35 वर्षीया संगीता ने कभी सपने में भी यह सब नहीं सोचा था, जो अब उसे हासिल था. मांसल सौंदर्य की मालकिन संगीता मामूली खातेपीते परिवार की युवती थी. शादी से पहले वह जबलपुर के एक अस्पताल में रिसैप्शनिस्ट थी. सपने देखना गुनाह नहीं होता, इसलिए वह धनाढ्य ससुराल और रईस पति के ख्वाब देख लेने में कोई संकोच नहीं करती थी. एक दिन करिश्माई तरीके से उस की यह हसरत पूरी हो गई थी. उसे लगा कि कहने वाले गलत नहीं कहते कि जिंदगी में कभीकभी चमत्कार भी होते हैं. अब से कोई 13 साल पहले अस्पताल में एक खूबसूरत नौजवान मरीज इलाज के लिए आया था, ज स का नाम था रंजन ग्रोवर. वह 8 दिनों तक अस्पताल में भरती रहा. इस दौरान उस की तन की बीमारी तो ठीक हो गई, लेकिन मन का रोग प्यार लग गया.रंजन को संगीता से प्यार हो गया था. संगीता भी उसे चाहने लगी थी. पहले प्यार, उस के बाद इजहार हुआ तो शादी होने में देर नहीं लगी. रंजन ने संगीता को पाने के लिए किसी की भी परवाह नहीं की और इस बात को साबित कर दिखाया कि प्यार जातिपांत, ऊंचनीच कुछ नहीं देखता. संगीता के लिए रंजन का प्यार और शादी किसी सपने से कम नहीं थी.
कटनी के खानदानी कारोबारी करोड़पति रंजन ग्रोवर ने जब संगीता को जीवनसंगिनी के रूप में चुना तो उस की तो मानो जिंदगी ही बदल गई. उस का नाम भी बदल कर संगीता ग्रोवर हो गया. जबलपुर के प्रेमनगर के साधारण मकान में रहने वाली संगीता कटनी स्थित अपनी ससुराल के महल जैसे मकान में आई तो मैडम और मालकिन कहने वाले नौकरों की कतार लगी थी.