अशोक कुमार
23मार्च, 2020 को शाम 6 बजे दरिगापुर आमौर गांव का 30 वर्षीय धर्मेंद्र यादव उर्फ माना सामान लेने आमौर तिराहे पर गया था. धर्मेंद्र देर रात तक घर नहीं लौटा तो घर वाले परेशान हो गए.
धर्मेंद्र मोबाइल भी घर छोड़ गया था. उस के न लौटने और मोबाइल घर छोड़ जाने से घर वालों की चिंता और भी बढ़ गई. कुछ लोगों को साथ ले कर घर वालों ने रात में ही धर्मेंद्र की तलाश शुरू कर दी. वे लोग रात 2 बजे तक उसे इधरउधर खोजते रहे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. अगले दिन धर्मेंद्र के तहेरे भाई अवधेश कुमार ने सिरसागंज थाने में उस की गुमशुदी दर्ज करा दी.
लापता होने के तीसरे दिन यानी 25 मार्च की दोपहर 12 बजे नगला जीवन के पास आमौर नहर में धर्मेंद्र का शव देखा गया. पूरे इलाके में यह खबर जंगल में आग की तरह फैली तो नहर किनारे लोगों का हुजूम जुट गया.
दरिगापुर आमौर के लोग भी नहर पर पहुंच गए. घर वाले धर्मेंद्र का फूला हुआ शव नहर के पानी से निकाल कर घर ले आए.
लाश देखते ही परिवार में कोहराम मच गया. इसी बीच किसी ने इस की सूचना सिरसागंज थाने में दे दी. खबर पाते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर पुलिस टीम के साथ गांव पहुंच गए.
धर्मेंद्र के घर पर ग्रामीणों के साथ महिलाएं भी जुटी हुई थीं. उधर सूचना पर पहुंची पुलिस ने कोरोना वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए गांव वालों को वहां से हटाने का प्रयास किया. शव के पास जुटी भीड़ हटाने पर गांव के लोग आक्रोशित हो गए, उन्होंने पुलिस टीम पर पथराव शुरू कर दिया.
पथराव में थानाप्रभारी की गाड़ी के आगे व पीछे के शीशे टूट गए. किसी तरह पुलिस ने ग्रामीणों को समझा कर शांत किया. थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर ने यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना पर सीओ डा. ईरज राजा व एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार वहां पहुंच गए.
मृतक के घरवालों ने पुलिस को बताया कि धर्मेंद्र की पत्नी रूबी का एक साल से चंदन नाम के युवक से अफेयर चल रहा था. इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच विवाद होता रहता था. बात बढ़ी तो मामला मारपीट तक पहुंच गया.
इस पर रूबी 3 साल के बेटे को ले कर अपने मायके चली गई. ससुराल वालों ने धर्मेंद्र पर दहेज का मुकदमा कर रखा है. बाद में समझौता होने के बाद रूबी ससुराल वापस आ गई थी. रूबी ने ही अपने प्रेमी व मायके के लोगों के साथ मिल कर धर्मेंद्र की हत्या कराई है.
मृतक धर्मेंद्र के तहेरे भाई अवधेश कुमार ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए पुलिस को एक तहरीर दी, जिस में 6 लोगों चंदन निवासी कुतुकपुर, नसीरपुर, बहनोई धर्मवीर निवासी भांडरी, मृतक की पत्नी रूबी, दो सालों ओमवीर, दयानवीर उर्फ छोटा और ससुर सत्यवीर उर्फ सत्यदेव निवासी ग्राम ककरारा के नाम थे. लेकिन पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद स्थिति साफ होने पर केस दर्ज करने को कहा. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने धर्मेंद्र की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल फिरोजाबाद भेज दी.
पति की मौत पर रूबी का रोरो कर बुरा हाल था. ससुराल वालों द्वारा पति की हत्या में उस का हाथ होने की बात से वह बुरी तरह आहत थी.
रूबी ने बताया कि धर्मेंद्र के किसी आदमी पर रुपए उधार थे. 23 मार्च को शाम 6 बजे वह आमौर चौराहे पर उस से पैसे लेने गए थे. घर के लिए कुछ सामान भी लाना था.
घटना के 2 दिन बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट में धर्मेंद्र की मृत्यु का कारण उस के शरीर पर आई चोटों और पानी में डूबना बताया गया. पोस्ट मार्टमरिपोर्ट आने के बाद 27 मार्च को पुलिस ने अवधेश की ओर से रूबी सहित 6 लोगों के विरूद्ध हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि मृतक की पत्नी रूबी चरित्रहीन थी, उस के अपने बहनोई धर्मवीर व प्रेमी चंदन से विवाहेतर संबंध थे. धर्मेंद्र इस का विरोध करता था. इसी बात को ले कर धर्मेंद्र और रूबी के बीच अकसर झगड़ा होता था.
