22 अगस्त, 2017 को सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी थीं. क्योंकि उस दिन सुप्रीम कोर्ट का 3 तलाक पर फैसला आने वाला था. आखिर 12 बजे के बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए मुसलिमों में एक साथ 3 तलाक को अमान्य और असंवैधानिक करार दे दिया.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने 18 महीने तक चली सुनवाई के बाद इस प्रथा को गैरकानूनी घोषित करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 के खिलाफ माना.

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले को जब कानपुर के पौश इलाके में रहने वाली सोफिया ने सुना तो उन्हें बहुत खुशी हुई, क्योंकि उन्हें भी इस फैसले का बेसब्री से इंतजार था. दरअसल, सोफिया भी 3 तलाक से पीडि़त थीं. उन के शौहर ने भी दहेज की मांग पूरी न होने पर उन्हें प्रताडि़त कर नशे की हालत में 3 बार तलाक कह कर घर से निकाल दिया था.

इस के बाद सोफिया पति और उस के घर वालों के खिलाफ तलाक सहित दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश करती रहीं, लेकिन शौहर की बहन सत्ता पक्ष की विधायक थीं, इसलिए उन के दबाव में पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सोफिया ने अपने घर वालों से सलाह की और शौहर तथा उस के घर वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराने थाना स्वरूपनगर पहुंच गईं.

थानाप्रभारी राजीव सिंह थाने में ही मौजूद थे. सोफिया ने उन्हें सारी बात बता कर रिपोर्ट दर्ज करने का अनुरोध किया तो वह थोड़ा झिझके. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उन्हें पता था. लेकिन समाजवादी पार्टी की पूर्व विधायक गजाला लारी का भी नाम इस मामले में आ रहा था, इसीलिए वह झिझक रहे थे.

गजाला लारी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बेहद करीबी थीं. राजीव सिंह सोफिया को मना भी नहीं कर सकते थे, इसलिए अधिकारियों की राय ले कर उन्होंने सोफिया की तहरीर पर अपराध संख्या 110/2017 पर भादंवि की धारा 498ए, 323, 506 तथा दहेज उत्पीड़न की धारा 3(4) के तहत पति शारिक अहमद, सास महजबीं बेगम, ससुर तैयब कुरैशी, ननद गजाला लारी और उन के बेटे मंजर लारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर जांच की जिम्मेदारी सबइंसपेक्टर कपिल दुबे को सौंप दी.

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मामला दर्ज होते ही सोफिया सुर्खियों में आ गईं. इस की वजह यह थी कि सुप्रीम कोर्ट का 3 तलाक पर फैसला आने के बाद देश में पहली रिपोर्ट कानपुर में सोफिया द्वारा दर्ज कराई गई थी. प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया वाले सोफिया का बयान लेने उमड़ पड़े. सोफिया ने मीडिया को जो बताया और तहरीर में जो लिख कर दिया था, उस के अनुसार क्रूरता की पराकाष्ठा की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर के मुसलिम बाहुल्य वाले मोहल्ले कर्नलगंज में तैयब कुरैशी परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी महजबीं के अलावा 5 बेटियां और 2 बेटे थे. बच्चों में शारिक सब से छोटा था. तैयब कुरैशी संपन्न आदमी थे. टेनरी उन का कारोबार था. उन की एक बेटी गजाला लारी समाजवादी पार्टी से विधायक थी.

समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का उस पर वरदहस्त था. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी वह करीबी थी. गजाला का निकाह मुराद लारी से हुआ था. वह देवरिया की सलेमपुर सीट से बीएसपी के विधायक थे. लेकिन उन की मौत हो गई तो गजाला ने सलेमपुर से चुनाव लड़ा और वह 4 हजार वोटों से जीत गईं.

उसी बीच गजाला की मुलाकात चौधरी बशीर से हुई. वह भी विधायक थे. जैसेजैसे दोनों की मुलाकातें बढ़ीं, उन के बीच दूरियां घटती गईं. 4 दिसंबर, 2011 को गजाला ने चौधरी बशीर से निकाह कर लिया. उन्होंने सन 2012 में देवरिया की रामपुर कारखाना सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. गजाला लारी कानपुर के जाजमऊ में रहती हैं. उन का एक बेटा मंजर लारी है, जो उन्नाव में पैट्रोल पंप चलाता है.

