21 मार्च, 2020 की रात. 11 बजे उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के थाना हुसैनगंज को सूचना मिली कि चांदपुर गांव में एक युवक की हत्या कर दी गई है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह ने वारदात की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी और पुलिस टीम के साथ चांदपुर पहुंच गए.
पता चला किसानी करने वाले बाबू सिंह के बेटे यशवंत सिंह की हत्या हुई है. जब पुलिस पहुंची तब बाबू सिंह के घर के बाहर भीड़ जमा थी.
राकेश कुमार भीड़ को हटा कर उस जगह पहुंचे, जहां यशवंत सिंह की लाश पड़ी थी. घर के अंदर मृतक की पत्नी प्रतीक्षा सिंह मौजूद थी और किचन में बरतन साफ कर रही थी. पुलिस को देख कर वह रोनेपीटने लगी.
थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो दहल उठे. यशवंत सिंह की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. उस के गले को किसी धारदार हथियार से काटा गया था. शरीर के अन्य हिस्सों पर भी घाव थे. मृतक के मुंह से झाग भी निकला था, जिस से लग रहा था कि हत्या से पहले उसे कोई जहरीला पदार्थ दिया गया होगा. मृतक की उम्र 40 साल के आसपास थी और वह शरीर से हृष्टपुष्ट था.
राकेश कुमार सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी प्रशांत वर्मा, एएसपी राजेश कुमार तथा सीओ (सिटी) कपिलदेव मिश्रा भी आ गए.
पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को बुलवा लिया और खुद घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम भी साक्ष्य जुटाने में लग गई.
घटना के समय मृतक की पत्नी प्रतीक्षा सिंह घर में मौजूद थी. एसपी प्रशांत वर्मा ने उस से पूछताछ की. प्रतीक्षा ने बताया कि रात 9 बजे के आसपास 2 बदमाश लूटपाट के इरादे से घर में दाखिल हुए. एक बदमाश के हाथ में कुल्हाड़ी थी, दोनों मुंह ढके थे. पति ने लूटपाट का विरोध किया तो बदमाशों ने कुल्हाड़ी से वार कर पति को मौत के घाट उतार दिया.
हत्या करने के बाद दोनों भाग गए. उन के भाग जाने के बाद उस ने शोर मचाया तो घर के बाहर भीड़ जुट गई. इस के बाद उस ने मोबाइल से 112 नंबर पर फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी थी.
घटनास्थल पर मृतक यशवंत सिंह का बड़ा भाई रवींद्र सिंह मौजूद था. पुलिस अधिकारियों ने उस से घटना के संबंध में जानकारी चाही तो वह फूटफूट कर रोते हुए बोला, ‘‘सर, मेरा छोटा भाई यशवंत सीधासादा किसान था. करीब 5 साल पहले उस ने प्रतीक्षा से शादी की थी.
‘‘प्रतीक्षा चरित्रहीन औरत है. उस के नाजायज संबंध संग्राम सिंह से हैं. संग्राम सिंह नसीरपुर बेलवारा गांव का रहने वाला है, लेकिन यहां चांदपुर में उस का ननिहाल है, इसलिए वह इसी गांव में रहता है और खेती करता है. यशवंत सिंह प्रतीक्षा और संग्राम सिंह के नाजायज रिश्तों का विरोध करता था. शक है, प्रतीक्षा सिंह ने अपने प्रेमी संग्राम के साथ मिल कर यशवंत की हत्या कराई है.’’
बेटे के शव के पास मां कमला गुमसुम बैठी थीं. पुलिस अधिकारियों ने जब उसे कुरेदा तो दर्द आंसुओं के रूप में बह निकला, ‘‘साहब, बहू बदचलन है. मेरे बेटे को खा गई. यशवंत ने कई बार प्रतीक्षा की बदचलनी की शिकायत की थी, तब मैं ने उसे समझाया भी था. लेकिन वह नहीं मानी.’’
इन जानकारियों के बाद प्रतीक्षा सिंह संदेह के दायरे में आ गई. यशवंत सिंह की हत्या लूट के लिए नहीं हुई थी. क्योंकि घर का सारा सामान व्यवस्थित था. बक्सों के ताले भी नहीं टूटे थे. अगर हत्या लूट के इरादे से होती तो घर का सारा सामान बिखरा मिला होता, बक्सों के ताले टूटे पड़े होते, नकदी जेवर गायब होते.
पुलिस अधिकारी समझ गए कि हत्या अवैध संबंधों के चलते हुई है. अत: उन्होंने संग्राम सिंह को पकड़ने के लिए उस के घर छापा मारा, लेकिन वह घर पर नहीं मिला.
उस की सुरागसी के लिए पुलिस अधिकारियों ने अपने मुखबिर लगा दिए. आला कत्ल (कुल्हाड़ी) बरामद करने के लिए सीओ कपिलदेव मिश्रा ने प्रतीक्षा सिंह के घर की तलाशी कराई.
तलाशी के दौरान पुलिस को रबड़ के दस्ताने मिले, जिन पर खून लगा था. ये दस्ताने वैसे ही थे, जिन्हें पहन कर डाक्टर औपरेशन करते हैं. उन्हें पुलिस ने सबूत के तौर पर सुरक्षित रख लिया.
सबूत हाथ लगते ही पुलिस अधिकारियों ने प्रतीक्षा सिंह को हिरासत में ले लिया. उस का मोबाइल फोन भी पुलिस ने ले लिया. इस के बाद यशवंत की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल फतेहपुर भिजवा दी गई.
