मुंबई की ग्लोबल सिटी विरार वेस्ट के गोकुल, राऊत सोसायटी की गोकुल एंपायर इमारत में 40 साल की शिल्पी वर्मा अपने 50 साल के पति सरवेंद्र वर्मा और 20 साल की एकलौती बेटी के साथ रहती थी. सरवेंद्र वर्मा एक कंपनी में मैनेजर थे तो बेटी पढ़ाई कर रही थी. 2 फरवरी, 2016 को शिल्पी सहेली नूपुर श्रीवास्तव के साथ विरार के एक मौल से शौपिंग कर के लौट रही थी, तभी पुराने विभा कालेज और केएफसी रेस्टोरैंट के बीच उन की कार एक आदमी से टकरा गई.
उस आदमी की उम्र 30-35 साल रही होगी. टक्कर लगते ही वह आदमी जमीन पर गिर पड़ा. इस हादसे से शिल्पी और नूपुर घबरा गईं. दोनों सहेलियां अपनी गलती के लिए माफी मांगतीं, उस के पहले ही वह आदमी उठ कर कार का बोनट पीटते हुए चिल्ला कर कहने लगा, ‘‘आप लोग आंखें बंद कर के कार चलाती हैं. आप लोगों को सड़क पर चलने वाला आदमी दिखाई नहीं देता?’’ नूपुर और शिल्पी ने सौरी कहा तो वह आदमी और जोर से चिल्लाया, ‘‘आप के सौरी कह देने से मेरी टांग ठीक हो जाएगी क्या? चलिए आप लोग चल कर मेरी टांग का इलाज कराइए. उस के बाद जाइए.’’
यह कह कर वह आदमी कार का पिछला दरवाजा खोल कर कार के अंदर बैठ गया. शिल्पी और नूपुर उस आदमी को कुछ पैसे दे कर अपना पीछा छुड़ाना चाहती थीं, पर वह नहीं माना. जब उस आदमी ने देखा कि वहां भीड़ इकट्ठा हो रही है तो उस ने शिल्पी को डांट कर कार आगे बढ़ाने को कहा.