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रामखेलावन का आनाजाना पूनम की ससुराल में बढ़ा तो पूनम की सास माधुरी के कान खड़े हुए. उन्होंने फोन पर अमित से बात की और बहू व बच्चों को मुंबई अपने साथ ले जाने की सलाह दी. अमित मां का इशारा समझ चुका था, अत: वह पूनम व बच्चों को अपने साथ मुंबई ले आया.

मुंबई आ कर पूनम कुछ महीने तक पति के साथ खुश रही, उस के बाद फिर से उसे जीजा की याद सताने लगी.

चूंकि रामखेलावन भी साली के इश्क में अंधा था, सो पत्नी से बहाना कर वह मुंबई पहुंच गया. पूनम उसे देख कर चहक उठी. अमित भी साढ़ू को आया देख कर खुश हुआ. लेकिन मन में फांस भी चुभी कि वह साली से मिलने इतना लंबा सफर कर आ गया.

पूनम और रामखेलावन जब हंसतेबतियाते तो अमित विरोध नहीं करता. अमित ने कई बार पूनम को उस की हरकतों के लिए आगाह किया किंतु वह हर बार अमित को अपनी लगीलपटी बातों से फुसला लेती.

अमित खून का घूंट पी कर दिन काट रहा था. लेकिन पूनम पर अमित की इन बातों का कोई असर नहीं हुआ.

एक रोज अमित गुप्ता कारखाने से थकाहारा घर लौटा. उस ने घर के भीतर कदम रखा तो वह हैरान रह गया. भरी दोपहर में पूनम और रामखेलावन रंगरलियां मना रहे थे. कमरे का दरवाजा भीतर से बंद था. अमित के तनबदन में आग सी लग गई. उस ने उसी समय पूनम को भलाबुरा कहा और पिटाई भी कर दी. उस ने साढ़ू रामखेलावन को भी खूब लताड़ा और उसी समय घर से भगा दिया.

इस के बाद जीजा से नाजायज रिश्तों को ले कर अमित व पूनम में तकरार व मारपीट होने लगी. जिस दिन अमित पूनम को जीजा से फोन पर बतियाते सुन लेता, उस दिन वह उस की पिटाई कर देता. कई बार तो वह गुस्से में पूनम का मोबाइल फोन भी तोड़ कर फेंक चुका था.

घर में कलह शुरू हुई तो पतिपत्नी के रिश्तों में भी दरार पड़ गई. अब वे दोनों हफ्तों एकदूसरे से बात नहीं करते थे. बच्चे भी सहमेसहमे रहते. अमित का लगाव अब पत्नी से कम हो गया था. महीनों उन का शारीरिक मिलन नहीं होता था.

मुंबई में भी खरीद ली अच्छीखासी प्रौपर्टी

अमित को जब पत्नी से नफरत हो गई तो उस का मन भटकने लगा. वह अपने घर बिंदकी जल्दीजल्दी आने लगा. घर आतेजाते ही उस के मधुर संबंध परिवार की एक सजातीय महिला से बन गए. इस महिला से वह फोन पर भी बतियाने लगा था.

अमित गुप्ता ने अब तक अकूत संपत्ति हासिल कर ली थी. उस ने भिवंडी (मुंबई) में 6 फ्लैट खरीद लिए थे और करोड़ों का मालिक बन बैठा था. इन में से उस ने एक फ्लैट 40 लाख रुपए में बेच कर बिंदकी कस्बा के महाजनी गली में तीन मंजिला एक आलीशान मकान बना लिया था. इस मकान में अमित की मां माधुरी देवी व विधवा बहन अनीता अपने बच्चों के साथ रहने लगी थी.

पूनम को फ्लैट बेच कर कस्बे में मकान बनवाना नागवार लगा था. उस ने विरोध भी किया, लेकिन अमित ने उस की एक न सुनी. मकान बनवाने को ले कर दोनों के बीच महीनों झगड़ा चलता रहा.

