जांच में बैंकों में 219 खातों और 140 यूपीआई खातों के बारे में भी जानकारी सामने आई, जिन का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी करने के लिए किया जा रहा था. ये बैंक खाते मुख्य रूप से औनलाइन सक्रिय पाए गए हैं. गिरफ्तार ठगों ने पूछताछ के दौरान तमाम बड़े खुलासे किए.
ठगों ने बताया कि कैसे वे फरजी सिम और आधार कार्ड के जरिए नई नई तकनीक से लोगों के साथ ठगी करते थे. पुलिस छापे के दौरान जब्त किए गए मोबाइल फोन और सिम कार्डों की भी जांच कर रही है और संबंधित कंपनियों से मदद ले रही है.
टेलीकाम कंपनियों के हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, नार्थ ईस्ट, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सर्किल से एक्टिवेट 347 सिम कार्डों का भी पता चला है, जिन का उपयोग ये ठग साइबर क्राइम के लिए कर रहे थे. जांच के दौरान फरजी सिम और बैंक खातों के स्रोत मुख्यरूप से राजस्थान के भरतपुर जिले से जुड़े पाए गए हैं.
साइबर जालसाज ठगी करने के लिए अलगअलग तरीकों को इस्तेमाल करते थे. महाठगों को नए जामताड़ा का ये गैंग फेसबुक बाजार ओएलएक्स और अन्य साइट पर बाइक, कार, मोबाइल फोन जैसे उत्पादों पर आकर्षक औफर का लालच दे कर धोखाधड़ी की घटना को अंजाम देता था. इतना ही नहीं ये ठग वर्क फ्राम होम का विज्ञापन पोस्ट कर भी लोगों को जाल में फंसाते थे और उन से ठगी करते थे. नौकरी देने के बहाने लोगों को धोखा दे कर और फिर आधार कार्ड, पैन कार्ड, मोबाइल नंबर और औनलाइन केवाईसी करवा कर भी ठगी की जा रही थी.