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नए रिश्ते से रीना को बहुत संतुष्टि मिली. मन को तृप्ति मिल गई. सूरज की बलिष्ठ बाहों से जब वह अलग हुई, तब शरमाती हुर्र्ई अपने कपड़े सहेजने लगी. वह कुछ बोलती इस से पहले ही सूरज ने उसे एक बार फिर होंठ चूम लिए. बोला, ‘‘तुम खुद को अकेला मत समझना.’’

सूरज के दिल को तसल्ली मिली कि वह कल तक जिसे प्यार भरी नजरों से देखता था, उस ने उस की भावना को समझा. उस के बाद रीना और सूरज अकसर रात के अंधेरे में भी मिलने लगे. मामीभांजे का इश्क बहुत दिनों तक छिपा नहीं रह पाया. एक रात रामहेत ने रीना को सूरज के कमरे से बाहर निकलते हुए देख लिया. उस के आते ही रामहेत ने उस के बाल खींचते हुए पिटाई कर दी. रीना की चीख सुन कर सूरज उसे बचाने आ गया. उसे भी रामहेत ने डांट कर भगा दिया. सूरज सहम गया और चुपचाप अपने कमरे में चला गया.

कुछ दिनों तक सूरज और रीना का प्यार सूना रहा, वे नहीं मिले. लेकिन मर्यादा लांघ चुकी रीना सूरज कोई उपाय निकालने के लिए बोली, जिस से वे हमेशा के लिए साथ हो जाएं. रीना को पता था कि उस के सूरज के साथ संबंध को ले कर भी रामहेत उस की पिटाई करता है. सूरज भी समझ गया था कि रामहेत उस के और रीना के संबंध के आड़े आने वाला पत्थर है. इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए उस ने रीना से बात की. रीना एक झटके में बोल पड़ी, ‘‘इस पत्थर को ही हटा देते हैं, बस तुम साथ देना.’’

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