तैयब कुरैशी के बड़े बेटे का विवाह हो चुका था, जबकि छोटा बेटा शारिक अभी अविवाहित था. शारिक शरीर से हृष्टपुष्ट और खूबसूरत था. तैयब कुरैशी उस के लिए लड़की तलाश रहे थे. उसी बीच उन के यहां सोफिया का रिश्ता आया. सोफिया मूलरूप से चेन्नै की रहने वाली थी. उस के पिता समीर अहमद की मौत हो चुकी थी. उस का ननिहाल कानपुर के पौश इलाके स्वरूपनगर में था. वह भाई और बहन के साथ नाना के साथ रहती थी. वह शादी लायक हो गई थी, इसलिए नानानानी उस के लिए लड़का देख रहे थे.

ऐसे में उन के किसी रिश्तेदार ने उन्हें तैयब कुरैशी के बेटे शारिक के बारे में बताया. तैयब कुरैशी संपन्न आदमी थे, लड़का भी ठीकठाक था, इसलिए सोफिया के नानानानी तैयब कुरैशी के घर जा पहुंचे. लड़का सोफिया के नाना को पसंद आ गया. इस के बाद तैयब कुरैशी ने भी पत्नी के साथ जा कर सोफिया को देखा. पहली ही नजर में दोनों को सोफिया पसंद आ गई.

इस के बाद रिश्ता पक्का हो गया. भाई की शादी तय होने की बात विधायक गजाला लारी को पता चली तो उन्हें भी खुशी हुई. भाई की शादी को वह यादगार बनाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव सहित कानपुर के विधायक इरफान सोलंकी, सतीश निगम और मुनींद्र शुक्ला को भी आमंत्रित किया.

12 जून, 2015 को कानपुर के स्टेटस क्लब में धूमधाम से सोफिया का निकाह शारिक के साथ हो गया. इस विवाह में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव सहित तमाम मंत्रियों और विधायकों ने भाग लिया था. सोफिया की शादी में एक बीएमडब्ल्यू कार, 10 लाख रुपए नकद तथा 20 लाख के गहने दहेज में दिए गए थे. कुल मिला कर 75 लाख का दहेज दिया गया था. शादी के बाद सोफिया मन में रंगीन सपने लिए ससुराल आ गई.

ससुराल में सोफिया के कुछ दिन तो ठीकठाक गुजरे, पर जल्दी ही उसे लगने लगा कि वह जो सपने ले कर ससुराल आई थी, वे बिखरने लगे हैं. सास महजबीं का व्यवहार सोफिया के प्रति रूखा हो गया था. वह बातबात में सोफिया को डांटनेफटकारने के साथ मायके वालों को ताने मारती रहती थी. सोफिया यह सब बरदाश्त करती रही.

2 महीने बीते थे कि शौहर शारिक का व्यवहार भी बदल गया. वह भी बातबात में सोफिया को डांटनेफटकारने लगा. कभीकभी मां के कहने पर उसे मार भी बैठता. धीरेधीरे यह सिलसिला बढ़ता ही गया. ससुराल वालों के इस रवैए से सोफिया परेशान रहने लगी. सास हमेशा कम दहेज लाने का ताना मारती रहती.

सास की जलीकटी सुन कर सोफिया की आंखों में आंसू आ जाते. पर उस के आंसुओं को वहां कोई देखने वाला नहीं था. ससुराल में घर का काम करने के लिए नौकरनौकरानियां थे, लेकिन सोफिया को अपना सारा काम खुद करना पड़ता था. सास ने सभी नौकरों को उस का काम करने से मना कर रखा था.

सोफिया ने सास और शौहर द्वारा परेशान करने की बात कई बार ससुर तैयब कुरैशी से बताई, पर उन्होंने पत्नी और बेटे का ही पक्ष लिया. इस तरह ससुर भी उसे परेशान करने लगे. सोफिया ने परेशान करने वाली बात ननद गजाला लारी को बताई  तो उस ने भी मां और भाई का ही पक्ष ले कर सोफिया से अपना मुंह बंद रखने को कहा.

