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अब  मुन्नालाल की परेशानी और बढ़ गई, क्योंकि वह जानता था कि बाबा पत्नी के लिए नहीं, सगुना के लिए नौकरी छोड़ कर आया था. जब उसे कोई राह नहीं सूझी तो उस ने ससुर को बुला कर सगुना के बारे में सब कुछ बता दिया.

डबली ने बेटी को खूब डांटा. इज्जत और दोनों बच्चों का हवाला दे कर समझाया भी लेकिन सगुना के मन को अब सिर्फ बाबा जानता था. इसीलिए जब उस ने बाबा को फोन कर के कहा कि वह इस माहौल में कतई नहीं रह सकती, किसी दिन आत्महत्या कर लेगी तो एक बार फिर बाबा सगुना को ले उड़ा.

रेखा को जब पता चला कि उस का पति 2 बच्चों की मां के इश्क में पड़ा है तो वह परेशान हो उठी. क्योंकि अब वह खुद भी बाबा के एक बेटे की मां बन चुकी थी. इस बार मुन्नालाल को लगा कि अब उस की गृहस्थी नहीं बच सकती तो उस ने थाने जा कर बाबा के खिलाफ पत्नी को भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

थानाप्रभारी ए.एम. काजी ने मुलायम सिंह को बुला कर बाबा और सगुना को ढूंढ़ कर लाने का दबाव बनाया. बाबा की इस हरकत से मुलायम सिंह ही नहीं, उस के बेटे सुभाष, धर्मेंद्र, प्रमोद और सर्वेश भी परेशान थे. पुलिस के दबाव में उन्होंने सगुना और बाबा को ढूंढ निकाला. सगुना को ला कर उन्होंने मुन्नालाल के हवाले कर दिया तो उन की जान छूटी.

सगुना घर तो आ गई थी, लेकिन क्या गारंटी थी कि वह ऐसा काम फिर नहीं करेगी. फिर ऐसा न हो, इस के लिए मुन्नालाल ने पंचायत बुलाई. सगुना और बाबा को भी पंचायत में बुलाया गया. गांव वालों ने फैसला किया कि अगर बाबा ने फिर इस तरह की कोई हरकत की तो उस के परिवार से गांव का कोई आदमी संबंध नहीं रखेगा. सगुना को भी गांव से निकाल दिया जाएगा.

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