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मुरैना के स्टेशन रोड थाना क्षेत्र में बुद्धाराम का पुरा गांव निवासी रामहेत 3 दिनों से दिखाई नहीं दिया था. इस कारण आसपास के लोग उस की पत्नी रीना से पूछताछ करने लगे थे. पहले तो वह चुप लगा जाती थी, फिर थोड़ा रुक कर बताती थी कि काम के सिलसिले में मुरैना से बाहर ग्वालियर गए हुए हैं. जब उस से पूछा जाता कि रामहेत ग्वालियर से कब आएगा? इस पर वह बेरुखी से जवाब देती, ‘‘पता नहीं.’’

“कब गया, हमें तो कुछ बताया ही नहीं?’’ रामहेत के दोस्त ने कहा.

“अरे, मुझे भी कहां कुछ बताया था. अचानक आधी रात को उठा और जाने को तैयार हो गया,’’ रीना बोली.

“गजब का मर्द है! उस के लायक यहां काम नहीं था क्या, जो परदेस में चला गया? वहां क्या कमाएगा, क्या खाएगा और क्या बचाएगा?’’

“ये तो वही जाने,’’ रीना बोलती हुई तेज कदमों से घर आ गई थी.

अभी वह चौखट लांघी ही थी कि उस के ससुर ने आवाज लगाई, ‘‘अरे बहू! सुनती हो, रामहेत का कोई फोन आया क्या?’’

“नहीं, अभी नहीं आया, उस बेशर्म का फोन आएगा, तब सब से पहले तुम्हें बताऊंगी. लो देख लो.’’ यह कह कर हाथ से पकड़े मोबाइल को अपने ससुर तुलाराम की ओर बढ़ा दिया.

“अरे बहू, तुम तो नाराज हो गई. मुझे तो चिंता हो रही है. ग्वालियर जाने से पहले वह मुझ से मिला तक नहीं, पता नहीं क्यों?’’ तुलाराम बोला.

“मैं तो जाने से पहले बोली थी बाबूजी का आशीर्वाद ले लो, लेकिन वह अपनी मरजी का मालिक जो ठहरा.’’

“होली आने वाली है, तुम भी उसे फोन कर लिया करो.’’ तुलाराम बोला.

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