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गायत्री ने उसी दिन फोन कर के अनिल को बहू की करतूतें बताते हुए तुरंत घर आने को कहा. अनिल छुट्टी ले कर अगले ही दिन घर आ गया. पत्नी की बेवफाई पर उस का खून खौल उठा था. उस ने पुष्पा की खूब पिटाई की, साथ ही उस ने यह भी कह दिया कि अब वह उसे दिल्ली ले जाएगा. उस ने पुष्पा से दिल्ली चलने की तैयारी करने के लिए कह दिया.

लेकिन पुष्पा ने दिल्ली जाने से साफ मना कर दिया. इस की शिकायत उस ने पत्नी के मायके वालों से की. उन्होंने भी पुष्पा को समझाया. अगले दिन सुबह अनिल जब घर से निकला तो उसे रामखिलौने दिख गया. गुस्से में अनिल उस के पास पहुंचा और बोला, ‘‘रामखिलौने तुम होश में आ जाओ, वरना इस का अंजाम बहुत बुरा होगा.’’

रामखिलौने ने कुछ नहीं कहा. वह वहां से चला गया.

अनिल केवल 2 दिनों की छुट्टी ले कर आया था. पत्नी ने जब उस के साथ जाने से मना कर दिया तो मन मसोस कर वह अकेला ही दिल्ली चला गया. दिल्ली जाने के बाद उस का मन अपने काम में नहीं लगा. उस का ध्यान पत्नी पर ही लगा रहता था. मन चिंता से भरा हुआ था. आखिर एक दिन वह नौकरी छोड़ कर गांव चला आया.  पुष्पा को जब पता चला कि उस का पति अब घर में ही रहेगा तो उस के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई.

अनिल घर तो आ गया, पर मन में शक बना रहा. उस ने पुष्पा पर नजर रखनी शुरू कर दी. साथ ही उस ने उस पर कई तरह की बंदिशें भी लगा दीं. इस से उन के दांपत्य रिश्ते में खटास पैदा हो गई. पति की मौजूदगी और बंदिशों की वजह से उस की अपने प्रेमी रामखिलौने से मुलाकात नहीं हो पा रही थी, इसलिए पति उसे दुश्मन लगने लगा. वह उस से छुटकारा पाने के उपाय खोजने लगी.

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