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तेलगी की डिग्री से प्रभावित हो कर शौकतभाई उसे अपने यहां काम करने के लिए मुंबई बुला लेता है. शौकतभाई की भूमिका तलत अजीज ने की है. वह गजल गायक भी है. शौकतभाई से मुलाकात के बाद तेलगी अपने घर जाता है और यह बात वह अपनी मां और भाई से बताता है. उस के पिता की मौत हो चुकी है.

तेलगी ने चलाया शातिर दिमाग

अब्दुल करीम तेलगी शौकतभाई के पास खाली जेब मुंबई पहुंच जाता है. वहां उस का होटल का बिजनैस था, लेकिन उस का यह बिजनैस खास नहीं चल रहा होता. तेलगी यहां अपना दिमाग लगाता है और टैक्सी, पान की दुकान वालों को ही नहीं वड़ापाव वालों तक को उन के होटल का कार्ड दे कर आता है. टैक्सी वालों को ग्राहक लाने पर 5 रुपए कमीशन देता है.

इस तरह शौकतभाई का होटल चल निकलता है. इस बीच शौकतभाई की बेटी नफीसा तेलगी को पसंद आ जाती है. नफीसा का रोल सना अमीन शेख ने निभाया है. वह सुंदर भी है और अपनी भूमिका में अच्छी भी लगती है. शौकतभाई दोनों का निकाह करा देते हैं. इस के अलावा उस की एक और बेटी है दीया.

ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में तेलगी गल्फ देश चला जाता है, जहां 7 सालों तक रहता है, लेकिन परिवार की याद आती है तो मुंबई वापस आ जाता है और यहां फरजी दस्तावेज तैयार कर के लोगों को गल्फ और यूएई जैसे देशों में भेजने लगता है. लेकिन इस फरजीवाड़े में पकड़ा जाता है. थाने में उस की जम कर ठुकाई होती है.

इंसपेक्टर मधुकर डोंबे की भूमिका नंदू माधव ने की है. पर एक इंसपेक्टर किस तरह काम करता है, यह वह ठीक से कर नहीं पाया. इसे डायरेक्टर की कमी कही जा सकती है. क्योंकि अभिनेता तो उसी तरह काम करता है, जैसा डायरेक्टर कराता है.

थाने में तेलगी को उस के जैसा ही एक आदमी मिलता है कौशल झवेरी. वह भी उस के साथ पिट रहा होता है. कौशल का रोल हेमंग व्यास ने निभाया है. यहीं तेलगी और कौशल अच्छे दोस्त बन जाते हैं. शौकतभाई तेलगी की जमानत करा देता है और उस से पुलिस रिकौर्ड से अपना नाम निकलवाने के लिए कहता है.

इस के लिए वह उसे एक वकील के पास भेजता है. वकील बहुत ज्यादा पैसे मांगता है, पर तेलगी यहां उस वकील को अपनी बातों में फंसा कर उसी से पैसे भरवा कर अपना काम करवा लेता है कि वह उस का काम करवा कर फेमस हो जाएगा और अपने नेटवर्क का यूज कर के वह उसे खूब क्लाइंट दिलवाएगा, फिर वह खूब पैसे कमाएगा.

वैसे यह सीन ओवर लगता है, क्योंकि एक वकील अपने पैसे खर्च कर के भला किसी क्लाइंट का काम क्यों कराएगा? पर डायरेक्टर की समझ की बात है. शायद वह तेलगी को कुछ ज्यादा ही सयाना दिखाना चाहता था. इसलिए उस ने ऐसा किया है. पर इस सीन पर दर्शकों को हंसी ही आएगी.

क्लर्क से मिल कर बनाया नया प्लान

तेलगी के इस टैलेंट को देख कर कौशल उस से खूब प्रभावित होता है और अपना बिजनैस पार्टनर बना लेता है. इस के बाद कौशल तेलगी को अपना बिजनैस मौडल समझाता है कि जब भी कोई कंपनी बड़े अमाउंट में शेयर खरीदती है तो उस का शेयर सर्टिफिकेट इशू होता है.

फिर जब भी कोई शेयर मार्केट में ये शेयर खरीदता है तो ये शेयर सर्टिफिकेट उसे ट्रांसफर होता है, जिस के ऊपर एक स्टैंप लगाया जाता है और उस पर एक साइन होता है. यह प्रोसेस सिर्फ 5 बार होता है, जिस के बाद ये शेयर सर्टिफिकेट किसी काम के नहीं रहते. इन्हें डेड शेयर सर्टिफिकेट कहा जाता है. इस के बाद नया शेयर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. अब इन डेड सर्टिफिकेट की कंपनी को कोई जरूरत नहीं रहती. जिस के बाद कंपनी इन्हें गोडाउन में स्टोर कर के रख देती है.

कौशल कंपनी के क्लर्क से मिल कर इन डेड शेयर सर्टिफिकेट को निकलवा लेता था और कैमिकल की मदद से स्टैंप और साइन को हटा कर स्टौक एक्सचेंज में जा कर इन्हें सस्ते दामों में बेच देता था, जिस से वह महीने में 15 हजार तक कमा लेता था. लेकिन बाद में पता चला कि कोलकाता गैंग उस से भी कम प्राइस में बेच रहा है.

तेलगी और कौशल मोनोपोली मेनटेन करने के लिए नुकसान में भी स्टैंप बेचने का प्लान बनाते हैं और ओल्ड कस्टम हाउस जहां कोलकाता गैंग का बिजनैस होता है, वहां जा कर क्लर्क के साथ अपनी डील फाइनल करते हैं.

वह क्लर्क अगले दिन स्टैंप के साथ कुछ स्टैंप पेपर भी देता है. यह देख कर कौशल उस पर गुस्सा होता है. यह सब चल रहा होता है कि कोलकाता गैंग उन पर हमला कर देता है और सभी को खूब मारता है. तभी तेलगी की नजर एक आदमी पर पड़ती है, जो स्टैंप पेपर ले रहा होता है और स्टैंप फेंक देता है.

अगले दिन वह क्लर्क से मिलने जाता है तो क्लर्क उस पर भड़क उठता है, क्योंकि वह बड़ी मुश्किल से वह स्टैंप और स्टैंप पेपर ले कर आया था. इस पर तेलगी उसे समझाता है कि मार तो सभी ने खाई है. इस के बाद वह पूछता है कि वह आदमी स्टैंप क्यों फेंक रहा था और स्टैंप पेपर क्यों कलेक्ट कर रहा था.

तब वह क्लर्क बताता है कि वे सारे स्टैंप पेपर थे और स्टैंप से स्टैंप पेपर का बिजनैस कहीं बड़ा और फायदेमंद है. तेलगी उस क्लर्क से सारी इन्फौर्मेशन लेता है, जिस से उस के दिमाग में एक और बिजनैस प्लान आता है और वह कौशल को समझाता है कि सरकार हर साल 33 हजार करोड़ स्टैंप पेपर से कमाती है, जिस में से 80 प्रतिशत स्टैंप पेपर मुंबई से और 10 प्रतिशत महाराष्ट्र से और बाकी 10 प्रतिशत अन्य सब जगहों से मिला कर आता है.

अगर वह केवल मुंबई के स्टैंप पेपर में एक प्रतिशत का भी हिस्सा ले लेता है तो 70 से 80 करोड़ रुपया कमाया जा सकता है और इसी प्लान के साथ तेलगी और कौशल अपना नया बिजनैस शुरू करते हैं.

दूसरे एपीसोड के शुरुआत में दिखाया गया है कि वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के वैश्वीकरण के कारण देश काफी आर्थिक प्रगति कर रहा होता है. लेकिन उसी दौरान बाबरी मसजिद विध्वंस के कारण मुंबई में दंगे हो रहे होते हैं तो दूसरी ओर तेलगी अपने साथी कौशल के साथ मिल कर नकली स्टैंप पेपर खपाने की योजना बना रहा होता है.

वह एक प्रैस में नकली स्टैंप पेपर छपवाता है और वाणी बंदर रेलवे स्टेशन के पहले पुणे से छप कर आने वाले ओरिजनल स्टैंप पेपर चोरी करवा कर उस की जगह नकली स्टैंप पेपर रखवा देता है, लेकिन उस ने जैसा सोचा था, उस हिसाब से वह स्टैंप पेपर बेच नहीं पाता.

नेता ने भी किया तेलगी को सहयोग

तब वह पुलिस से सांठगांठ करता है और स्टैंप पेपर वेंडर का लाइसेंस लेने के लिए विधायक तुकाराम से मिलता है, लेकिन वह भी उस का काम नहीं करवा पाता. विधायक तुकाराम का रोल समीर धर्माधिकारी ने किया है. इस बीच उस का अपने साथी कौशल से झगड़ा हो जाता है, क्योंकि तेलगी का ही नाम हो रहा था और उसे कोई नहीं जानता. इस झगड़े के बाद कौशल उसे छोड़ कर चला जाता है.

तीसरे एपीसोड में तेलगी स्टैंप पेपर वेंडर के लाइसैंस के लिए एक बार फिर विधायक तुकाराम से मिलता है और चुनाव के लिए उसे मोटी रकम देने के लिए कहता है. तब विधायक तुकाराम उसे गरिमा तलपड़े से मिलवाने यूनाइटेड शक्ति पार्टी के हैडऔफिस ले जाता है.

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