इस तरह की परेशानी में सोफिया गर्भवती हुई तो ससुराल वाले खुश होने के बजाय उन्हें जैसे सांप सूंघ गया. दरअसल, सोफिया के ससुराल वाले नहीं चाहते थे कि वह मां बने. इसलिए वे उसे और परेशान करने लगे. उसे मारापीटा तो जाता, मानसिक रूप से परेशान भी किया जाता. इस तरह परेशान करने के बावजूद भी सोफिया ने अपने गर्भ पर आंच नहीं आने दी.

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31 मई, 2016 को सोफिया ने बेटे को जन्म दिया. बेटा पैदा होने से सोफिया जहां खुश थी, वहीं ससुराल वाले परेशान थे. सोफिया का बेटा अभी एक महीने का भी नहीं हुआ था कि शारिक, उस की मां महजबीं और पिता तैयब कुरैशी ने सोफिया से मायके से एक करोड़ रुपए तथा एक लग्जरी स्पोर्ट्स कार लाने को कहा.

शारिक का कहना था कि उसे अपना कारोबार बढ़ाने के लिए रुपयों की सख्त जरूरत है, इसलिए हर हाल में वह मायके से एक करोड़ रुपए ले आए. सोफिया ने ससुराल वालों की इस मांग को ठुकराते हुए कहा कि उस के घर वाले पहले ही महंगी कार, नकदी और काफी गहने दे चुके हैं, इसलिए अब और कुछ मांगना ठीक नहीं है.

सोफिया की इस बात पर शारिक ने उस की जम कर पिटाई कर दी. इस के बाद रुपए और कार लाने के लिए सोफिया को प्रताडि़त किया जाने लगा. उसी बीच सोफिया को कहीं से पता चला कि शारिक के किसी लड़की से मधुर संबंध हैं. उस ने सच्चाई का पता लगा लिया और वह पति के इस संबंध का विरोध करने लगी तो उसे और ज्यादा प्रताडि़त किया जाने लगा.

जुलाई, 2016 में परेशान हो कर सोफिया ननिहाल आ गई. ननिहाल में आने के कुछ दिनों बाद ही उस के बेटे की तबीयत खराब हो गई, वह उसे दिखाने के लिए डाक्टर के पास गई. डाक्टर ने कहा कि वह अपने शौहर को साथ लाए, तभी बच्चे का इलाज संभव है. सोफिया ने घर आ कर शारिक को फोन किया तो उस ने कहा कि वह शहर से बाहर है.

सोफिया ने किसी परिचित को शारिक के बाहर होने की बात कह कर मदद मांगी तो उस परिचित ने बताया कि शारिक शहर से बाहर नहीं है, वह रेव थ्री मौल में घूम रहा है. सोफिया तुरंत मौल पहुंच गई. शारिक सचमुच वहां एक लड़की के साथ घूमता मिल गया. वह उस से हंसहंस कर बातें कर रहा था.

शौहर को लड़की के साथ देख कर सोफिया को गुस्सा आ गया. वह लड़की को खरीखोटी सुनाने लगी तो शारिक ने विरोध किया. इस के बाद दोनों में झगड़ा होने लगा. गुस्से में सोफिया ने शारिक को थप्पड़ मार दिया. झगड़ा होते देख भीड़ जुट गई. मामला थाना कोहना पहुंचा.

सोफिया ने रिपोर्ट लिखानी चाही. लेकिन शारिक ने अपना परिचय दे कर बताया कि वह सत्तापक्ष की विधायक गजाला लारी का भाई है तो पुलिस ने पतिपत्नी का झगड़ा बता कर रिपोर्ट दर्ज नहीं की. इस के बाद सोफिया का ससुराल में उत्पीड़न और बढ़ गया. उस ने गजाला लारी से शिकायत की तो घर की इज्जत की बात कर गजाला ने उस का मुंह बंद करा दिया.

बहन के दखल से शारिक के हौसले और बढ़ गए. वह सोफिया को और ज्यादा परेशान करने लगा. 13 अगस्त, 2016 को शारिक शराब पी कर आया और सोफिया से गालीगलौज करने लगा. सोफिया ने विरोध किया तो उस ने मारनापीटना शुरू कर दिया.

