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अब तक रामदुलारी व उन का पूरा परिवार अंधविश्वास व मनोरोग विकार का शिकार बन गया था. सभी मानने लगे थे कि विमलेश कुमार कोमा में है और एक दिन जीवित हो जाएगा. पढ़ीलिखी तथा बैंक मैनेजर मिताली दीक्षित भी मनोरोगी बन गई थी. उसने भी मान लिया था कि पति कोमा में है और एक दिन वह जीवित हो जाएंगे.

वह रोज बैंक जाने से पहले पति का माथा छू कर बतियाती थी. सिरहाने बैठ कर उसे निहारती थी, उन के सिर पर हाथ फेरती थी और उसे बोल कर जाती थी कि जल्दी ही औफिस से लौट कर मिलती हूं.

भाई दिनेश व सुनील जब काम से लौटते थे तो विमलेश से उस का हालचाल पूछते थे. विमलेश की खामोशी के बावजूद वे उन्हें जीवित मान रहे थे.

मिताली को कचोट रही थी आत्मा

मिताली दीक्षित परिवार के प्रभाव में थी. इसलिए वह उन की हां में हां मिला रही थी. लेकिन उस की अंतरात्मा उसे कचोट रही थी. यही कारण था कि उस ने पति की मौत के 5 दिन बाद ही एक पत्र अहमदाबाद स्थित आयकर विभाग को भेज दिया था. पत्र में उस ने लिखा था कि विमलेश कुमार की मौत कोरोना से हो गई है. पेंशन संबंधी औपचारिकताओं का जल्दी से जल्दी निपटारा किया जाए.

आयकर विभाग ने पत्र के आधार पर प्रक्रिया शुरू कर दी थी कि तभी मिताली का एक और पत्र अहमदाबाद आयकर विभाग को प्राप्त हुआ. उस में लिखा था कि औक्सीमीटर से जांच में पति विमलेश की पल्स चलती हुई पाई गई है और वह जीवित है. इसलिए पेंशन व फंड भुगतान की प्रक्रिया को रोक दिया जाए. विभाग ने तब विमलेश की पेंशन, फंड समेत अन्य भुगतान की प्रक्रिया रोक दी.

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