अनजान शहर और उस पर घिरती शाम. रीना का मन घबराने लगा था. वह सोच रही थी, ‘आज के जमाने में पति के साथ होना भी कौन सी सिक्योरिटी की गारंटी है. अभी हाल ही में हनीमून पर आई एक नईनवेली दुलहन को उस के पति के सामने ही खींच कर…’ ‘‘मुकेश, तुम्हें मैं ने बोला था न कि या तो जल्दी लौटने की कोशिश करेंगे या पहले से कोई रुकने की जगह तय कर लेंगे… तुम ने दोनों में से एक भी काम नहीं किया…’’ रीना ने अपने पति मुकेश से शिकायती लहजे में कहा.
‘‘अरे डार्लिंग, चिंता मत करो…’’ मुकेश अपनी दुकान के लिए खरीदे गए माल का हिसाब मिलातेमिलाते बोला, ‘‘यहां ज्यादा देर हुई तो राजन के यहां रुक जाएंगे. पिछली बार याद है कितना गुस्सा कर रहा था वह कि मेरा घर होते हुए भी होटल में क्यों रुके?’’ राजन मुकेश का दोस्त था. अकसर उन के घर आताजाता रहता था, लेकिन चूंकि रीना अपने घरपरिवार में ही खुश रहने वाली औरत थी, सो उसे जल्दी किसी से घुलनामिलना पसंद नहीं था.
‘‘अरे, तुम पागल हो क्या…’’ रीना झल्ला गई, ‘‘राजन कौन है तुम्हारा? चाचा, मामा, नाना… मैं ने पहले भी कहा है कि किसी के भी घर यों ही नहीं रुकना चाहिए…’’ ‘‘फिर होटल का खर्च लगेगा. माल लेने आते हैं यहां, घूमने थोड़े ही,’’ मुकेश ने उसे समझाने की गरज से कहा.
रीना चिढ़ कर यह कहते हुए चुप हो गई, ‘‘जो मन में आए, करो.’’ आखिर वही हुआ जो रीना नहीं चाहती थी. सारा सामान लेतेलेते शाम के 7 बज गए. वापस लौटना भी खतरे से खाली नहीं था. हाईवे का सुनसान रास्ता और इतने सारे सामान के साथ रीना जैसी खूबसूरत जवान बीवी.
मुकेश ने डरतेडरते पूछा, ‘‘चलो न, बस रातभर की तो बात हैं.’’ रीना ने चुपचाप कुछ सामान उठा लिया मानो अनिच्छा से सहमति दे रही हो. मुकेश उस के साथ राजन के घर पहुंचा जो वहां से तकरीबन एक किलोमीटर की दूरी पर ही था.
राजन उन दोनों को देखते ही खिल उठा, ‘‘अरेअरे भाभीजी, आइएआइए… इस बार तू ने समझदारी की है मुकेश.’’ रीना को यों किसी के घर जाना बिलकुल पसंद नहीं था. वह सकुचाते हुए सोफे पर बैठ गई और घर पर ननद को फोन लगाया. अपने 5 साल के नटखट बेटे की चिंता सताना स्वाभाविक था.
‘‘टिंकू ज्यादा तंग तो नहीं कर रहा है न पायल?’’ रीना ने पूछा. ‘नहीं भाभी, टीवी देख रहा है…’ रीना की ननद पायल ने फोन पर बताया.
‘‘अच्छा सुनो… फ्रिज में दाल है, गरम कर लेना…’’ वह उसे जरूरी निर्देश देने लगी. तब तक मुकेश बाथरूम से फ्रैश हो कर आ चुका था. रीना ने फोन काट दिया. ‘‘फ्रैश हो लो तुम भी…’’ मुकेश धीरे से बोला, ‘‘इंतजाम सही है. साफसुथरा है सब…’’
रीना हिचकते हुए उठी. देखा कि राजन किचन में जुटा था. उस की अच्छीखासी सरकारी नौकरी थी लेकिन उस ने शादी नहीं की थी, सो सब काम वह खुद ही करता था. खाना खाने के बाद उस ने उन्हें उन का कमरा दिखाया. ‘‘चलिए भाभी, गुड नाइट…’’ कहता हुआ राजन बाहर जातेजाते अचानक मुड़ा और बोला, ‘‘मैं यह पूछना तो भूल ही गया कि मेरी कुकिंग कैसी लगी?’’
‘‘जी अच्छी थी. खाना अच्छा बना लेते हैं आप,’’ रीना ने मुसकरा कर जवाब दिया. राजन चला गया. उस के जाते ही मुकेश ने दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर बैठ कर रीना से लिपटने लगा.