इस के बाद नशे में ही शारिक ने ‘तलाक तलाक तलाक’ कह कर रात 3 बजे मासूम बच्चे के साथ सोफिया को घर से निकाल दिया. सोफिया ने ननिहाल जाने से मना किया तो जबरन कार में बैठा कर सुनसान इलाके में ले जा कर सोफिया और बच्चे को जान से मारने की कोशिश की. सोफिया ने शोर मचा दिया तो कुछ लोग आ गए, जिस से सोफिया बच गई. खुद को फंसता देख कर शारिक कार ले कर भाग गया.

शारिक को शक था कि सोफिया पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएगी, इसलिए उस ने पूरी बात विधायक बहन गजाला लारी को बता दी. गजाला ने सोफिया से बात की और रिपोर्ट दर्ज कराने से मना किया. गजाला के बेटे मंजर ने भी सोफिया को धमका कर किसी भी तरह की काररवाई करने से मना किया.

लेकिन किसी भी तरह के दबाव में न आ कर सोफिया थाना स्वरूपनगर पहुंच गई. लेकिन पुलिस ने विधायक से जुड़ा मामला जान कर रिपोर्ट दर्ज नहीं की. सोफिया थाने से बाहर निकली तो रास्ते में शारिक मिल गया. उस ने एक बार फिर उस के साथ मारपीट की. यह स्थान थाना कोहना के अंतर्गत आता था.

सोफिया थाना कोहना पहुंची और शौहर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराना चाहा. यहां भी विधायक की वजह से रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई. हताश हो कर सोफिया घर लौट आई. इस के बाद भी गजाला और उस का बेटा मंजर उसे धमकाते रहे. काफी प्रयास के बाद भी जब सोफिया का तलाक और दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज नहीं हुआ तो सोफिया ने भाजपा के कुछ नेताओं से संपर्क किया.

उन नेताओं को अपनी व्यथा बता कर मदद मांगी तो उन की मदद से सितंबर, 2016 में थाना कर्नलगंज पुलिस ने सोफिया की तहरीर पर घरेलू हिंसा का मामला मामूली धाराओं में दर्ज कर लिया. पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन सत्ता पक्ष की विधायक गजाला लारी के दबाव में कोई काररवाई नहीं की. इस तरह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा.

चूंकि भाजपा नेताओं ने सोफिया की मदद की थी, इसलिए सोफिया ने उन के कहने पर 13 दिसंबर, 2016 को भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. इस के बाद वह भाजपा की सक्रिय सदस्य बन गई. सोफिया उत्पीड़न के खिलाफ लड़ ही रही थी कि 3 तलाक का मुद्दा उठा और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 18 महीने तक सुनवाई की और 22 अगस्त, 2017 को 3 तलाक के खिलाफ फैसला सुना दिया.

इस फैसले के चंद घंटे बाद ही सोफिया थाना स्वरूपनगर पहुंच गई और ससुराल वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. सोफिया को भरोसा है कि अब सपा सरकार नहीं है, इसलिए उस की ननद गजाला लारी का सिक्का नहीं चलेगा और उन्हें न्याय मिलेगा.

इस सब के बारे में जब सपा की पूर्व विधायक गजाला लारी, उन के मातापिता तथा भाई शारिक से बात की गई तो उन्होंने सोफिया के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि सोफिया अपने मन से मायके गई थी. उस से कभी दहेज नहीं मांगा गया. उसे कभी प्रताडि़त भी नहीं किया गया, बल्कि वह खुद ही उन लोगों को परेशान करती रही थी.

गजाला का कहना था कि सोफिया ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है, इसलिए भाजपा नेताओं के उकसाने पर दहेज उत्पीड़न और अन्य धाराओं में उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी. उन के बेटे मंजर लारी का भी इस मामले से कोई संबंध नहीं है. परेशान करने के लिए उसे भी आरोपी बना दिया गया है.

बहरहाल, मामले की जांच चल रही है. सबइंसपेक्टर कपिल दुबे कई बार छापा मार चुके हैं, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई भी पकड़ा नहीं जा सका है. पुलिस पकड़ने का प्रयास कर रही है.

