30 जनवरी, 2017 की बात है. भगवानदास कुशवाह आंगन में बैठे चाय पी रहे थे. तभी उन की नजर भतीजे रामरतन के कमरे की तरफ गई. मांबाप की मौत के बाद रामरतन उन के साथ ही रह रहा था. करीब 10 महीने पहले भगवानदास ने ही रामरतन की शादी ललिता से कराई थी. उस समय उस की बीवी मायके गई हुई थी. रोजाना रामरतन सूरज निकलने से पहले ही सो कर उठ जाता था लेकिन उस दिन सुबह के करीब साढ़े 8 बज गए. तब भी रामरतन के कमरे का दरवाजा नहीं खुला था.
भगवानदास ने आंगन से ही रामरतन को कई आवाजें लगाईं पर उस के कमरे से कोई आवाज नहीं आई. तब वह चाय का प्याला एक तरफ रख कर दरवाजा खोल कर उस के कमरे में पहुंचे. रामरतन अपनी चारपाई पर था. उन्होंने उसे फिर कई आवाज दीं पर वह नहीं उठा.
तब उन्होंने आवाज देते हुए उसे झकझोरा. झकझोरते समय उन्हें कुछ शक हुआ तो उस की नब्ज टटोली. नब्ज गायब मिली और उस का शरीर भी एकदम ठंडा था. लग रहा था जैसे उस की मौत हो चुकी है.
भगवानदास घबराते हुए बाहर गए और पड़ोसियों को बुला लाए. सभी ने कमरे में पहुंच कर रामरतन की धड़कनों आदि को देखा तो पाया कि उस की मौत हो चुकी है. वह रात को खाना खा कर ठीकठाक सोया था तो यह अचानक हो क्या गया. भगवानदास समझ नहीं पाए.
रामरतन के गले पर कुछ निशानों को देख कर भगवानदास को शक हो गया कि उस की मौत स्वाभाविक नहीं हुई है बल्कि किसी ने उस की हत्या की है. इसलिए वह कुछ लोगों के साथ तिघरा थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी आर.पी. मिश्रा को उन्होंने रामरतन की मौत की बात बता दी.
थानाप्रभारी आर.पी. मिश्रा ने भगवानदास की बात को काफी गंभीरता से लिया और तत्काल फोर्स ले कर उन के साथ गांव तालपुरा के लिए रवाना हो गए. थाने से तालपुरा महज 4 किलोमीटर दूर था, इसलिए थानाप्रभारी 10-15 मिनट में ही घटनास्थल पर पहुंच गए.
तब तक भगवानदास के घर के बाहर गांव के काफी लोग जमा हो चुके थे. थानाप्रभारी ने लाश का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया तो मृतक की गरदन पर उन्हें कुछ निशान दिखाई दिए. गौर से देखने पर लग रहा था जैसे किसी ने उस का गला घोंटा हो.
मरने वाले की उम्र यही कोई 33 साल थी. तलाशी के दौरान मृतक की पैंट की जेब से कुछ रुपए और एक डायरी मिली. डायरी में नातेरिश्तेदारों के मोबाइल नंबर लिखे हुए थे. कमरे का सारा सामान अपनीअपनी जगह रखा था. कमरे का मुआयना करने के बाद नहीं लग रहा था कि वहां कोई लूट की वारदात हुई है. लग रहा था कि हत्या लूट के लिए नहीं बल्कि सुनियोजित तरीके से की गई है.
थानाप्रभारी के पूछने पर भगवानदास ने बताया कि रामरतन की पत्नी ललिता इन दिनों अपने मायके कुलैथ गई हुई है. उस के मायके वालों को इस घटना की सूचना भिजवा दी है. वे लोग आपस में बातें कर ही रहे थे कि इतने में ललिता दहाड़ मारती हुई उस कमरे में आ गई, जहां उस के पति की लाश पड़ी थी.
कुछ देर बाद थानाप्रभारी ने ललिता से पूछा, ‘‘क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारे पति की हत्या किस ने की होगी?’’
‘‘साहब, मैं तो अपने मायके में थी. मोए का मालूम किस ने मेरा सुहाग उजाड़ दयो.’’ इतना कह कर वह फिर सुबकने लगी.
थानाप्रभारी की सूचना पर फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट ब्यूरो का स्टाफ भी वहां पहुंच गया. उन का काम निपट जाने के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई की और लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. इस के बाद थाने पहुंच कर भगवानदास की तहरीर पर अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर लिया.
