मनु खड़ा इधरउधर देख रहा था, तभी उस के सामने खड़ी महिला ने कहा, ‘‘क्या हाल है जी. लगता है, आप ने मुझे पहचाना नहीं?’’ मनु ने देखा,
सामने खड़ी महिला अधेड़ उम्र की थी. लेकिन उस उम्र में भी वह काफी आकर्षक दिख रही थी. वह ताऊ ससुर के लड़के की शादी में ससुराल आया था. उस की पत्नी सुकृति घर के कामों में व्यस्त थी. गांवों में लोकलाज के भय से लड़कियां प्राय: अपने पति से दूर ही रहती हैं.
उस महिला को गौर से देखते हुए मनु ने कहा, ‘‘जी, सही कहा आप ने. मैं ने वाकई आप को नहीं पहचाना.’’
‘‘अरे मैं रश्मि, आप की चचिया सास हूं.’’
‘‘ओह, नमस्ते! सौरी मैं आप को पहचान नहीं सका.’’ मनु ने खेद व्यक्त करते हुए कहा.
‘‘जब आप ने मुझे पहले देखा ही नहीं है तो भला पहचानेंगे कैसे. बताइए आप की क्या सेवा करूं? आप तो हमारे खास मेहमान हैं.’’ खुद को रश्मि बताने वाली उस महिला ने इठलाते हुए कहा.
‘‘जी बस कुछ नहीं. मैं मेहमान नहीं, घर का सदस्य हूं. अगर मेरे लायक कोई काम हो तो बताइए.’’
‘‘पहले आप चायकौफी तो पी लीजिए, काम तो होता रहेगा.’’
‘‘कौफी?’’ मनु ने आश्चर्य से पूछा.
‘‘क्यों नहीं जमाई राजा. गांव हुआ तो क्या हुआ, हमारे यहां सब चीज का इंतजाम है. मेरे रहते भला किसी चीज की कमी हो सकती है क्या.’’ रश्मि ने गर्व से सीना फुला कर कहा.
‘‘... तो फिर एक कप कौफी प्लीज...’’
मनु के इतना कहते ही रश्मि ने आवाज लगाई, ‘‘मिंटू बेटा, जरा कौफी तो बनाना अपने जीजू के लिए.’’
रश्मि के आवाज लगाते ही 22-23 साल की एक सुंदर सी लड़की आ कर खड़ी हो गई. दोनों हाथ जोड़ कर उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘नमस्ते जीजाजी, कैसे हैं आप? मैं मिंटू, आप की साली?’’