एक बच्चे की मां ज्योति अपने ममेरे देवर सुरेंद्र के साथ खूब गुलछर्रे उड़ा रही थी. एकडेढ़ साल से उन के बीच यह संबंध बिना किसी रुकावट के चल रहे थे. फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि ज्योति को अपने पति महावीर शरण कौरव की हत्या कराने के लिए मजबूर होना पड़ा?
सुरेंद्र के आगोश में समाई ज्योति को जब संतुष्टि मिल गई तो वह अलग होते हुए बोली, ''हम ऐसे कब तक यूं ही मिलते रहेंगे. आज भी तुम्हारे भैया ने मुझ से मारपीट की. मैं कब तक उस गंजेड़ी के हाथों पिटती रहूंगी, बात अब बरदाश्त से बाहर होती जा रही है.’’
पलंग पर लेटे हुए सुरेंद्र ने ज्योति को फिर से अपनी बाहों में खींचते हुए कहा, ''मेरी जान, तुम चिंता क्यों करती हो? महावीर भैया तो बेवकूफ है. वह सारी सच्चाई जानता है, फिर भी तुम पर अत्याचार करता है. अब वह अगर ज्यादा परेशान करे तो उसे पलट कर जवाब देना.’’
''यह बात तो ठीक है, लेकिन अगर तुम हमेशा के लिए मुझे अपनी बना कर रखना चाहते हो तो इस गंजेड़ी आदमी को मेरी जिंदगी से दूर कर दो,’’ ज्योति ने सुरेंद्र की बाहों में कसमसाते हुए कहा.
सुरेंद्र ने ज्योति का मन टटोलते हुए पूछा, ''तुम चाहो तो मैं तुम्हें उस से तलाक दिलवा सकता हूं.’’
इस पर ज्योति बोली, ''वह इस जन्म में मुझे तलाक नहीं देगा. मेरी मानो तो उसे इस दुनिया से विदा कर दो. इस काम में मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी.’’ ज्योति की बात सुन कर सुरेंद्र की आंखों में चमक आ गई, फिर भी उस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ज्योति तुम ने तो बहुत दूर की बात सोच ली. महावीर को मरवा कर खुद भी जेल जाओगी और मुझे भी जेल भिजवा दोगी.