पुलिस ने मृतक की पत्नी रूबी के बयानों की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल को भी खंगाला. उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर शक के दायरे में आया, जिस पर सब से ज्यादा बातें होती थीं. पुलिस ने जब उस नंबर को ट्रैस किया तो वह चंदन का निकला. रूबी के नंबर पर जो अंतिम काल आई थी, वह चंदन की थी.
रूबी को संदेह के दायरे में लाने के लिए इतना ही काफी था. पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की. रूबी बारबार अपने बयान बदलती रही. इस से वह पूरी तरह शक के घेरे में आ गई. महिला सिपाही ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो रूबी टूट गई.
उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. रूबी ने पुलिस को बताया कि चंदन ने उसे फोन किया था कि धर्मेंद्र को 23 मार्च को शाम 6 बजे आमौर चौराहे पर भेज देना. उस ने चंदन के कहे अनुसार पति को आमौर चौराहे पर भेज दिया था. धर्मेंद्र की हत्या चंदन ने कैसे की, यह वही बता सकता है. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि घटना को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था.
रूबी से की गई पूछताछ में पुलिस को कोई खास जानकारी नहीं मिली. सिवाय इस के कि चंदन और रूबी ने धर्मेंद्र की हत्या षडयंत्र रच कर की थी. पुलिस ने मुख्य आरोपी चंदन की जोरशोर से तलाश शुरू कर दी. पुलिस ने नामजद आरोपियों की तलाश में उन के ठिकानों पर दबिश डाली. लेकिन वे पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े.
इस पर पुलिस ने हत्यारों की सुरागरसी के लिए मुखबिरों का जाल फैला दिया. 14 मई की दोपहर सिरसागंज के थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर को एक मुखबिर ने सूचना दी कि घटना का मुख्य आरोपी चंदन गांव धातरी के पेट्रोल पंप पर है.
इस सूचना पर थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर ने पुलिस टीम के साथ उस जगह की घेराबंदी कर के चंदन को गिरफ्तार कर लिया.
आरोपी चंदन को गिरफ्तार करने वाली टीम में थानाप्रभारी के साथ उपनिरीक्षक अंकित मलिक, कांस्टेबिल विजय कुमार, छविराम व कर्मवीर सिंह शामिल थे.
पुलिस ने रूबी, उस के प्रेमी चंदन को धर्मेंद्र की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर के दोनों से पूछताछ की. पता चला रूबी पति के सीधेपन को कम अक्ल का बता कर प्रेमी चंदन से शादी रचाने का सपना देख रही थी, वहीं चंदन की नजर रूबी को पाने के साथ ही धर्मेंद्र की जमीन व मकान पर भी थी.
धर्मेंद्र की मौत के बाद वह रूबी से शादी कर जमीन जायदाद पर कब्जा करना चाहता था. साली के प्रेम में दीवाना जीजा धर्मवीर भी राह का रोड़ा बने धर्मेंद्र को रास्ते हटाने को तैयार था.
जीजा और प्रेमी को एक राह पर लाने का काम किया रूबी ने. धर्मवीर, चंदन और रुबी ने मिल कर धर्मेंद्र की हत्या का षडयंत्र रचा. हत्यारोपियों ने इस जघन्य अपराध की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—
धर्मेंद्र के पिता सत्यभान यादव रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी थे. धर्मेंद्र उन का इकलौता बेटा था. गांव में सत्यभान के पास 16 बीघा खेती के अलावा पक्का मकान था. 9 साल पहले उन के बेटे धर्मेंद्र की शादी सत्यवीर उर्फ सत्यदेव की बेटी रूबी के साथ हुई थी. दोनों का 3 साल का बेटा है.
शादी के बाद दोनों के कुछ साल हंसीखुशी से बीते. धर्मेंद्र वैसे तो सीधासादा था लेकिन शराब का शौकीन था. चंदन धर्मेंद्र की मां का दूर का रिश्तेदार था.
इसी रिश्ते की वजह से उस के लिए घर के रास्ते खुले हुए थे. पिछले एक साल से चंदन धर्मेंद्र के घर ज्यादा ही आनेजाने लगा था. साथसाथ शराब पीने से दोनों एकदूसरे के गहरे दोस्त बन गए थे. चंदन का आटो था जिसे वह सिरसागंज में चलाता था.
भरेपूरे बदन की रूबी को देख कर चंदन का मन डोल गया था. वह रूबी को भाभी कहता था. चंदन धर्मेंद्र से हंसी ठिठोली में कह देता था, तुम तो कम अक्ल हो, ताज्जुब है तुम्हें इतनी सुंदर बीबी मिल गई. सीधासादा धर्मेंद्र चंदन की बात को हंस कर टाल देता था. लेकिन चंदन के मुंह से अपनी सुंदरता की बात सुन कर रूबी शरमा जाती.
