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शिव प्रकाश ने क्यों की विधायक की हत्या

अगला दृश्य इमरजेंसी का दिखाया जाता है, जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा दी थी. जेपी आंदोलन को उस में दिखाया गया है.

दूसरी ओर, गोरखपुर के छात्र जाति के हिसाब से अपनाअपना वर्चस्व स्थापित कर रहे थे, ब्राह्मण और ठाकुरों का राजनीतिक वर्चस्व स्थापित हो रहा था. पूरे गोरखपुर में उस समय चारों ओर हिंसा का तांडव फैलता जा रहा था. रामशंकर तिवारी और साही के बीच हिंसा की राजनीति बढ़ती जा रही थी.

रामशंकर तिवारी एक सभा को संबोधित करते हुए कहते हैं ब्राह्मïण के बस 3 काम हैं भिक्षा, शिक्षा और दीक्षा. जरूरत पडऩे पर हम सभी वो कार्य करने में सक्षम हैं जो एक समय में क्षत्रियों ने किया था. ब्राह्मण सर्वोच्च था सर्वोच्च रहेगा.

दूसरी तरफ राजनीतिक प्रतिद्वंदी नरेंद्र साही की सभा दिखाई गई है, जहां पर वह अपना भाषण देना शुरू कर देते हैं. तभी उस भीड़ के बीच में से शिव प्रकाश शुक्ला आ कर सीधे मंच तक पहुंच जाता है और खुलेआम हजारों की संख्या में लोगों से घिरे विधायक नरेंद्र साही की गोली मार कर हत्या कर देता है. वहां पर भगदड़ मच जाती है.

दूसरे दृश्य में रामशंकर तिवारी को उस के आदमी द्वारा खबर मिलती है कि काम हो गया. उस के बाद रामशंकर तिवारी ब्राह्मण एकता जिंदाबाद के नारे लगाता है. तभी वहां पर शिव प्रकाश शुक्ला के पिता प्रमोद शुक्ला दिखाई देते हैं. रामशंकर तिवारी उन से कहता है, तुम्हारा बिटवा पढ़ाईलिखाई से काफी आगे बढ़ गया है.

नरेंद्र साही की दिनदहाड़े हत्या की खबर चारों ओर फैल जाती है. उस के बाद शिव प्रकाश एक और हत्या कर देता है. फिर एक के बाद एक कर के शिव प्रकाश शुक्ला हत्या कर देता है.

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