एसीबी ने जयपुर में राजस्थान के जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर आर.के. मीणा को 10 लाख रुपए और एडिशनल चीफ इंजीनियर सुबोध जैन को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में 19 जुलाई, 2016 को गिरफ्तार किया था. आरोप था कि यह रिश्वत एसपीएमएल कंपनी के अधिकारियों ने इन दोनों इंजीनियरों को दी थी.
एसीबी ने उसी दिन दोनों आरोपी इंजीनियरों के जयपुर स्थित आवासों की तलाशी ली तो चीफ इंजीनियर आर.के. मीणा के घर से एसीबी को 12.41 लाख रुपए नकद और प्रौपर्टी के कागजात मिले थे. एडिशनल चीफ इंजीनियर सुबोध जैन के आवास से 9 लाख रुपए नकद, प्रौपर्टी के दस्तावेज एवं ढाई लाख रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी मिली थी. दोनों के एकएक बैंक लौकर भी मिले थे.
सुबोध जैन राजस्थान की पिछली कांग्रेस सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रमोद जैन भाया के ओएसडी (औफिसर औन स्पैशल ड्यूटी) भी रहे थे. वह सरकार की ओर से विभिन्न मामलों की स्टडी के लिए जापान सहित कई देशों की यात्रा कर चुके थे.
जलदाय विभाग की ओर से जैन को आईएएस कैडर देने का प्रस्ताव भेजा गया था. अगर वह गिरफ्तार न होते तो बेटे को वकालत की मास्टर डिग्री की पढ़ाई के लिए एडमिशन दिलाने 22 जुलाई, 2016 को सिंगापुर जाने वाले थे. रिश्वत की रकम वह सिरहाने रख कर सोते थे. एसीबी की काररवाई के दौरान वह बैड पर मुंह ढक कर पड़े थे.
दोनों इंजीनियरों के पकड़े जाने से एक दिन पहले चंबल नादौती वाटर सप्लाई योजना सवाई माधोपुर के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर उदयभानु माहेश्वरी ने इसी कंपनी के अधिकारियों से 15 लाख रुपए की रिश्वत ली थी. उस समय वह एसीबी की पकड़ में नहीं आए थे. हालांकि कुछ दिनों बाद उन्होंने एसीबी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. एसीबी ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया था.
इस मामले में एसीबी ने जलदाय विभाग के 3 इंजीनियरों आर.के. मीणा, सुबोध जैन और उदयभानु माहेश्वरी के अलावा एसपीएमएल कंपनी के डाइरेक्टर ऋषभ सेठी और वाइस प्रेसीडेंट केशव गुप्ता सहित 4 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इन में केशव गुप्ता कंपनी का राजस्थान का काम संभालते थे.
सब से पहले 2 इंजीनियरों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद पूछताछ में ऋषभ सेठी का नाम सामने आने पर उच्चाधिकारियों ने अलवर से एसीबी की टीम को ऋषभ सेठी को गिरफ्तार करने के लिए गुड़गांव भेज दिया था. अलवर की एसीबी टीम गुड़गांव के थाना सुशांतलोक पुलिस को साथ ले कर एसपीएमएल कंपनी के औफिस पहुंची, लेकिन तब तक सेठी फरार हो चुके थे.
एसीबी की जांच में सामने आया कि एसपीएमएल कंपनी के अधिकारियों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को अपने करोड़ों रुपए के बिल पास करवाने, वर्क और्डर जारी करवाने एवं कंपनी के प्रोजैक्ट्स में सहयोग करने के लिए रिश्वत दी थी. रिश्वत की यह राशि एसपीएमएल कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट केशव गुप्ता के कहने पर कंपनी के सहायक महाप्रबंधक प्रफुल्ल मोरेश्वर ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को दी थी.
यह बात भी सामने आई थी कि जलदाय विभाग के कुछ अधिकारी प्रोजैक्ट हासिल करने वाली कंपनियों एवं फर्मों से 15 फीसदी तक कमीशन के रूप में लेते थे. एसपीएमएल कंपनी को भरतपुर में पाइपलाइन बिछाने एवं मेंटीनेंस का 250 करोड़ रुपए का टेंडर मिलने वाला था. इस के अलावा राजस्थान के अन्य जिलों में एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजैक्ट मिलने वाले थे.
