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वैशाली मुनव्वरपुर अपनी बहन ममता के घर जाती है. वैशाली की पत्रकारिता का मजाक उड़ाते हुए ममता और उस के पति सुरेश वैशाली को जल्दी बच्चा करने के लिए कहते हैं.

इधर हम देखते हैं कि अरविंद सिंह को अब किसी बंसी साहू का फोन आता है, जोकि उस की बीवी को मुनव्वरपुर से दूर रहने के लिए कहता है. वैशाली जब रात को अपने घर पहुंचती है, तब अरविंद वैशाली को बंसी साहू की धमकी के बारे में बताता है.

अगले दिन गुप्ताजी वैशाली के पास आ कर उस को बंसी साहू के बारे में बताते हैं कि बंसी साहू कोई छोटामोटा आदमी नहीं है, बल्कि उस की काफी ऊपर तक पहुंच है और वह बड़ेबड़े मंत्रियों को जानता है. मतलब कि बंसी साहू को ऐसे ही पकड़वाना आसान नहीं होगा.

वैशाली और भास्कर अब आसपास के शेल्टर होम में जा कर मुनव्वरपुर शेल्टर होम के बारे में पता करते हैं, पर उन को कुछ भी पता नहीं चलता. वैशाली अपने चैनल पर छोटी बच्चियों के ऊपर हो रहे अत्याचार की रिपोर्टिंग कर के लोगों को बताती है कि एनआईएसएस (निस) की रिपोर्ट के आने के बाद भी सरकार मुनव्वरपुर की बच्चियों पर हो रहे दुष्कर्म पर कोई भी ऐक्शन नहीं ले रही है.

उस के बाद वैशाली और भास्कर सीधा बंसी साहू से मिलने जाते हैं. पत्रकार और कैमरामैन किसी तरीके के कोई सवाल बंसी साहू से नहीं करते हैं. भीगी बिल्ली की तरह उस के पास बैठे रहते हैं. किसी तरह का भाव उन के चेहरे से नहीं गुजरता. बंसी साहू अपने डायलौग बोल कर उन्हें डराधमका कर भगा देता है.

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