नंदिनी की कातिल निगाहेंक्यों जमी थीं जेठ पर
सातवें एपीसोड में बबलू को तलाशने की बात होती है. वह अपनी टीम के साथ दुख व्यक्त करते हैं कि वह एक बच्चा नहीं बचा पाए. आगे की कहानी में बबलू भागाभागा फिर रहा होता है. देवी से बात करना चाहता है, पर वह फोन काट देती है. तब वह शेख के पास जाता है. पर वह भी दुत्कार कर भगा देता है.
तब बबलू अपनी प्रेमिका और हर अपराध में सहयोगी पिंकी को अविनाश के पास भेज कर आत्मसमर्पण की बात करता है. पर वह आत्मसमर्पण कर पाता, उस के पहले ही देवी अपने सहयोगियों के साथ जा कर बबलू के गैंग की हत्या कर देती है. इसी के साथ शेख बबलू को जिंदा दफन करवा देता है. देवी की भूमिका अभिमन्यु सिंह ने की है तो अजीमुद्दीन गुलाम शेख की भूमिका अमित सियाल ने की है.
इस की जानकारी इंस्पेक्टर अविनाश को हो जाती है. उन्हें यह भी पता चल जाता है कि राकेश अग्रवाल के बेटे का अपहरण शेख ने ही करवाया था और उसी के कहने पर बबलू ने बच्चे की हत्या कर दी थी. यह सब वोटों के लिए किया गया था.
शेख रफीक गाजी के भाई इमरान गाजी को देवी मां से मिलवाता है, जो उसे पिस्टल देती है. इस के बाद इमरान गाजी कालेज का चुनाव लड़ता है और गुंडई के बल पर जीत भी जाता है. इमरान गाजी का रोल जोहैब फारुकी ने किया है. यह अपनी भूमिका में बिलकुल नहीं जमता.
आठवें और अंतिम एपीसोड में इंस्पेक्टर अविनाश शेख के घर मिलने जाते हैं, जहां शेख और अविनाश की कहासुनी होती है, जिस में दोनों ही एकदूसरे को धमकाते हैं. इस के बाद गृहमंत्री का भाई नशा कर रहा होता है तो उस की पत्नी नंदिनी उसे फोन करती है.