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धोखे से तलाकनामे पर हस्ताक्षर

उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर के थाना कूरमार क्षेत्र के टीकर गांव के रहने वाले मोहम्मद इसलाम के बेटे आजम का निकाह 17 मार्च, 2016 को अंबेडकर जिले के भीटी थाना क्षेत्र के रेऊना गांव के रहने वाले शाकिर अली की बेटी रोशनजहां से हुआ था. निकाह के बाद से ससुराल वाले रोशनजहां को दहेज के लिए ताना देने लगे थे.

उन लोगों की मांग थी कि रोशनजहां के घर वाले एक लाख रुपया नकद और सोने की अंगूठी दें. दहेज न मिलने पर रोशनजहां के साथ मारपीट शुरू हो गई. एक दिन वह भी आया, जब रोशनजहां को मारपीट कर घर से निकाल दिया गया. रोशन के पिता ने बेटी का घर बचाने के लिए सुलह का प्रयास किया. 16 अप्रैल, 2017 को धर्म के कुछ संभ्रांत लोगों की मौजूदगी में पंचायत हुई.

इसी दौरान रोशन के शौहर आजम ने उसे धोखे से बहलाफुसला कर तलाकनामे पर हस्ताक्षर करा लिए. जब यह बात रोशनजहां को पता चली तो सदमे में आ गई.

कोई रास्ता न देख उस ने थाने जा कर पति मोहम्मद आजम, ससुर मोहम्मद इसलाम, सास आयशा बेगम, ननद गुडि़या और देवर गुड्डू के खिलाफ तहरीर दे कर काररवाई की मांग की.

थानाप्रभारी नंदकुमार तिवारी ने पांचों आरोपियों के विरुद्ध भादंवि की धारा 498ए और 323 व 3/4 दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कर के सभी को गिरफ्तार कर लिया.

वे देश जहां 3 तलाक पर पाबंदी है

देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं, लेकिन मुसलिम महिलाओं को असली आजादी 22 अगस्त को तब मिली, जब सुप्रीम कोर्ट ने 3 तलाक पर रोक लगाते हुए इसे असंवैधानिक करार दे दिया. एक तरह से 3 तलाक पर अब प्रतिबंध लग गया है. यह प्रतिबंध लगाने में देश को 70 साल लग गए, जबकि दुनिया के ऐसे तमाम देश हैं, जहां इस पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं—

पाकिस्तान : सन 2015 की जनगणना के अनुसार, पाकिस्तान की जनसंख्या 19,90,85,847 है. यह दुनिया का दूसरा सब से अधिक मुसलिम आबादी वाला देश है. वहां ज्यादातर सुन्नी हैं, लेकिन शिया मुसलमानों की संख्या भी काफी है. पाकिस्तान ने सन 1961 में ही 3 तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया था.

पाकिस्तान में एक कमेटी की सिफारिशों के आधार पर 3 तलाक को खत्म करने के लिए नियम बनाए गए थे. वहां 3 तलाक लेने के लिए पहले पति को सरकारी संस्था (चेयरमैन औफ यूनियन काउंसिल) के यहां नोटिस देनी पड़ती है. इस के 30 दिनों बाद काउंसिल दोनों के बीच समझौता कराने की कोशिश करती है. इस के बाद 90 दिनों तक इंतजार किया जाता है. इस बीच अगर समझौता हो गया तो ठीक, वरना तलाक मान लिया जाता है.

अल्जीरिया : अफ्रीकी महाद्वीप के देश अल्जीरिया में मुसलिम आबादी 3.47 करोड़ है. यहां भी 3 तलाक पर प्रतिबंध है. अगर कोई दंपत्ति तलाक लेना चाहत है तो उसे कोर्ट की शरण में जाना पड़ता है. कोर्ट पहले दोनों के बीच सुलह की कोशिश करता है, इस के लिए 3 महीने का समय मिलता है. इस बीच अगर सुलह नहीं होती तो कोर्ट कानून के मुताबिक ही तलाक मिलता है.

मिस्र : 7.70 करोड़ से ज्यादा की मुसलिम आबादी वाला देश मिस्र, ऐसा पहला देश है, जहां सन 1929 में कानून-25 के द्वारा घोषणा की गई थी कि एक साथ 3 तलाक कहने पर भी उसे एक ही माना जाएगा और उसे वापस भी लिया जा सकता है.

