पैसा और जल्द अमीर बनने की लालसा इंसान को वह सब करने को मजबूर कर देता है कि एकबारगी यकीन ही नहीं होता कि क्या कोई ऐसा भी कर सकता है? यों अपराध करना और वह भी खुलेआम बिहार में आम बात है मगर पिस्तौल के बल पर आएदिन लोगों को शिकार बनाने वाले अपराधी किस्म के लोगों ने पैसे कमाने का नया तरीका ढूंढ़ा तो जान कर लोग सन्न रह गए.
बिहार के पटना में एक ऐसा ही वाकेआ घटित हुआ और पुलिस के हत्थे चढ़े ऐसे अपराधी जिन की तलाश में पुलिस खाक छान रही थी.
कमरा छोटा अपराध बड़ा
मामला पटना के जक्कनपुर थाने स्थित पोस्टल पार्क, खासमहाल इलाके की है. यहां एक छोटे से कमरे में चल रहे अपराध की सूचना पुलिस को मिली. पुलिस ने सुनियोजित तरीके से छापा मारा तो चारों तरफ बिखरे खून की छींटे देख कर हैरान रह गई. एकबारगी तो पुलिस ने सोचा कि यहां किसी की हत्या की गई है पर जब पुलिस ने तफ्तीश की और घर में सर्च औपरेशन चलाया तो माजरा समझते देर नहीं लगी.
दरअसल, इस छोटे से कमरे में इंसानी खून का काला कारोबार चलाया जा रहा था. पुलिस ने अपराध का भंडाफोड़ किया तो परत दर परत सचाई खुलती गई.
पुलिस ने गिरोह के सरगना संतोष कुमार और एजेंट सोनू को गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की. वहां खून से भरे 4 ब्लड बैग भी बरामद किए गए थे. पहले तो इन अपराधियों ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की पर जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो टूट गए और बताया कि पिछले 6 महीने से दोनों यहां रह कर खून की खरीदबिक्री कर रहे थे.
अपराध और अपराधी
जक्कनपुर थाना के इंचार्ज मुकेश कुमार वर्मा ने मीडिया को जानकारी दी और बताया,”पुलिस टीम द्वारा की गई पूछताछ में यह बात सामने आई है कि दोनों के तार कई निजी अस्पतालों से जुड़े हैं. छापे के दौरान कई डोनर्स भी पकड़े गए, जिन्हें पैसे का लालच दे कर खून निकलवाने लाया गया था.”
अब पुलिस मानव खून की खरीदबिक्री में शामिल दूसरे लोगों की तलाश में अलगअलग जगहों पर छापे मार रही है.
एक बार में 2 यूनिट तक खून निकाल लेते थे
खून की खरीदबिक्री का धंधा करने वाले 1 यूनिट खून निकालने की बात कह कर ब्लड डोनर्स को कमरे तक लाते थे. फिर धोखे से 1 की जगह 2 यूनिट खून निकाल लेते थे और उन्हें भनक तक नहीं लग पाती थी. खून लेने के तुरंत बाद सरगना संतोष डोनर को आयरन की कैप्सूल खिला देता था. फिर कुछ ही दिनों बाद वह डोनर दोबारा खून देने पहुंच जाता था. कई बार तो डोनरों की तबीयत तक बिगड़ जाती थी. ये ऐसे डोनर्स होते थे जिन्हें पैसों की सख्त जरूरत होती थी या फिर वे जो लंबे समय से बेरोजगार थे. कई तो नशाखोर भी थे, जो नशे की लत को पूरा करने के लिए ब्लड डोनेट करते और पैसा मिलने के बाद नशा करने चले जाते.
अस्पतालों में बिना जांच खरीद लिए जाते थे खून
कुछ निजी अस्पतालों के मालिक बिना जांच ही ऐसे लोगों से कम दाम पर खून खरीद लेते थे. उन की साठगांठ संतोष और सोनू के साथ थी. दोनों रोज अस्पतालों में खून की सप्लाई करते थे. सूत्रों के मुताबिक, पुलिस टीम उन अस्पतालकर्मियों की तलाश कर रही है, जो अकसर सोनू और संतोष से मिलने यहां आया करते थे.
जिन निजी अस्पतालों में खून की खरीदबिक्री करने वाला गैंग सक्रिय था, पुलिस के अनुसार अब वहां भी काररवाई हो सकती है.
हजारों कमाते थे सिर्फ 1 दिन में
पुलिस के मुताबिक, खून खरीदने वाला संतोष डोनर्स को महज 1 हजार रुपए देता था जबकि 1 यूनिट खून से वह 22 सौ रूपए का मुनाफा कमा लेता था. इस तरह 1 डोनर से वह 44 सौ बना लेता था जबकि डोनर्स को वह बताता तक नहीं था कि उस ने 2 यूनिट ब्लड निकाल लिए हैं.
वहीं सोनू खून देने वालों को रुपए का लालच दे कर अपने अड्डे तक लाता था. 1 डोनर को लाने के बदले उसे कमीशन के रूप में 11 सौ रुपए मिलते थे.
जिस कमरे में खून की खरीदबिक्री का खेल चल रहा था वह बेहद छोटा था. जाहिर है इस में संक्रमण का खतरा भी हो सकता है. सारे नियमकानून को ताक पर रख कर खून निकाले जाते थे. खास बात यह है कि ब्लड बैग तक का इंतजाम सरगना ने कर रखा था, जबकि ब्लड बैग आम आदमी को देने की मनाही है. उसे लाइसैंसी ब्लड बैंक ही ले सकता है.
पुलिस उगलवा रही है सच
अब पुलिसिया तफ्तीश जारी है. इस गैंग को चिह्नित कर पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है. सह भी पता एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि पुख्ता सुबूत जुटाने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी और यह पता लगाएगी कि इन अपराधियों के तार कहांकहां जुङे हैं.