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मैनेजर ने औफिस बौय को चाय लाने को कहा और कंप्यूटर से लिस्ट तैयार करने में व्यस्त हो गए. आधे घंटे में मैनेजर ने मैच्योर पौलिसी धारकों की लिस्ट और एड्रैस इंसपेक्टर अरुण त्यागी को थमा दी थी. इस जालसाजी के केस को पुलिस ने भादंवि की धारा 419/420/468/471/474/120बी और 66सी/66डी आईटी ऐक्ट में दर्ज कर लिया गया.

फरजी कागजों से लिया पौलिसियों का क्लेम

स्पैशल सैल के इंसपेक्टर अरुण कुमार त्यागी अब्दुल चौधरी के घर गए तो उन्हें घर में उन की बीवी और बेटे मिले. दरवाजे पर पुलिस को देख कर वे घबरा गए. अब्दुल चौधरी की बीवी ने अरुण त्यागी को देख कर सहमते हुए पूछा, “आप यहां किसलिए आए हैं साहब?”

“मुझे अब्दुल चौधरी से मिलना है.”

“ओह!” अब्दुल चौधरी की बीवी ने गहरी सांस ली, “क्या आप नहीं जानते मेरे शौहर की मौत 13 मार्च, 2018 को हो चुकी है.”

“अरे!” अरुण त्यागी चौंके. वह गंभीर हो गए, “सौरी. मुझे यह मालूम नहीं था.”

“कोई बात नहीं. वैसे आप बताएंगे कि मेरे शौहर से आप क्यों मिलना चाहते थे?”

“क्या आप बैठने को नहीं कहेंगी?” अरुण त्यागी ने पूछा.

“ओह! गलती हो गई.” वह दरवाजा छोड़ कर बोली, “आप बैठक में आ आइए.”

अरुण त्यागी के साथ हैडकांस्टेबल राहुल भी था. दोनों अंदर आ कर बैठक में बैठ गए. अब्दुल चौधरी की बीवी सामने खड़ी हो गई.

“आप को मालूम होगा कि आप के पति ने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस की पौलिसी ली थी.”

“मेरी जानकारी में यह बात नहीं है साहब. वह अपनी राजदाराना बातें मुझे नहीं बताते थे.”

“लेकिन उन की पौलिसी मैच्योर होने के बाद कंपनी से ले ली गई है, उसे एक बैंक में जमा करवाया गया है. यह काम अब्दुल चौधरी ने तो नहीं किया होगा, क्योंकि आप कह रही हैं कि 2018 में ही उन की मौत हो चुकी है. जब वह पौलिसी की रकम उन्होंने बैंक में ट्रांसफर नहीं की तो फिर किस ने की है.”

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