सामान्य तौर पर जल्दी से जल्दी तलाक लेने का तरीका यह होता है कि पति अपनी पत्नी से 3 तलाक अलगअलग बार जब मासिक चक्र न चल रहा हो, कह कर तलाक ले सकता है. लेकिन मिस्र में इसे 3 तलाक का पहला चरण माना गया है. इस के बाद वहां तलाक के लिए 90 दिन का इंतजार करना पड़ता है.

ट्यूनीशिया : उत्तरी अफ्रीकी महाद्वीप के ट्यूनीशिया देश की मुसलिम आबादी 1.09 करोड़ से ज्यादा है. यहां सन 1956 में तय कर दिया गया था कि तलाक कोर्ट के जरिए ही होगा. कोर्ट पहले दोनों पक्षों में सुलह कराने की कोशिश करता है. जब दोनों में सुलह नहीं होती तो तलाक मान लिया जाता है.

बांग्लादेश : भारत के पड़ोसी और सन 1971 में आजाद हुए बांग्लादेश में मुसलिम आबादी करीब 13.44 करोड़ है. 3 तलाक पर बांग्लादेश में भी प्रतिबंध है. सन 1971 से ही बांग्लादेश में 3 तलाक कोर्ट में मान्य नहीं है.

इंडोनेशिया : दुनिया का सब से ज्यादा मुसलिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया है. यहां मुसलमानों की कुल आबादी 20.91 करोड़ से ज्यादा है. इंडोनेशिया में मैरिज रेग्युलेशन एक्ट के आर्टिकल 19 के तहत तलाक कोर्ट के जरिए ही दिया जा सकता है. 3 तलाक वहां मान्य नहीं है.

श्रीलंका : श्रीलंका में कुल आबादी का 10 फीसदी मुसलमान हैं. यहां के नियमों के मुताबिक, कोई मुसलिम पत्नी को तलाक देना चाहता है तो उसे मुसलिम जज काजी को नोटिस देना होता है. इस के बाद जज के साथसाथ दोनों परिवारों के सदस्य उन्हें समझाते हैं. अगर  ?      ?दोनों किसी की बात नहीं मानते तो उन्हें नोटिस दी जाती है. इस के 30 दिनों बाद युवक पत्नी को तलाक दे सकता है. इस के लिए उसे एक मुसलिम जज और 2 गवाहों की भी जरूरत पड़ती है.

यहां शादी और तलाक मुसलिम कानून, 1951 जो 2006 में संशोधित हुआ था, के मुताबिक तुरंत दिया गया 3 तलाक किसी भी नियम के तहत मान्य नहीं है.

तुर्की : तुर्की ने सन 1926 में स्विस सिविल कोड अपना लिया था. यह यूरोप में सब से प्रगतिशील और सुधारवादी कानून माना जाता है. इस के बाद 3 तलाक कानूनी प्रक्रिया के द्वारा ही दिया जा सकता है.

साइप्रस : साइप्रस में मुसलिम आबादी 2.64 लाख है. साइप्रस में भी 3 तलाक कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही दिया जाता है.

इराक : एक साथ 3 तलाक को एक ही तलाक माना जाता है. यह ऐसा देश है, जहां पतिपत्नी दोनों ही तलाक दे सकते हैं. इस बीच अदालत झगड़े की वजह की जांच कर सकती है. अदालत सुलह के लिए 2 लोगों की नियुक्ति भी कर सकती है. उस के बाद वह मध्यस्थता कर अंतिम निर्णय सुनाती है.

सूडान : सन 1935 में कुछ प्रावधानों के साथ सूडान ने भी इसी कानून को अपना लिया.

मलेशिया : मलेशिया के सारावाक प्रांत में बिना जज के सलाह के पति तलाक नहीं दे सकता. उसे अदालत में तलाक का कारण बताना होता है. वहां शादी राज्य और न्यायपालिका के अंतर्गत होती है.

ईरान : शिया कानूनों के तहत 3 तलाक को मान्यता नहीं दी गई है.

संयुक्त अरब अमीरात, कतर, जोर्डन: 3 तलाक के मुद्दे पर तैमिया के विचार को स्वीकार कर लिया है.

सीरिया : सन 2014 की जनगणनना के मुताबिक यहां 74 प्रतिशत सुन्नी मुसलमान हैं, लेकिन यहां 1953 से ही 3 तलाक पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

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