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युवा इंजीनियर अनुज शर्मा 11 दिसंबर, 2022 की शाम को जयपुर (नार्थ) में विद्याधर नगर के सेक्टर 2 स्थित लालपुरिया अपार्टमेंट के बाहर आया. इधरउधर नजर दौड़ाई. अपार्टमेंट की पार्किंग में गाड़ी पार्क कर उस की डिक्की खोली और उस में से मिट्टी सनी बाल्टी और एक बड़ा सूटकेस निकाला.

उन्हें ले कर वह अपार्टमेंट की लिफ्ट में घुस गया. सेकेंड फ्लोर पर पहुंच कर उस ने जेब से चाबी निकाली और फ्लैट में दाखिल हो गया. उस फ्लैट से कुछ समय बाद वह फिर नीचे आया और पड़ोस की बिल्डिंग के बाहर एक वृद्ध महिला से बोला, ‘‘आंटी, ताई आप के पास आई हैं क्या?’’

‘‘नहीं बेटा, नहीं तो. उन्हें तो मैं ने सुबह से ही नहीं देखा.’’ वृद्धा आश्चर्य से बोली.

‘‘सुबह से नहीं देखा? तो फिर कहां गई होंगी?’’ अनुज चिंता जताते हुए बोला.

‘‘तुम उन को फोन कर लो. कालोनी के अपने रिश्तेदारों से फोन कर पूछ लो.’’ वृद्धा बोली और अपने मकान की तरफ जाने लगी.

‘‘आंटी, फोन तो घर पर ही चार्जिंग में लगा है. वह दिन में 2-3 बजे मंदिर जाने को बोली थीं. मैं तो सुबह का निकला हूं अभी लौटा हूं..’’ अनुज बोला.

‘‘बेटा, एक बार मंदिर के पुजारी से पूछ लो.’’ वह वृद्धा जातेजाते बोल गई.

उस के कहे अनुसार अनुज भी पहले पास के मंदिर में जाने की सोच कर मंदिर की ओर बढ़ गया. रास्ते में जो कोई जानपहचान का मिला, उन से अपनी ताई के बारे में पूछ बैठता. उस की ताई सरोज शर्मा करीब 65 साल की थी. बीमार चल रही थीं. करीब डेढ़ साल पहले ही अपने घर अजमेर से आ कर देवर यानी अनुज के पिता बद्रीप्रसाद के यहां रहने लगी थीं. वह दिन में अकसर मंदिर चली जाती थीं, लेकिन घंटा 2 घंटा गुजार कर वापस लौट आती थीं.

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