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अंत में वही हुआ, जिस का डर था. अचानक दोपहर को सुरेंद्र के मोबाइल पर अहमदाबाद के एक पुलिस स्टेशन से फोन आया. फोन करने वाले इंसपेक्टर ने उसे धमकाते हुए कहा था कि उस का भाई यहां की एक लड़की को भगा ले गया है. उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है. वह सब कुछ सचसच बता दे, वरना मुसीबत में पड़ सकता है.

सुरेंद्र ने कहा था कि उस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले आज भी उसे नहीं पहचानते. वह उन से कभी मिला ही नहीं है. यह उस के छोटे भाई की ससुराल वालों की किसी रंजिश का मामला है, जिस में उस का भाई मोहरा बना है. अगर लड़की के मांबाप के फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की जाए तो सारी हकीकत पता चल जाएगी.

अब तक बात और भी बिगड़ चुकी थी. रिश्तेदारी दुश्मनी में बदलने लगी थी. सुरेंद्र के घर वालों पर चारों ओर से दबाव पड़ रहा था. अच्छा था कि सुकृति साथ थी, वरना पुलिस कब का उसे अंदर कर चुकी होती.

सुरेंद्र को अपने वकील से जो पता चला, वह हैरान करने वाला था. अहमदाबाद से जो फोन सुरेंद्र को किया गया था, वह किसी पुलिस थाने से नहीं था. क्योंकि अहमदाबाद के किसी भी थाने में किसी लड़की की भगाने की कोई रिपोर्ट अभी तक दर्ज नहीं थी. यह सुरेंद्र और उस के घर वालों को डरानेधमकाने के लिए किया गया था. जिस से वह सीधेसीधे सौदेबाजी के लिए मजबूर हो जाए.

नाटकीय ढंग से एक दिन अचानक मनु और मिंटू अहमदाबाद में रश्मि के सामने प्रकट हो गए. इस के बाद रश्मि के फोन लगातार सुरेंद्र के पास आने लगे. जल्दी आओ, वरना मामला पुलिस में गया तो फिर कुछ नहीं हो सकेगा. सुरेंद्र को वकीलों ने मना किया कि कानूनी तौर पर उस का जाना ठीक नहीं है. बात उस पर भी थोपी जा सकती है.

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