इस हिसाब से रिश्वत की राशि करोड़ों रुपए में होती है. प्रोजैक्ट हासिल करने के लिए कंपनी के प्रतिनिधियों की जलदाय विभाग के कई अधिकारियों से बातचीत चल रही थी. कंपनी तथा जलदाय विभाग के अधिकारियों के फोन एसीबी ने सर्विलांस पर लगा रखे थे. इसी से रिश्वत के इस खेल का खुलासा हुआ था. एसीबी ने रिश्वत देने के आरोप में एसपीएमएल कंपनी के सहायक महाप्रबंधक प्रफुल्ल मोरेश्वर को 19 जुलाई, 2016 को गिरफ्तार कर लिया था.
एसपीएमएल कंपनी बौंबे स्टौक एक्सचेंज व एनएसई में सूचीबद्ध है. कंपनी ने दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में जलदाय, सीवरेज सहित इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई बड़े प्रोजैक्ट हासिल कर रखे थे. राजस्थान में इस कंपनी के हजारों करोड़ रुपए के नएपुराने प्रोजैक्ट चल रहे थे. रिश्वत मामले में नाम आने से इस कंपनी के शेयर के भाव तुरंत गिर गए थे.
कंपनी ने मार्च, 2016 में समाप्त वित्त वर्ष में 1407 करोड़ रुपए की कुल संचालन आय अर्जित की थी. कंपनी ने सन 2016 में ही टाटा प्रोजैक्ट्स के साथ मिल कर राजस्थान अरबन ड्रिंकिंग वाटर, सीवरेज ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेशन से प्रदेश के 11 शहरों में सीवरेज सिस्टम के निर्माण और ट्रीटेड वेस्ट वाटर से जुड़े 1275 करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट हासिल किए थे.
बाद में एसीबी ने इस मामले में एसपीएमएल कंपनी के जयपुर औफिस में काम करने वाले सहायक महाप्रबंधक आकाशदीप तोतला को नवंबर, 2016 के पहले सप्ताह में गिरफ्तार कर लिया था. इस रिश्वत प्रकरण में नामजद किए गए मुख्य सूत्रधार एसपीएमएल कंपनी के डाइरेक्टर ऋषभ सेठी एवं वाइस प्रेसीडेंट केशव गुप्ता की गिरफ्तारी के लिए एसीबी ने कई बार गुड़गांव सहित अन्य जगहों पर छापे मारे, लेकिन वे पकड़ में नहीं आए.
बाद में एसीबी ने अदालत से सेठी और गुप्ता की गिरफ्तारी के लिए वारंट हासिल कर लिए थे. कंपनी के ये दोनों अधिकारी फरार थे. यह उसी बीच की बात है, जब शंकरदत्त शर्मा के नाम से सनी पांड्या के पास फोन आया था. पांड्या ने एसपीएमएल कंपनी के अधिकारियों के जरिए पता कराया कि क्या एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा इस तरह फोन कर के 10 करोड़ रुपए मांग सकते हैं?
कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि एसपी शंकरदत्त शर्मा ईमानदार अधिकारी हैं. वह इस तरह की हरकत कतई नहीं कर सकते. अगर लेनदेन से काम बनता तो उन के 2 अफसरों को गिरफ्तार न किया जाता और न ही कंपनी के डाइरेक्टर और वाइस प्रेसीडेंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज होती.
काफी सोचविचार कर एक दिन बाद सनी पांड्या ने सीबीआई में इस की शिकायत कर दी और वह रिकौर्डिंग भी सौंप दी, जो उन्होंने 10 करोड़ रुपए मांगने वाले से बात की थी. सीबीआई ने पांड्या की ओर से सौंपी गई रिकौर्डिंग को सुन कर जांच शुरू कर दी, क्योंकि उसे यह मामला संदिग्ध लग रहा था. शुरुआती जांच के बाद सीबीआई ने इस मामले की जानकारी राजस्थान के एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी के पुलिस महानिदेशक को दे दी.
पेचीदा एवं तकनीकी मामला होने की वजह से एसीबी के आईजी सचिन मित्तल ने इस मामले की जांच शुरू कर दी. एसपी शंकरदत्त शर्मा के मोबाइल नंबर एवं एसीबी मुख्यालय के लैंडलाइन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो साफ हो गया कि एसपी शंकरदत्त शर्मा के नाम से किसी अन्य आदमी ने फरजी तरीके से फोन कर के 10 करोड़ रुपए मांगे थे.