रोहित अग्रवाल नहा कर बाथरूम से बाहर आया और टावेल से बदन पोंछते हुए अपने रूम में आ गया. उसे बड़ा ताज्जुब हुआ जब उस ने अपनी पत्नी स्नेहा को पंलग पर लिहाफ ओढ़ कर लेटे पाया.
“इसे क्या हुआ! रात को तो अच्छीभली थी, खूब मस्ती भी की, फिर यह अभी तक क्यों लेटी है?” रोहित मन ही मन बुदबुदाया, फिर टावेल कमर में लपेट कर उस ने स्नेहा को झिंझोड़ा, “क्या हुआ स्नेहा, आज मेरा टिफिन तैयार नहीं करना है क्या?”
“मेरा मूड नहीं है रोहित, तुम आज कैंटीन में खा लेना,” स्नेहा कुनमुना कर बोली.
“क्यों? क्या तुम्हारी तबीयत खराब है?”
“नहीं, मैं ठीक हूं!”
“फिर, उठ क्यों नहीं रही हो? उठो और बताओ बात क्या है?”
स्नेहा उठ कर पलंग पर बैठ गई और रोहित का हाथ पकड़ कर बोली, “अभी तुम बाथरूम में थे, तब मां का फोन आया था. उन्हें 5 लाख रुपया चाहिए.”
“5 लाख रुपया?” रोहित हैरानी से बोला, “इतने रुपयों का वह क्या करेंगी?” फिर रोहित खुद ही चौंक गया. उसे मालूम था उस की ससुराल काफी पैसों वाली है. उन्हें 5-10 लाख मांगने की नौबत ही नहीं आ सकती. कहीं स्नेहा झूठ बोल कर उस की खिल्ली तो नहीं उड़ा रही.
रोहित ग्रेटर नोएडा में पत्नी के साथ रहता था और दिल्ली में स्थित मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में सीनियर एग्जीक्यूटिव था. उसे मालूम था कि स्नेहा उस की 50-55 हजार की नौकरी से संतुष्ट नहीं है, पहले भी उस ने ऐसा ही ड्रामा कर के उसे उस की औकात दिखाने की कोशिश की थी. वह उसे एहसास कराना चाहती है कि किसी आड़े वक्त में उस की पौकेट में 5-7 लाख रुपया निकल सकता है या नहीं.