फेसबुक डाटा के आधार पर क्या कोई कंपनी मतदाताओं की सोच और मन बदल सकती है? इस मामूली से सवाल का जवाब अगर ‘हां’ है तो यह लोकतंत्र के लिए भी घातक है और देश के लिए भी. अमेरिका में चूंकि ऐसा हो चुका है, इसलिए अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही डरी हुई हैं. आखिर क्यों?
एक प्राइवेट कंपनी में एकाउंटेंट सचिन अरोड़ा की उस दिन छुट्टी थी, इसलिए उस ने सोचा क्यों न कुछ देर फेसबुक में ही समय गुजारा जाए. अभी उस ने फेसबुक खोला ही था कि सामने एक खूबसूरत तसवीर के साथ एक आकर्षक इबारत चमकी, ‘जानिए आप की शक्ल देशविदेश के किस महान एक्टर से मिलती है.’
सचिन को हमेशा यह खुशफहमी रही थी कि उस की शक्ल विनोद खन्ना से मिलती है, इसलिए उस ने यह पढ़ते ही सोचा क्यों न आजमा कर देख लिया जाए कि उस का अनुमान सही भी है या नहीं. अत: उस ने तुरंत उस पौइंट पर क्लिक कर दिया, जहां से यह जानने के लिए कदम दर कदम आगे बढ़ना था.
पहली क्लिक के बाद ही बारीक अक्षरों में लिखी यह बात सामने आई कि अगर आप इस मनोरंजक क्विज में भाग लेते हैं तो इस ऐप को, जिस ने यह क्विज डेवलप की है, क्या मिलेगा? साथ ही जवाब में लिखा था, आप की सार्वजनिक प्रोफाइल, तसवीरें और आप के कमेंट.
सचिन ने सोचा ऐसी कौन सी खास चीजें हो सकती हैं. इसलिए वह नेक्स्ट के बाद नेक्स्ट बटन क्लिक करता गया. हालांकि उसे बाद में निराशा हुई, क्योंकि ऐप ने उसे हौलीवुड के एक्टर टौम हैंक जैसा बताया था, जिसे वह जानता तक नहीं था.