रविवार को छुट्टी होने की वजह से फैक्ट्रियों में काम करने वाले अधिकांश कामगार अपने घरों की साफ सफाई और कपड़े आदि धोने का काम करते हैं. 25 साल का सागर और उस का छोटा भाई सरवन भी घर की साफसफाई में लगे थे. दोनों भाई एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करते थे. शाम 5 बजे के करीब सारा काम निपटा कर सरवन कमरे में लेट कर आराम करने लगा तो सागर छत पर हवा खाने चला गया.

7 बजे सागर आया और नीचे सरवन से खाना बनाने को कहा. छोटेमोटे काम करा कर वह फिर छत पर चला गया. सरवन खाना बना रहा था. दोनों भाई लुधियाना के फतेहगढ़ मोहल्ले में पाली की बिल्डिंग में तीसरी मंजिल पर किराए का कमरा ले कर रहते थे.

इस बिल्डिंग में 30 कमरे थे, जिसे मकान मालिक ने प्रवासी कामगारों को किराए पर दे रखे थे. पास ही मकान मालिक की राशन की दुकान थी. सभी किराएदार उसी की दुकान से सामान खरीदते थे. इस तरह उस की अतिरिक्त आमदनी हो जाया करती थी. साढ़े 7 बजे के करीब पड़ोस में रहने वाले संजय ने आ कर सरवन को बताया कि सागर खून से लथपथ ऊपर के जीने में पड़ा है.

संजय का इतना कहना था कि सरवन खाना छोड़ कर छत की ओर भागा. ऊपर जा कर उस ने देखा सागर के शरीर पर कई घाव थे, जिन से खून बह रहा था. हैरानी की बात यह थी कि छत पर दूसरा कोई नहीं था. वह सोच में पड़ गया कि सागर को इस तरह किस ने घायल किया.

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