दूरदराज से रोजीरोटी के लिए महानगरों में आ कर रहने वाले लोग जरूरत पड़ने पर अपने रिश्तेदार, करीबी और अपने गांव के लोगों की यह सोच कर मदद कर देते हैं कि उन की भी रोजीरोटी का साधन बन जाएगा. लेकिन कई बार उन्हीं में कोई आस्तीन का सांप भी निकल आता है. हितेश कर्तकपांडी ऐसा ही सांप था...
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54 वर्षीय धनंजय नारायण तांडेल दक्षिण मुंबई के समुद्र किनारे बसी पौश कालोनी कोलाबा की सुंदर नगर बस्ती में अपने परिवार के साथ रहते थे. परिवार में उन के अलावा 2 बेटे और एक सुंदर सी बहू थी. उन की पत्नी का काफी समय पहले देहांत हो चुका था. उन का छोटा सा परिवार था, जहां सभी लोग सुखचैन से रह रहे थे. धनंजय नारायण सुंदर नगर में करीब 30 सालों से रहते आ रहे थे. उन के प्रेमिल स्वभाव की वजह से बस्ती के सारे लोग उन के परिवार को खूब मानसम्मान देते थे.
धनंजय नारायण का बड़ा बेटा महेंद्र तांडेल मुंबई की एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम करता था, जबकि छोटा बेटा चेतन कोलाबा के एक शोरूम में नौकरी करता था. तांडेल भी एक शोरूम में चपरासी थे. सभी लोग सुबह को अपनेअपने काम पर निकल जाने के बाद सब शाम को ही घर लौटते थे. महेंद्र की पत्नी श्वेता सुबह जल्दी उठ कर सब के लिए टिफिन और चायनाश्ता तैयार करती और उन के जाने के बाद घर के रोजमर्रा के कामों में जुट जाया करती थी.
घटना 10 मई, 2017 की है. हमेशा की तरह घर के सभी लोग अपनेअपने काम पर निकल गए थे. दोपहर लंच के बाद महेंद्र तांडेल ने अपनी आदत के अनुसार पत्नी श्वेता को फोन किया. यह उन का रोजाना का नियम था. काफी देर तक घंटी बजती रही. लेकिन श्वेता ने उस की काल रिसीव नहीं की. बारबार नंबर मिलाने के बाद भी जब श्वेता ने फोन रिसीव नहीं किया तो महेंद्र के दिल की धड़कनें तेज हो गईं, क्योंकि इस से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था.