‘‘अरेअरे, क्या कर रहे हो… वह भी दूसरे के घर में,’’ रीना उस की इस हरकत पर असहज हो गई. ‘‘2 मिनट में कर लूंगा, तुम लेटो तो…’’ मुकेश ने अपने होंठ उस के चेहरे पर रगड़ने शुरू कर दिए.
‘‘बाबा, यह हमारा बैडरूम नहीं है…’’ रीना उस के हाथ अपने सीने से हटाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली, लेकिन न जाने आज मुकेश पर क्या धुन सवार थी. उस ने उसे बिस्तर पर दबा ही दिया. रीना इंतजार कर रही थी कि जल्दी यह सब खत्म हो लेकिन आज मुकेश में गजब का बल आया हुआ था. सामने लगी घड़ी में रीना बीतते मिनटों को हैरत से गिन रही थी.
‘‘क्या हो गया है जी तुम को…’’ अनियमित सांसों के बीच वह किसी तरह बोल पाई लेकिन मुकेश सुने तब न. हार कर रीना भी सहयोग करने पर मजबूर हो गई. काफी देर बाद दोनों अगलबगल निढाल पड़े सुस्ता रहे थे. ‘‘कपड़े तुम्हारे… जल्दी पहनो…’’ अपने अंदरूनी कपड़ों को खोजती पसीने से तरबतर रीना ने मुकेश के ऊपर उस की टीशर्ट रखते हुए कहा. आज उसे भी भरपूर संतुष्टि मिली थी लेकिन चादर के हाल पर बहुत शर्म भी आने लगी कि सुबह राजन देख कर क्या सोचेगा. लेकिन मुकेश इन सब बातों से बेपरवाह खर्राटे लेने में मगन था.
भोर के तकरीबन 4 बजे रीना की आंख लगी, जिस से उठने में देर हो गई. 7 बजे राजन दरवाजा खटखटाने लगा. रीना ने मुकेश को चिकोटी काट कर जगाया.
‘‘राजन दरवाजे पर है…’’ मुकेश के उठते ही वह फुसफुसा कर बोली. मुकेश ने दरवाजा खोला.
‘‘चल, हाथमुंह धो कर फ्रैश हो ले. मैं नाश्ता बनाने जा रहा हूं,’’ राजन ने मुकेश से कहा और साथ लाया अखबार रीना को दे कर चला गया. नाश्ता करते ही रीना ने तुरंत सामान बांध लिया. बिसकुट और साबुन के कुछ पैकेट जबरदस्ती राजन को थमा कर वे दोनों वहां से चल पड़े.
कुछ हफ्तों बाद एक दिन जब रीना नहा रही थी, उसी समय डोरबैल बज उठी. मुकेश दुकान गया हुआ था और पायल अपने होस्टल जा चुकी थी. घर में बस रीना और टिंकू ही थे. रीना ने जल्दीजल्दी साड़ी बांधी और दरवाजा खोला तो देखा कि सामने राजन खड़ा था.
‘‘ओह राजन भैया…’’ रीना ने उस का औपचारिक स्वागत करते हुए उसे अंदर बुलाया. ‘‘मुकेश तो दुकान के लिए निकल चुका होगा?’’ राजन ने इधरउधर देख कर पूछा.
‘‘हां, इस समय तो वे दुकान पर ही होते हैं…’’ रीना बोली, ‘‘बैठिए, मैं चाय बनाती हूं,’’ कह कर रीना जल्दी से किचन में चली गई. टिंकू अपने कमरे में खेल रहा था. चाय पीतेपीते रीना को कुछ ठीक महसूस नहीं हो रहा था. उसे लग रहा था कि राजन की नजर उस की कमर पर… लेकिन वह इन खयालों को झटक दे रही थी. हां, उस ने पल्लू को करीने से कर लिया था.
‘‘रुकिए, मैं मुकेश को फोन करती हूं…’’ ऐसा बोल कर वह उठने को हुई कि राजन ने हाथ पकड़ कर जरबदस्ती रीना को बिठा लिया. ‘‘अरे बैठिए न भाभी… वह तो आ ही जाएगा.’’
रीना को उस का हाथ पकड़ना बिलकुल अच्छा नहीं लगा. जल्दी से हाथ खींच कर छुड़ाया और बेटे को बुलाने लगी जिस से एकांत मिटे, ‘‘टिंकूटिंकू… देखो अंकल आए हैं,’’ मगर उस के आने से पहले ही राजन बोल उठा, ‘‘भाभी, मुझे आप को कुछ दिखाना है.’’ ‘‘क्या दिखाना है?’’ रीना को कुछ समझ नहीं आया. राजन ने अपने मोबाइल फोन पर कोई वीडियो प्ले कर उसे थमा दिया. मोबाइल पर चलती पोर्न फिल्म देख कर रीना गुस्से और बेइज्जती से भर उठी.
