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उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले का एक बड़ा व्यावसायिक कस्बा है-बिंदकी. इसी कस्बे के कजियानी मोहल्ले में जगदीश गुप्ता अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी माधुरी देवी के अलावा एक बेटा अमित गुप्ता व बेटी अनीता थी. जगदीश गुप्ता व्यापारी थे. उपजाऊ जमीन भी उन के पास थी, जिस से उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. कस्बे में वह प्रतिष्ठित व्यवसाई थे. धर्मकर्म में भी उन की रुचि थी और असहाय लोगों की मदद भी करते रहते थे.

जगदीश गुप्ता ने बड़ी बेटी अनीता का विवाह संपन्न घर में कर दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश वह शादी के कुछ सालों बाद ही विधवा हो गई. तब वह 2 बच्चों के साथ मायके में आ कर ही रहने लगी थी. जगदीश व उन की पत्नी माधुरी देवी उस का पूरा खर्च उठाती थी. उसे किसी चीज की कमी नहीं होने देते थे.

जगदीश कुमार का बेटा अमित कुमार तेज दिमाग का था. वह पढ़लिख कर पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगा. बेटे के साथ देने पर जगदीश कुमार का व्यवसाय और भी बढ़ गया. उधार की रकम वसूलने के लिए अब अमित ही जाने लगा.

एक रोज अमित बाइक से तगादे पर जा रहा था. तभी स्टेशन रोड पर खड़ी एक युवती ने उसे रुकने का इशारा किया. उस खूबसूरत युवती को देख कर अमित ने अपनी बाइक रोक दी. युवती बोली, ‘‘मेरा नाम पूनम कुशवाहा है. मैं कालेज में पढ़ती हूं. काफी देर से आटो का इंतजार कर रही हूं, लेकिन कोई आटो वाला इधर से आ ही नहीं रहा है. आप मुझे कालेज तक छोड़ देंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी.’’

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