Agra Crime : ‘नार नहीं नौरंगी है, ढक ले तो सारे कुल को ढक ले वरना नंगी की नंगी है’ इस कहावत का आशय स्त्री के चाल, चरित्र और चेहरे को दर्शाने से है, जो सही है. भावना की जिंदगी में सब कुछ था, अफसर पति, कोठी, कार और 2 बच्चे, लेकिन उस ने...
मानव मन को समझना आसान नहीं है. इंसान कब किस को प्यार करने लगे और कब प्यार नफरत में बदल जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता. ऐसा ही कुछ भावना के साथ भी हुआ. एक अच्छे और संभ्रांत परिवार की बेटी और बहू भावना कुछ ऐसा कर बैठेगी, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. कहते हैं, विनाश काल में इंसान की सकारात्मक सोच बंद हो जाती है. फिर समय की इस आंधी में सब कुछ तहसनहस हो जाता है. बिना सोचेसमझे भावना ने जो कदम उठाया, उस से कई जिंदगियां तबाह हो गईं और खुशियां मुट्ठी में बंद रेत की तरह फिसल गईं. ताजनगरी आगरा दुनिया भर में प्रसिद्ध है, जहां देशविदेश से पर्यटक आते हैं और शाहजहां मुमताज की यादगार मोहब्बत को नमन करते हैं. वहीं मोहब्बत की इस नगरी में खून से लथपथ आशिकी की अनगिनत कहानियां दफन हैं.
आगरा के अशोक विहार में नाथूराम अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन बिता रहे थे. उन के 3 बेटे थे सुशील, वीरेंद्र और नरेंद्र. नाथूराम सेना में सीनियर औडिटर थे. उन का बड़ा बेटा सुशील भी सेना में ही था. छोटा नरेंद्र पढ़ रहा था और मंझले बेटे वीरेंद्र की नौकरी पंजाब में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में लग गई थी. कुल मिला कर नाथूराम का अच्छा खुशहाल और आर्थिक रूप से संपन्न परिवार था. लेकिन समय के चक्र के साथ जीवन में बदलाव आते रहते हैं. 14 साल पहले नाथूराम के मंझले बेटे वीरेंद्र की शादी गढ़ी भदौरिया निवासी ओमप्रकाश की बेटी भावना के साथ हुई थी. भावना की 2 बहनें शादीशुदा थीं और खुशहाल जीवन बिता रही थीं. इन का एक भाई था.