‘‘यह क्या बेहूदगी है…’’ रीना ने चिल्ला कर मोबाइल राजन पर फेंकते हुए कहा, ‘‘निकलो अभी के अभी यहां से, उस दिन बहुत शरीफ होने का ढोंग कर रहा था राक्षस…’’ लेकिन राजन एकदम शांत बैठा रहा. उस ने मोबाइल फोन दोबारा उस की ओर घुमाया, ‘‘जरा, इस फिल्म की हीरोइन को तो देख लो भाभीजान…’’
उस वीडियो की लड़की का चेहरा देखते ही रीना को तो जैसे चक्कर आने लगे. वीडियो में वह और मुकेश थे. वह समझ गई कि राजन ने उसी रात यह वीडियो बनाया था जब वे लोग उस के यहां रुके थे. ‘‘मैं ने ही मुकेश के खाने में वह मर्दानगी की दवा मिलाई थी जिस से वह आप को खुश कर दे और मैं वीडियो बना सकूं…’’ राजन बेशर्मी से हंसता हुआ बोला, ‘‘हाहाहा, वह बेचारा अनजाने में ही हीरो बन गया.’’
रीना बेइज्जती के मारे वहीं फूटफूट कर रो पड़ी. चिडि़या जाल में फंसी समझ कर राजन ने उस के कंधे पर हाथ रखा और कहा, ‘‘भाभी, आप की आंखें प्यार में डूबी अच्छी लगती हैं, रोती नहीं. चलिए बिस्तर पर, एक फिल्म मेरे साथ भी बना ही लीजिए, मुकेश से भी ज्यादा मस्त कर दूंगा आप को… ‘‘मेरी कमाई भी उस से तिगुनी है और मुकेश को हमारे बारे में कुछ पता भी नहीं चलेगा,’’ राजन ने बेशर्मी से कहा.
रीना को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उस दिन का उतना सभ्य राजन आज इतने गंदे तरीके से उस से बातें कर रहा है. वह शेरनी की तरह उठी और उसे धक्का दे कर दूर धकेल दिया. वह सोफे के पास जा गिरा लेकिन खुद पर काबू रखता हुआ गुर्राया, ‘‘रीना, मैं तुझे मसल कर रहूंगा और ज्यादा नानुकर की न तो तेरी यह फिल्म जाएगी वैबसाइट पर… जब से तुझे देखा है, तुझ को ही सोचसोच कर सपने देखता हूं, मुझे आज मना मत कर.’’ राजन फिर से उठा और रीना को अपनी बांहों में भर लिया. रीना ने अपने सिर का जोरदार प्रहार राजन की नाक पर किया. वह दर्द से बिलबिलाता हुआ नीचे बैठ गया. नाक से खून आने लगा था.
रीना ने उस पर लातमुक्कों की बरसात कर दी. वह खुद को बचाने के लिए इधर से उधर हो रहा था. शोर सुन कर टिंकू भी वहां आ चुका था और वैसा सीन देख कर घबरा कर रो रहा था. आंसुओं को पोंछते हुए रीना दहाड़ी, ‘‘पति को धोखा देने के लिए सिखा रहा है मुझे. वैबसाइट पर डालेगा मेरा वीडियो? हैवान, जा कर डाल दे, कौन क्या कर लेगा मेरा? इस में मैं अपने पति के साथ हूं कोई गलत काम नहीं कर रही. अखबार वाले मेरा नाम छिपा लेंगे, टैलीविजन वाले तेरा चेहरा वायरल कर देंगे और पुलिस चुटकी में इस वीडियो को डिलीट करवा देगी… जेल में तू सड़ेगा, मेरा कुछ नहीं बिगड़ने वाला.’’
राजन किसी तरह से संभलता हुआ वहां से भागने की कोशिश करने लगा, पर रीना के हाथ में पास रखा पेपरवेट आ चुका था. उस ने मारमार कर राजन की खोपड़ी से भी खून निकाल दिया. वह बेहोश हो कर लुढ़क गया. रीना ने मुकेश को फोन कर दिया. वह पुलिस को साथ लिए ही घर आया. राजन के इस रूप पर मुकेश को भी भरोसा नहीं हो रहा था.
पुलिस की जीप में बैठते राजन के कानों में रीना की गुर्राहट पिघले सीसे की तरह घुस रही थी, ‘‘इस सबला का जवाब याद रखना दरिंदे…’’