाया तो वह भी घर से गायब मिला. उस की सुरागरसी के लिए उन्होंने अपने मुखबिरों को लगा दिया. 15 दिसंबर को पटवाई चौराहे से थानाप्रभारी इंद्रकुमार ने धर्मवीर को गिरफ्तार कर लिया.

थाने ला कर जब धर्मवीर से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने प्राची की हत्या कर लाश छिपाने का जुर्म स्वीकार कर लिया. इतना ही नहीं पुलिस ने धर्मवीर की निशानदेही पर गांव के बाहर घूरे में दबी सीमा की लाश भी बरामद करा दी.

प्राची की लाश क्षतविक्षत हालत में थी. उस का एक हाथ गायब था. अनुमान लगाया कि शायद कुत्तों ने उस की लाश को नोंच खाया होगा. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद पुलिस धर्मवीर को ले कर थाने आ गई. इस के बाद प्राची के पिता पृथ्वीराज की तरफ से भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. पूछताछ में हत्या की जो वजह निकल कर आई, वह कुछ इस तरह थी—

धर्मवीर और प्राची के घरवाले जब उन की शादी के लिए तैयार नहीं हुए तो इस प्रेमी युगल की चिंता बढ़ गई. तब धर्मवीर ने प्राची से वादा किया, ‘‘प्राची मैं घर वालों के कहने पर दूसरी लड़की से विवाह तो कर लूंगा लेकिन मैं सच्चे दिल से तुम्हारा ही रहूंगा. हमारा रिश्ता भले ही दुनिया की नजर में अलग हो जाए, लेकिन हम हमेशा एक रहेंगे. विवाह के बाद भी मैं तुम्हारा ही बना रहूंगा.’’

धर्मवीर के इस वादे पर प्राची को पूरा भरोसा था. इस के अलावा उन के पास अपने रिश्ते को बनाए रखने के लिए कोई रास्ता ही नहीं बचा था.

धर्मवीर के लिए जो रिश्ते आ रहे थे, उन में से धर्मवीर के परिजनों को एक रिश्ता भा गया. वह था रामपुर के मिलक थाना क्षेत्र के ऊंचा खाला निवासी नीलम का. नीलम अब अपने परिवार के साथ मुरादाबाद में रह रही थी. बात आगे बढ़ी तो दोनों का रिश्ता पक्का कर दिया गया.

19 अप्रैल, 2019 को धर्मवीर और नीलम का विवाह संपन्न हो गया. नीलम काफी सुंदर, शिक्षित व गुणवती थी. उस ने धर्मवीर के परिवार में आते ही अपनी बातों व कार्यों से सब का दिल जीत लिया.

उस में धर्मवीर भी था. नीलम के आने से धर्मवीर के दिलोदिमाग से प्राची के इश्क का भूत उतरने लगा था. लेकिन उस ने प्राची से संबंध खत्म नहीं किए थे. एक तरह से वह दो नावों की सवारी कर रहा था. ऐसे में उस का डूबना निश्चित था.

नीलम को कुछ ही दिनों में पति की हकीकत पता लग गई कि वह कैसे उसे धोखा दे रहा है. कोई भी औरत सब कुछ बरदाश्त कर सकती है, लेकिन शौहर का बंटवारा बिलकुल बरदाश्त नहीं कर सकती.

बीवी के रहते पति पराई औरत से इश्क लड़ाए, यह बात नीलम को पसंद नहीं थी. लिहाजा वह घर छोड़ कर मायके चली गई. धर्मवीर ने नीलम को काफी मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी.

इधर प्राची को पता चला तो वह धर्मवीर पर खुद से विवाह करने का दबाव बनाने लगी. इस से धर्मवीर परेशान हो गया. वह नीलम को हर हाल में घर वापस लाना चाहता था. इसी बीच 3 दिसंबर, 2019 को नीलम ने मुरादाबाद के महिला थाने में धर्मवीर के खिलाफ उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया. 8 दिसंबर को मुरादाबाद पुलिस धर्मवीर के घर आई, वह घर पर नहीं था. मुरादाबाद पुलिस पूछताछ कर के वापस लौट गई.

सब कुछ धर्मवीर की बरदाश्त के बाहर हो गया. उस ने प्राची से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का फैसला कर लिया. 9 दिसंबर की सुबह उस ने प्राची को मिलने के लिए गांव के बाहर बुलाया. प्राची घर का कूड़ा घूरे पर फेंकने के बहाने घर से निकली.

घूरे के पास धर्मवीर उसे खड़ा मिल गया. प्राची के आते ही धर्मवीर ने उसे दबोच लिया और हाथों से गला दबा कर उस की हत्या कर दी. इस के बाद उस ने उस की लाश घूरे में दबा दी और वहां से फरार हो गया.

लेकिन वह कानून की गिरफ्त से अपने आप को न बचा सका. कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इंसपेक्टर इंद्र कुमार ने उसे सीजेएम कोर्ट में पेश किया, वहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

प्राची परिवर्तित नाम है.

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