थानाप्रभारी ने भगवानदास से बात की तो उन्होंने बताया कि ललिता के लाखन के साथ नजदीकी संबंध थे. रामरतन ललिता से कहता था कि वह लाखन से न मिला करे, पर वह नहीं मानी. उन्होंने ललिता पर ही रामरतन की हत्या का आरोप लगाया.
थानाप्रभारी जब उस दिन घटनास्थल पर गए थे तो उन्हें ललिता के हावभाव देख कर शक भी हो रहा था. उन्होंने भगवानदास से ललिता का फोन नंबर लेने के बाद उस की काल डिटेल्स निकलवाई.
काल डिटेल्स का अध्ययन करने पर पता चला कि ललिता एक फोन नंबर पर सब से ज्यादा बातें किया करती थी. उस फोन नंबर की जांच हुई तो वह ललिता के चचेरे देवर लाखन का निकला. लाखन के बारे में जांच की तो पता चला कि उस के ललिता के साथ नाजायज संबंध थे. यह जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी समझ गए कि रामरतन अपनी पत्नी ललिता और लाखन के अवैध संबंधों की भेंट चढ़ा है.
पुलिस ने एक बार फिर ललिता से पूछताछ की. उस ने बिना डरे बड़ी सफाई से सभी सवालों के जवाब दिए. पति से खटपट की बात तो उस ने स्वीकार की लेकिन उस की हत्या करने की बात को नकार दिया.
पुलिस के पास काल डिटेल्स के अलावा ललिता के खिलाफ ऐसा कोई ठोस अहम सबूत नहीं था जिस के आधार पर उसे गिरफ्तार किया जा सके.
अब पुलिस लाखन से पूछताछ करना चाहती थी. लेकिन वह घर से फरार हो चुका था. कई संभावित जगहों पर उसे तलाशा पर वह नहीं मिला. उस की फरारी ने थानाप्रभारी का शक और मजबूत कर दिया. लाखन से पूछताछ से पहले पुलिस ने ललिता को थाने बुलाना उचित नहीं समझा.
थानाप्रभारी ने गांव के मुखबिर को ललिता की निगरानी के लिए लगा दिया. करीब पौने 3 महीने बाद लाखन पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने रामरतन की हत्या करने की बात स्वीकार ली. उस ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों की बुनियाद पर रची निकली.
रामरतन और ललिता की शादी करीब 10 महीने पहले एक सामूहिक विवाह सम्मेलन में हुई थी. दोनों की उम्र में 13 साल का अंतर था. यानी 20 साल की ललिता की अपनी उम्र से 13 साल बड़े रामरतन से शादी तो हो गई थी, पर वह उस के साथ खुश नहीं थी.
इस का नतीजा यह हुआ कि शादी के एक पखवाड़े बाद ही पतिपत्नी में खटपट शुरू हो गई. वैसे भी रामरतन सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर के शाम को थकामांदा घर लौटता. वह पत्नी की जरूरतों का खयाल किए बिना ही सो जाता था.
ललिता ने इधरउधर नजरें दौड़ाईं तो उसे चचेरा देवर लाखन जंच गया. वह अविवाहित था. ललिता ने उसे अपने जाल में फांस लिया. जब घर में कोई नहीं होता तो वह उसे बुला लेती थी. इस तरह उन दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए.
धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. रामरतन निर्धारित समय पर रोजाना अपनी नौकरी पर निकल जाता था, उसी मौके का फायदा उठा कर ललिता लाखन को फोन कर घर पर बुला लेती थी. फिर दोनों अपनी हसरतें पूरी करते.
इस तरह के संबंधों को कोई लाख छिपाने की कोशिश करे, पर वह ज्यादा दिनों तक छिपे नहीं रहते. एक न एक दिन उजागर हो ही जाते हैं. लाखन का जब रामरतन की गैरमौजूदगी में उस के घर ज्यादा आनाजाना होने लगा तो लोगों का शक भी बढ़ गया.
आखिरकार एक दिन रामरतन के एक पड़ोसी ने उस से कह ही दिया, ‘‘भैया, नौकरी तो तुम पूरी मुस्तैदी के साथ करते हो, मगर घरवाली का भी खयाल रखा करो.’’
‘‘मैं समझा नहीं, तुम क्या कहना चाह रहे हो?’’ रामरतन ने कहा.