एक रोज अमित किसी युवती से फोन पर रसीली बातें कर रहा था. पूनम ने उस की बातें सुनीं तो उस का माथा ठनका. क्या अमित के किसी महिला से नाजायज संबंध हैं. बात करने के बाद अमित बाथरूम गया तो पूनम ने उस का फोन चैक किया. वह जिस नंबर से बात कर रहा था, वह अर्चना के नाम सेव था. अमित बाथरूम से निकला तो उस ने आंखें नचा कर पूछा, ‘‘परी के पापा, यह अर्चना कौन है? इस से तुम्हारा क्या नाता है?’’

‘‘क्या करोगी जान कर? है कोई जिस से मैं अपनी बात कह लेता हूं. खैर छोड़ो, तुम बताओ, तुम्हें क्या परेशानी है?’’

‘‘मैं तुम्हारी पत्नी हूं. मुझे पूरा हक है यह जानने का कि मेरी सौतन बनने की कौन कोशिश कर रही है?’’

‘‘क्या तुम पति धर्म निभा रही हो?’’ अमित ने व्यंग्य कसा.

‘‘तुम्हारे बच्चों की देखभाल कर रही हूं. उन्हें पढ़ालिखा रही हूं. यह पति धर्म नहीं तो और क्या है?’’

‘‘चुप भी करो. मेरा मुंह मत खुलवाओ. वरना घर में कलह होते देर न लगेगी.’’

पूनम ने ठान लिया था कि वह पता लगा कर ही रहेगी कि यह अर्चना कौन है. पति के उस के साथ क्या ताल्लुकात हैं. इस की जानकारी के लिए वह बच्चों को साथ ले कर मुंबई से अपनी ससुराल बिंदकी आ गई. यहां उस ने गुप्तरूप से जानकारी हासिल की तो पता चला कि अर्चना परिवार की ही युवती है.

लेकिन पूनम नहीं मानी. वह जीजा रामखेलावन के घर चमनगंज गई और आंसू बहा कर अपनी व्यथा बताई. रामखेलावन के घर उस समय अविनाश यादव उर्फ उमेंद्र भी मौजूद था. वह कानपुर के गांव बीरनखेड़ा का रहने वाला था. वह दबंग और लोडर चालक था. अपराधियों से उस की जानपहचान थी. रामखेलावन का वह दोस्त था और उस के घर उस का आनाजाना बना रहता था.

रामखेलावन के घर पर ही पूनम और अविनाश की पहली मुलाकात हुई. खूबसूरत पूनम को देख कर अविनाश पहली ही नजर में उस का दीवाना बन गया. उस ने पूनम से उस का मोबाइल फोन नंबर लिया और उसे मदद का आश्वासन दिया.

कहते हैं कि औरत जब फिसलती है तो वह फिसलती ही चली जाती है. यही पूनम के साथ भी हुआ. जीजा से उस का नाजायज रिश्ता पहले से ही था. अब उस ने जीजा के दोस्त अविनाश उर्फ उमेंद्र के साथ भी अवैध संबंध बना लिए थे.

लगभग एक महीने बाद अमित बिंदकी घर आया तो उसे पत्नी के नए आशिक अविनाश उर्फ उमेंद्र के बारे में पता चला. अमित उद्योगपति था. लड़ाईझगड़े से उस का ही नुकसान होता, अत: उस ने अविनाश से उलझना उचित नहीं समझा और पत्नी व बच्चों को साथ ले कर मुंबई आ गया.

पति की ‘वो’ से पूनम की बढ़ी चिंता

वापस मुंबई आने के बाद पूनम ने कुछ दिन तो ठीक से बिताए. इस के बाद वह फिर पुराने ढर्रे पर उतर आई. वह देर रात तक अपने जीजा व नए आशिक अविनाश से बतियाती और खूब हंसीठिठोली करती.

अमित कभी तो अनसुनी कर देता तो कभी गुस्से में आगबबूला हो जाता. इस के बाद पतिपत्नी में झगड़ा शुरू हो जाता. पूनम उलाहना देती जब तुम महिला मित्र से बात कर सकते हो तो वह पुरुष मित्र से बात क्यों नहीं कर सकती.

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