घर की कलह जब बढ़ने लगी तो पूनम को अपने तथा अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी. उस ने अमित से कहा कि बच्चे अब बड़े होने लगे हैं. उन्हें स्थाई रूप से अच्छे स्कूल में पढ़ाने की जरूरत है. उसे भी अपने भविष्य की चिंता है, इसलिए घर और जमीन में उसे आधा हिस्सा दे दो. मुंबई के 3 फ्लैटों में से एक उस के नाम तथा एक उस के बेटे अर्पित के नाम कर दो.
अमित खिलखिला कर हंसा फिर बोला, ‘‘प्रौपर्टी तुम्हारे नाम कर दूं ताकि तुम उसे बेच कर बच्चों को अनाथ बना कर अपने प्रेमी के साथ फुर्र हो जाओ. जब तक बच्चे सयाने और समझदार नहीं हो जाते, तब तक किसी के नाम कुछ नहीं करूंगा. एक बात कान खोल कर और सुन लो. अब मेरा मन मुंबई से ऊब गया है. कारखाना बंद कर और फ्लैट बेच कर मैं ने बिंदकी में ही रहने का मन बना लिया है.’’
अमित गुप्ता चलते व्यापार को बंद नहीं करना चाहता था. उस ने फ्लैट बेचने की बात पूनम को डराने के लिए कही थी. लेकिन पूनम ने पति की बात को सच मान लिया और वह चिंतित हो उठी. उसे लगा अमित फ्लैट बेच कर सारा पैसा अपनी मां, विधवा बहन व अपनी प्रेमिका पर खर्च कर देगा. उसे और उस के बच्चों को कुछ हासिल नहीं होगा. अमित उसे दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देगा और खुद प्रेमिका से शादी रचा लेगा.
वह ऐसा तानाबाना बुनेगी, जिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.