‘‘आजकल लाखन तुम्हारे घर के खूब चक्कर लगा रहा है.’’ पड़ोसी बोला.
उस पड़ोसी की बात सुन कर रामरतन हक्काबक्का रह गया. उस ने ललिता से पूछा, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में लाखन आता है क्या?’’
‘‘आप से किस ने कहा कि आप की गैरमौजूदगी में लाखन आता है?’’ ललिता ने उलटे उस से सवाल किया.
‘‘किस ने कहा है, इस से मतलब मत रख, पर इतना समझ ले कि अब लाखन घर आए तो उसे कमरे में कतई नहीं आने देना. उसे ले कर समूचे तालपुरा में तरहतरह की चर्चाएं हो रही हैं. मैं कतई नहीं चाहता कि उस की वजह से हमारी गांव में बदनामी हो.’’ रामरतन बोला.
ललिता ने कोई जवाब नहीं दिया. रामरतन इस बात को ले कर काफी परेशान था. वह भी कुछ दिनों से महसूस कर रहा था कि ललिता का व्यवहार उस के प्रति उपेक्षापूर्ण रहने लगा है. उस से उसे लगा कि कहीं ललिता सही में मर्यादा की दीवार तो नहीं लांघ गई
उधर ललिता ने लाखन को फोन कर के बता दिया था कि पति को हम दोनों पर शक हो गया है इसलिए कुछ दिनों वह घर न आए. ललिता के कहने के बाद लाखन ने ऐहतियात बरती. उस दौरान वे केवल फोन पर ही बात कर लेते. पर खाली बातों से काम चलने वाला नहीं था. वे फिर से मिलने का उपाय खोजने लगे.
रामरतन अपनी नौकरी पर निकल जाता और भगवानदास अपने खेतों पर, इसी का फायदा उठा कर ललिता लाखन को फोन कर के कमरे पर बुला लेती.
इत्तफाक से एक दिन दोपहर में रामरतन की तबीयत अचानक खराब हो गई तो वह काम से घर लौट आया. संयोग से लाखन उस वक्त ललिता से मिलने उस के घर आया हुआ था. रामरतन को क्या पता था कि उस के पीछे घर में क्या हो रहा है. रामरतन आया और सीधा अपने कमरे में दाखिल हो गया. पर सामने का दृश्य देख कर वह भौचक्का रह गया. उस की पत्नी अपने चचेरे देवर लाखन की बांहों में समाई हुई थी.
यह देख कर गुस्से से रामरतन का खून खौल उठा. रामरतन को अचानक आया देख लाखन वहां से भाग गया. तब उस ने ललिता की जम कर पिटाई की.
गुस्सा शांत हो जाने के बाद रामरतन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह चरित्रहीन पत्नी का क्या करे. यदि वह उसे मायके भेज देगा तो समस्या यह थी कि रोटी कौन बनाएगा और नौकरी छोड़ कर पत्नी की रखवाली कर नहीं सकता था.
उधर ललिता का लाखन से इतना लगाव हो गया था कि वह उसे छोड़ना नहीं चाहती थी. इस के साथसाथ वह पति से भी नाता नहीं तोड़ना चाहती थी. क्योंकि जो सुखसुविधा रामरतन उसे दे रहा था, वह लाखन फिलहाल नहीं दे सकता था. क्योंकि वह तो बेरोजगार था. यही सब सोच कर ललिता ने पति से माफी मांगते हुए वादा किया कि आइंदा वह लाखन से नहीं मिलेगी. रामरतन को लगा कि ललिता को शायद अपनी गलती का अहसास हो गया है तो उस ने पत्नी को माफ कर दिया.
दूसरी ओर लाखन अब ललिता से मेलजोल बनाए रखने का साहस नहीं जुटा पा रहा था. क्योंकि उस दिन रामरतन ने उसे रंगेहाथों जो पकड़ लिया था. वह ललिता से कन्नी काटने लगा. मगर ललिता उस का पीछा कहां छोड़ने वाली थी. उस ने एक दिन लाखन से कह भी दिया कि वह उस के बिना नहीं रह सकेगी. अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से उस ने लाखन को मना लिया. लिहाजा पहले की तरह उन की रासलीला चलने लगी.
इस तरह रामरतन के पीठ पीछे वह अपनी हसरतें पूरी करते रहे. गांव वालों से रामरतन को पुन: पता चल गया कि लाखन अब भी उस के घर आता है.
