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फेसबुक द्वारा मोनिका को हुआ प्यार

राधेश्याम वर्मा उत्तरपूर्वी दिल्ली के थाना गोकलपुरी क्षेत्र में स्थित भागीरथ विहार में अपनी पत्नी बीना देवी और बेटा रविरतन वर्मा के साथ रहते थे. 8-9 साल पहले उन का बड़ा बेटा एक एक्सीडेंट में खत्म हो गया था, एक बेटी थी मंजू लता जिस की शादी उन्होंने बागपत के विपिन कुमार से 4 साल पहले कर दी थी. इस वक्त वह गाजियाबाद के शालीमार गार्डन में रह रही थी.

राधेश्याम वर्मा फिल्मिस्तान (दिल्ली) के एक सरकारी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल से कुछ समय पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने बेटे रविरतन वर्मा को जौहरीपुर में गारमेंट और कास्मेटिक की दुकान खुलवा दी थी. रविरतन की 6 साल पहले जौहरीपुर की मोनिका वर्मा से शादी हुई थी. इस वक्त उस का एक बेटा था, जो 5 साल का हो गया था.

राधेश्याम की उम्र 72 साल हो गई थी, पत्नी बीना देवी भी 68वें साल में लग गई थीं. घर में राधेश्याम खाली बैठना पंसद नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने अपने घर के बाहर परचून की दुकान खोल ली थी, जिसे वह और उन की पत्नी बीना संभालती थीं.

राधेश्याम का मकान 100 गज में बना था. भूतल पर राधेश्याम रहते थे, प्रथम तल पर रवि अपनी पत्नी मोनिका और बेटे के साथ रहता था. इस संपन्न परिवार में किसी चीज की कमी नहीं थी, किंतु मोनिका को सब कुछ होते हुए भी एकाकीपन महसूस होता था. रवि सुबह दुकान पर चला जाता था, बेटा स्कूल.

सासससुर नीचे रहते थे. मोनिका को घर काटने को दौड़ता था. मोनिका ने समय व्यतीत करने के लिए मोबाइल को अपना साथी बना लिया. काम निपटा लेने के बाद वह मोबाइल ले कर पलंग पर लेट जाती थी और यूट्यूब या फेसबुक में खो जाती थी.

एक दिन मोनिका ने फेसबुक पर अपनी फोटो डाल कर दोस्ती की रिक्वेस्ट डाल दी, 2 दिन बाद ही उस के फोटो को पसंद कर के आशीष भार्गव नाम के युवक ने उस की दोस्ती की रिक्वेस्ट स्वीकार कर गार्जियस लिख कर भेजा तो मोनिका ने उसे ‘हाय’से प्रत्युत्तर दिया. यहीं से दोनों में दोस्ती हो गई. आशीष भार्गव ने उस से मोबाइल नंबर मांगा तो बिना झिझक मोनिका ने अपना मोबाइल नंबर आशीष को दे कर उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया.

पता चला कि आशीष भार्गव गाजियाबाद की शास्त्रीनगर कालोनी का रहने वाला है. अब दोनों मोबाइल फोन पर बातें कर अपने दिल की बातें शेयर करने लगे. मोबाइल पर बातें करने से मन कहां मानता है, माशूका का दीदार न हो, आशिक की आंखें जी भर कर जब तक देख न लें, तब तक दिल को कहां चैन मिलता है. एक दिन आशीष ने मोनिका से बात करते समय कह दिया, ‘‘मोनिका, मैं ने तुम्हें आज तक मोबाइल स्क्रीन पर ही देखा है, मेरा मन तुम्हें सामने बिठा कर जी भर कर देखने के लिए तरस रहा है.’’

“मैं भी तुम्हें देखना चाहती हूं आशीष.’’ मोनिका ने आह भर कर कहा, ‘‘तुम यहां दिल्ली आ जाओ, हम किसी होटल में मिल लेंगे.’’