धर्मेंद्र के दारू पीने के शौक का चंदन ने भरपूर फायदा उठाया. वह जब भी रूबी से मिलने आता अपने साथ शराब की बोतल जरूर लाता. दोनों घर में ही बैठ कर शराब पीते. चंदन धर्मेंद्र को ज्यादा शराब पिलाता. जब वह नशे में बेसुध हो कर सो जाता, चंदन और रूबी घंटों बातें करते.
धीरेधीरे दोनों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता गया. अपने प्यार का इजहार करने के लिए उन के पास पर्याप्त अवसर थे. इसलिए उन्हें न मोहब्बत के इजहार में वक्त लगा न इश्क के इकरार में. जल्दी ही दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. रूबी फोन पर चंदन से लंबीलंबी बातें करने लगी. वह उस के खयालों में खोईखोई सी रहती थी.
प्रेम के हिंडोले में झूलती रूबी चंदन से कहती, ‘‘चंदन मैं दिल दे कर अब पूरी तरह तुम्हारी हो चुकी हूं, तुम भी मेरा साथ निभाना. कभी भूल से भी मेरा दिल मत तोडना.’’
‘‘कैसी बात करती हो रूबी, तुम्हारा दिल अब मेरी जान है और कोई भी अपनी जान को यूं ही नहीं छोड़ता. मैं तुम्हें जल्दी ही ले जाऊंगा. मैं ने भी तुम पर पूरा भरोसा कर के प्यार किया है.’’ चंदन रूबी को विश्वास दिलाता.
लेकिन इस बीच धर्मेंद्र को उन के बीच पक रही खिचड़ी की भनक लग गई थी. वह अपनी पत्नी के चरित्र से भलीभांति परिचित था. उस ने रूबी को कई बार समझाया कि चंदन जब घर आए तो वह उस से बात न करे. लेकिन पति की बातों का रूबी पर कोई असर नहीं होता था.
पतिपत्नी में विवाद बढ़ने के बाद रूबी अपने मायके चली गई. चंदन उस के मायके में भी जाने लगा था. समझौते के बाद रूबी फिर धर्मेंद्र के पास ससुराल आ गई थी. घटना से एक माह पहले धर्मेंद्र के पिता की मृत्यु हो गई थी.
घर में धर्मेंद्र, रूबी, बेटे के अलावा विधवा मां रह गई थीं. ससुराल आने के बाद कुछ दिन तो रूबी का रवैया ठीक रहा लेकिन बाद में उस का प्रेमी चंदन फिर से घर आने लगा. धर्मेंद्र की हत्या से 10 दिन पहले चंदन और धर्मेंद्र में इसी बात को ले कर कहासुनी भी हुई थी.
इस के बाद चंदन का उस के घर आना बंद हो गया था. अब रूबी चंदन से मोबाइल पर चोरीछिपे बात करने लगी. एक सप्ताह पहले अच्छा मौका देख चंदन ने फोन पर रूबी से बात कर के धर्मेंद्र की हत्या की साजिश रची.
योजना के अनुसार 23 मार्च की शाम 6 बजे रूबी ने धर्मेंद्र को सामान मंगाने के बहाने आमौर चौराहे पर भेज दिया. साथ ही चंदन को भी फोन कर दिया. चंदन चौराहे पर पहुंचा. धर्मेंद्र वहां उसे एक दुकान पर सामान खरीदते मिल गया. उस ने धर्मेंद्र की कमजोर नस को दबाते हुए कहा, ‘‘चलो पार्टी करते हैं.’’
धर्मेंद्र चाह कर भी मना नहीं कर सका. पुराने शिकवेगिले भूल कर धर्मेंद्र चंदन को अपने औटो में बैठा कर आमौर चौराहे वाले शराब के ठेके पर ले गया. वहीं से शराब की बोतल खरीदी.
रास्ते में रूबी का जीजा धर्मवीर भी मिल गया. दोनों ने उसे जम कर शराब पिलाई, साथ ही उस के साथ मारपीट भी की. तब तक अंधेरा घिर आया था. अधिक शराब पीने से धर्मेंद्र बेसुध हो गया तो दोनों धर्मेंद्र को औटो से नगला जीवन के पास आमौर नहर पर ले गए, जहां उसे नहर में धकेल दिया. पानी में डूबने से उस की मौत हो गई. लापता होने के तीसरे दिन धर्मेंद्र की लाश नहर से बरामद हो गई थी.
पुलिस ने गिरफ्तार रूबी व उस के प्रेमी चंदन को न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. प्रेमी चंदन के प्यार में रूबी इस कदर अंधी हो गई थी कि अपने हाथों से ही अपनी हंसतीखेलती दुनिया बरबाद कर ली. अब वह अपने अबोध बेटे से भी दूर हो गई.
सौजन्य: सत्यकथा, जून 2020