लाखन और ललिता इश्क की राह में इतने दूर आ चुके थे कि अब वे किसी भी कीमत में वापस नहीं लौटना चाहते थे. इश्क का जुनून दोनों के सिर चढ़ कर बोल रहा था. आखिर एक दिन रामरतन ने उन दोनों को फिर रंगेहाथ पकड़ लिया. इस बार रामरतन ने ललिता की पिटाई करने के बजाय खरीखोटी सुनाई. बाद में उस ने पत्नी को समझाने की भरसक कोशिश की. लाखन उस दिन भी भाग गया था. रामरतन को लगा कि ललिता सुधरने वाली नहीं है इसलिए उस ने उसी दिन अपने मामा हरिज्ञान सिंह को बुला कर ललिता को उस के मायके कुलैथ भिजवा दिया.
रामरतन ने ललिता को भले ही उस के मायके भिजवा दिया पर उस ने खुद को नहीं बदला. कुछ दिनों बाद वह लाखन को फोन कर के एकांत में मिलने के लिए अपने मायके कुलैथ बुला लेती.
ललिता भले ही अपने मायके वालों की नजरों से बच कर लाखन के साथ रंगरलियां मना रही थी, लेकिन कुलैथ के लोगों की नजरों को वह कैसे चकमा दे सकती थी. यानी मायके में भी ललिता और लाखन के अवैध संबंधों को ले कर चर्चाएं होने लगीं. इस से ललिता के मांबाप और भाईभाभी की बदनामी होने लगी.
इस के बावजूद भी ललिता अपने प्रेमी लाखन को नहीं भूल पाई. एक दिन वह लाखन से बोली, ‘‘लाखन, मैं तेरे बिना अब जी नहीं सकती. अब मुझे हमेशाहमेशा के लिए तेरा साथ चाहिए. रामरतन के रहते यह संभव नहीं है क्योंकि वह हम दोनों के मिलन में रोड़ा बना हुआ है. इस रोड़े को अब हर हाल में हटाना होगा.’’
अपनी लच्छेदार बातों से ललिता ने लाखन से पति को रास्ते से हटाने के लिए रजामंद कर लिया. लाखन यह काम करने के लिए तैयार हो गया.
29 जनवरी, 2017 को ललिता के मातापिता और भाई रिश्तेदारी में शादी के कार्यक्रम में शरीक होने के लिए गए थे. घर पर सिर्फ ललिता और उस की भाभी ही थी. मौका देख कर आधी रात को ललिता ने लाखन को फोन कर के कुलैथ बुला लिया. इस के बाद ललिता लाखन की मोटरसाइकिल पर बैठ कर तालपुरा के लिए निकल गई. रास्ते में स्थित पुलिया पर कुछ देर बैठ कर दोनों ने यह तय कर लिया कि आज रामरतन को हर हाल में रास्ते से हटाना है.
कुलैथ से तालपुरा पहुंच कर दोनों घर के पिछवाड़े की दीवार फांद कर दबे पांव रामरतन के कमरे में पहुंच गए. रामरतन उस समय गहरी नींद में सो रहा था. उस के चाचा भगवानदास दूसरे कमरे में थे. ललिता और लाखन ने रामरतन को दबोच लिया.
ललिता ने उस के हाथ पकड़े और लाखन छाती पर सवार हो गया. फिर दोनों हाथों से उस का गला दबाने लगा. रामरतन ने जान बचाने के लिए हाथपैर पटके तो ललिता ने उस के पैर कस कर पकड़ लिए.
कुछ ही देर में रामरतन की सांसें थम गईं. वह बेदम हो गया तो उसे उसी हालत में छोड़ कर दोनों दीवार फांद कर निकल गए. लाखन रात के अंतिम पहर में ही ललिता को उस के मायके कुलैथ छोड़ आया. जहां ललिता रात में ही नहाई. इतनी रात में नहाने पर उस की भाभी ने टोका तो ललिता ने बहाना बना दिया.
लाखन से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की प्रेमिका ललिता को भी गिरफ्तार कर लिया. थाने में उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.
ललिता को क्या पता था कि पति की ढाई बीघा जमीन पर लाखन के साथ मौज करने के बजाय वह जेल चली जाएगी. पुलिस ने गिरफ्तार लाखन और ललिता को 22 मार्च को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक दोनों की जमानत नहीं हुई थी.
लेखक : मुकेश तिवारी/रणजीत सुर्वे
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित