वास्तविक घटनाओं पर आधारित वेब सीरीज का हाल के दिनों में दर्शकों ने अकसर स्वागत किया है. 'द रेलवे मेन’ (The Railway Man) उसी श्रेणी में आती है. मशहूर प्रोडक्शन कंपनी यशराज फिल्म्स ने भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के हालातों को उजागर करने की कोशिश की है. यह इन की पहली वेब सीरीज है.
संगीत: सैम स्लेटर
छायांकन: रुबैस
संपादन: यश जयदेव रामचंदानी
कार्यकारी निर्माता: आदित्य चोपड़ा, उदय चोपड़ा
निर्देशक: शिव रवैल
ओटीटी: नेटफ्लिक्स
कलाकार: केके मेनन, आर. माधवन, दिव्येंदु शर्मा, बाबिल खान, सनी हिंदुजा, दिव्येंदु भट्टाचार्य, जूही चावला, मंदिरा बेदी आदि.
वेब सीरीज 'द रेलवे मेन’ की कहानी भोपाल रेलवे स्टेशन के इंचार्ज हैं इफ्तखार सिद्दीकी (केके मेनन) जो हर दिन की तरह ड्यूटी पर निकलने को हैं. अपने क्वार्टर से उन का बेरोजगार बेटा नवाज टीवी के आगे बैठ कर राजीव गांधी का भाषण देख रहा है, 1984 का साल है. दंगे हो चुके हैं. नफरत और कत्ल अब भी जारी है. टीवी पर राजीव गांधी चेहरे पर कोई शिकन लाए बिना कहते हैं, ''जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है.’’
वह कोसते हुए कहता है, ''क्या हाल हो गया है सिखों का और इन्हें देखो.’’
नाश्ता लगाती मां कहती है कि उन की भी तो अम्मी है बच्चे. ऐसे हादसे के बाद क्या सही क्या गलत, समझ में नहीं आता. सुन कर नवाज मां से उलझता है तो इफ्तखार साइलेंट सी चिढ़ के साथ पूछते हैं कि नौकरी का क्या हुआ नवाज? ब्यूरो गए थे? हम ने बोला था न, रेलवेज में पोस्टिंग है. मौका है, मुनासिब काम है, तनख्वाह भी ठीकठाक है. तभी नवाज कहता है कि हजार बार कहा है अब्बू आप से, जिंदगी भर काले कपड़े पहन कर मैं सरकार की जी हुजूरी नहीं करूंगा.