शुभांगना ने भले ही घर वालों की मर्जी के खिलाफ जा कर दूसरी जाति के अपनी हैसियत से कम वाले राजकुमार से शादी कर ली थी, लेकिन पिता प्रेम सुराणा ने उस का साथ नहीं छोड़ा. वह उसे पहले की तरह ही लाड़प्यार करते रहे. शुभांगना पढ़ीलिखी थी, उसे पिता के व्यवसाय की भी अच्छी समझ थी. इसलिए राजकुमार से शादी के बाद उस ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाया.
पिता प्रेम सुराणा से जो भी हो सका, मदद की. धीरेधीरे उस ने एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस स्थापित कर लिए. वहीं, राजकुमार ने भी अन्य व्यवसाय कर लिए. दोनों ने मेहनत से पैसा कमाया. धीरेधीरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी होती चली गई. इस बीच राजकुमार और शुभांगना के 2 बच्चे हुए. पहली बेटी वृद्धि, उस के बाद बेटा मिहिर.
बढ़ता व्यवसाय
पैसा आया तो राजकुमार ने अपने छोटेमोटे धंधे छोड़ कर इंपोर्टएक्सपोर्ट का काम शुरू कर दिया. अब उस की गिनती बडे़ बिजनैसमैनों में होने लगी. प्रेम सुराणा ने शुभांगना को जयपुर के गोखले मार्ग की पौश कालोनी की सी स्कीम में एक बंगला गिफ्ट कर दिया. शुभांगना और राजकुमार बच्चों के साथ उसी बंगले में रहते थे. बाद में राजकुमार और शुभांगना ने अन्य व्यवसाय के साथ जैसलमेर में एक रिसौर्ट भी शुरू किया, लेकिन फिलहाल वह घाटे में चल रहा है.
शुभांगना और राजकुमार के जसोदा देवी कालेजेज एंड इंस्टीट्यूशंस के तहत जयपुर में 4 पौलिटैक्निक, एक बीएड, एक आईटीआई, बीबीए, बीसीए एवं पीसीडीसीए कालेज चल रहे हैं. इन के अलावा उन्होंने कई बेशकीमती फ्लैट और चलअचल संपत्तियां भी खरीदीं. राजकुमार और शुभांगना की गिनती जयपुर के धनीमानी लोगों में होने लगी थी.