प्रतीक्षा सिंह को पुलिस कस्टडी में थाना हुसैनगंज लाया गया. एसपी प्रशांत वर्मा ने उस के मोबाइल फोन को खंगाला तो उस में प्रतीक्षा और संग्राम सिंह के कई अश्लील फोटो मिले. फोन में संग्राम सिंह का मोबाइल नंबर भी सेव था. उस ने घटना के पहले संग्राम सिंह से बात भी की थी. इन सबूतों से स्पष्ट हो गया कि संग्राम सिंह से प्रतीक्षा सिंह के नाजायज संबंध थे. दोनों ने मिल कर यशवंत की हत्या की थी.
एसपी ने प्रतीक्षा सिंह से यशवंत सिंह की हत्या के संबंध में पूछा तो वह साफ मुकर गई. लेकिन जब सख्ती की गई तो वह टूट गई और पति की हत्या कर जुर्म कबूल कर लिया. इस के बाद पुलिस ने प्रतीक्षा के माध्यम से संग्राम सिंह को गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछाया.
प्रतीक्षा सिंह के मोबाइल में संग्राम सिंह का नंबर सेव था. प्रशांत वर्मा ने प्रतीक्षा की बात संग्राम सिंह से कराई, जिस से पता चला कि वह चांदपुर गांव के बाहर पंडितजी के ट्यूबवेल की कोठरी में छिपा है और सवेरा होते ही कहीं सुरक्षित जगह पर चला जाएगा.
यह पता चलते ही एसपी प्रशांत वर्मा के आदेश पर थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह ने सुबह 4 बजे छापा मारा और संग्राम सिंह को चांदपुर गांव के बाहर पंडितजी की ट्यूबवेल की कोठरी से मय आलाकत्ल गिरफ्तार कर लिया और उसे ले कर थाने लौट आए.
थाने पर एसपी प्रशांत वर्मा ने संग्राम सिंह से यशवंत सिंह की हत्या के संबंध में पूछा तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
संग्राम सिंह ने बताया कि यशवंत सिंह की पत्नी प्रतीक्षा के साथ उसके नाजायज संबंध थे. उसका पति इस रिश्ते का विरोध करता था. प्रतीक्षा के उकसाने पर उसने यशवंत सिंह की हत्या की थी.
चूंकि प्रतीक्षा सिंह और उस के प्रेमी संग्राम सिंह ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी बरामद हो गई थी. अत: थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह ने मृतक के भाई रवींद्र सिंह को वादी बना कर भादंसं की धारा 302, 120बी के तहत प्रतीक्षा सिंह और संग्राम सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में वासना में अंधी एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई, जिस ने खुद अपने हाथों से अपना सुहाग मिटा दिया.
फतेहपुर शहर के थाना सदर कोतवाली के क्षेत्र में एक मोहल्ला है हरिहरगंज. चंद्रभान सिंह इसी मोहल्ले में अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी सोमवती के अलावा 2 बेटियां थीं प्रतीक्षा, अंजू और एक बेटा रूपेश. चंद्रभान सिंह बिजली विभाग में काम करता था. उस के मासिक वेतन से परिवार का भरणपोषण होता था. वह सीधासादा मेहनतकश इंसान था. चंद्रभान की बड़ी बेटी प्रतीक्षा 20 साल की हो चुकी थी. वैसे तो प्रतीक्षा के चाहने वाले कई थे, पर जिस पर उस की नजर थी वह पड़ोस में रहने वाला युवक था.
एक रोज जब पड़ोसी युवक ने प्रतीक्षा से प्यार का इजहार किया तो प्रतीक्षा ने उस की चाहत स्वीकार कर ली. फलस्वरूप प्रतीक्षा और वह युवक प्यार की कश्ती में सवार हो गए. चंद्रभान को जब बेटी की करतूत पता चली तो उस ने उस के बहकते कदमों को रोकने के लिए उस की शादी कर देने का फैसला कर लिया.
चंद्रभान सिंह ने प्रतीक्षा के लिए घरवर की तलाश शुरू कर दी. उस की तलाश यशवंत सिंह पर जा कर खत्म हुई. यशवंत सिंह के पिता बाबू सिंह फतेहपुर जिले के हुसैनगंज थानाक्षेत्र के गांव चांदपुर के रहने वाले थे.
बाबू सिंह के परिवार में पत्नी कमला के अलावा 2 बेटे रवींद्र सिंह और यशवंत सिंह थे. उन के दोनों बेटों की शादियां हो चुकी थीं और दोनों भाई अलगअलग मकान में रहते थे.
दोनों के बीच जमीनजायदाद का बंटवारा भी हो चुका था. लेकिन शादी के 3 साल बाद यशवंत सिंह की पत्नी का निधन हो गया था. बाबू सिंह किसी तरह बेटे का घर बसाना चाहते थे. चंद्रभान जब अपनी बेटी का रिश्ता ले कर आए तो उन्होंने खुशीखुशी रिश्ता स्वीकार कर लिया.
एक तो यशवंत सिंह दुहेजवा था, दूसरे वह प्रतीक्षा से 8 साल बड़ा भी था, लेकिन शरीर से गठीला और दिखने में स्मार्ट था. चंद्रभान ने यशवंत सिंह को अपनी बेटी प्रतीक्षा के लिए पसंद कर लिया. रिश्ता तय होने के बाद सन 2015 के जनवरी माह की 5 तारीख को प्रतीक्षा का विवाह यशवंत सिंह के साथ हो गया.