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कलाकार: सुष्मिता सेन, इंद्रनील सेनगुप्ता,  विरती वाघानी, सिकंदर खेर, इला अरुण, विकास कुमार, विश्वजीत प्रधान, माया सराओ, गीतांजलि कुलकर्णी, सोहेला कपूर आदि

लेखक: खुशबू राज, अमित राज और अनु सिंह चौधरी

निर्देशक: कपिल शर्मा, श्रद्धा पासी जयरथ और राम माधवानी

निर्माता: अमित माधवानी, राम माधवानी और एंडेमौल शाइन इंडिया

ओटीटी: डिज्नी प्लस हौटस्टार

आर्या सरीन जिस की भूमिका सुष्मिता सेन ने की है, वह सत्ता के शिखर पर पहुंचना चाहती है. इस के लिए वह जहां नए लोगों को अपने साथ जोड़ रही है, वहीं उसे नए और पुराने दुश्मनों का सामना भी करना पड़ रहा है. क्योंकि सीजन एक और 2 में वह अपने परिवार की सुरक्षा के लिए भागती नजर आई थी.

अब उस के सामने अपने परिवार वालों का असली चेहरा सामने आ गया है, इसलिए उस ने लडऩे का फैसला तो कर लिया, पर हाय रे डायरेक्टर और लेखक, वह कहीं भी लड़ती नजर नहीं आई. उसे ताकतवर बनाने की बात तो की गई है, पर सीजन 3 के चारों एपिसोडों में वह हर जगह मात ही खाती नजर आ रही है. उस के ऐक्शंस में ताकत दूरदूर तक नजर नहीं आती. वह कहती तो बहुत कुछ है, पर कर कुछ नहीं पाती.

इस से सीरीज के ये चारों ही एपिसोड बेकार नजर आते हैं. गौडमदर बनने की कोशिश करने वाली आर्या को हर जगह मात खाते दिखाना वेब सीरीज का मजा किरकिरा कर देता है. लेखक को लिखते समय और डायरेक्टर को निर्देशन के समय यह विचार करना चाहिए कि दर्शक हीरो या हीरोइन को देखते पसंद नहीं करता.

चारों एपिसोड में कहानी जैसा तो कुछ दिखता नहीं, केवल खूनखराबा ही दिखाया गया है. न कहीं सस्पेंस है और न ही कहीं ऐक्शन, इसलिए चारों एपिसोड दर्शकों को बोर करते हैं. मेरी समझ से तो ये चारों एपिसोड दर्शकों का केवल समय बरबाद करते हैं, इसलिए इसे देख कर अपना समय न बरबाद करें.

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