जांच के दौरान क्राइम ब्रांच यूनिट-6 की पुलिस को संध्या सिंह के जानपहचान वालों से पता चला था कि रघुवीर सिंह का व्यवहार संध्या सिंह के प्रति कभी भी अच्छा नहीं रहा. वह अकसर उन से लड़ाईझगड़ा किया करता था. घटना के कुछ दिनों पहले भी किसी बात को ले कर मांबेटे में जोरदार झगड़ा हुआ था. रघुवीर सिंह ने मां को कुछ इस तरह मारा था कि उन की नाक से खून बहने लगा था. मामला एनआरआई पुलिस थाने तक पहुंचा था. तब इस मामले को शांत कराने के लिए संध्या सिंह के पति जयप्रकाश सिंह को इंदौर से मुंबई आना पड़ा था.
इसी तरह 3-4 साल पहले भी हुआ था. उस समय संध्या सिंह परिवार के साथ भीमा शंकर इमारत की चौथी मंजिल पर रहती थीं. किसी बात को ले कर रघुवीर सिंह का मां से झगड़ा हुआ तो वह उन्हें पीटने लगा. पीटते हुए वह उन्हें खिड़की से बाहर गिराने की कोशिश कर रहा था. यह सब देख कर संध्या सिंह की नौकरानी घबरा गई. वह जल्दीजल्दी से सीढि़यां उतर कर उसी इमारत में रहने वाली संध्या सिंह की एक घनिष्ठ सहेली को बुला लाई. उस सहेली ने किसी तरह संध्या सिंह को छुड़ाया. बेटे ने उन्हें इस तरह मारा था कि उन के मुंह का दाहिना हिस्सा सूज गया था.
संध्या सिंह की सहेली ने जब रघुवीर सिंह को उस की इस हरकत के लिए बुरी तरह डांटा तो जवाब में उस ने कहा था, ‘‘मुझे एक पंडित ने बताया है कि मेरी मां की मौत मेरे हाथों लिखी है.’’