“ठीक है मोनिका, मैं एकदो दिन में ही दिल्ली आने का प्रोग्राम बनाता हूं.’’ आशीष ने खुश हो कर कहा.

इंडिया गेट पर प्यार का इजहार

कहने के मुताबिक 2 दिन बाद ही आशीष दिल्ली आ गया. उस ने अपने आने की खबर फोन से मोनिका को दी तो वह घर में बहाना बना कर आशीष से मिलने के लिए इंडिया गेट पर पहुंच गई. आशीष ने किसी होटल में कमरा बुक नहीं करवाया था, उस ने मोनिका को इंडिया गेट पर बुला लिया था.

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दोनों इंडिया गेट पर आमनेसामने आए तो कुछ देर तक दोनों एकदूसरे को जी भर कर देखते रहे. फिर आशीष ने मोनिका का हाथ थाम कर एक पेड़ की तरफ कदम बढ़ा दिए. वह मोनिका को ले कर पेड़ के सहारे बैठ गया.

“मोनिका तुम मेरी उम्मीद से ज्यादा खूबसूरत हो. तुम्हें मैं ने अपने दिल में बसा लिया है, क्या तुम भी अपने दिल में मुझे जगह दोगी?’’

“मैं ने तो तुम्हें पहली बार की चैटिंग में ही अपने दिल में जगह दे चुकी हूं आशीष, लेकिन तुम्हें बताने से हिचक रही थी.’’

“ऐसा क्यों?’’ आशीष ने हैरानी से पूछा.

“मैं शादीशुदा और एक बच्चे की मां हूं आशीष.’’ मोनिका ने सांस भर कर कहा, ‘‘मेरी हकीकत जान कर तुम मुझ से प्यार का रिश्ता निभाओगे, पहले यह जान लेना चाहती थी.’’

आशीष कुछ क्षण खामोश रहा, फिर उस ने दोनों हाथों में मोनिका का चेहरा थाम कर उस के पतले होंठों पर अपने तपते हुए होंठ रख दिए. एक गहरा चुंबन लेने के बाद वह गंभीर स्वर में बोला, ‘‘तुम एक बच्चे की मां हो और किसी की पत्नी हो, मुझे इस से फर्क नहीं पड़ता. मैं ने तुम से दोस्ती की थी. अब तुम से सच्ची मोहब्बत करने लगा हूं और ताउम्र करता रहूंगा.’’

“ओह आशीष, तुम कितने अच्छे हो. आज से यह मोनिका तन से मन से तुम्हारी हो गई.’’ मोनिका ने भावुक स्वर में कहा और आशीष से लिपट गई. आशीष ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया.

थाना गोकलपुरी के एसएचओ प्रवीण कुमार को राधेश्याम और उन की पत्नी बीना देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई थी. दोनों की तेज धारदार हथियार से गरदन काटी गई थी. इसी से उन की जान गई थी. हत्यारों ने बेरहमी दिखाई थी. प्रवीण कुमार का विचार था कि इन दोनों कत्लों में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे होंगे. वे 2 लोग कौन थे, यही उन्हें मालूम करना था. उन्होंने राधेश्याम के बेटे रविरतन को थाने बुलवाया था.

मोनिका वर्मा ने बयां की हत्या की सच्चाई

रवि आ गया तो एसएचओ प्रवीण कुमार ने उसे अपने सामने बिठा कर बहुत गंभीर आवाज में कहा, ‘‘रवि, मुझे तुम्हारे मम्मीपापा के कत्ल हो जाने का गहरा दुख है, मैं दिल से चाहता हूं कि उन के कातिलों को पकड़ कर कानून के कटघरे में खड़ा करूं. क्या तुम भी ऐसा ही चाहोगे कि तुम्हारे मम्मीपापा के कातिलों को कानून कड़ी से कड़ी सजा दे?’’

“कौन बेटा नहीं चाहेगा सर. मैं अपने मम्मीपापा के कातिलों को फांसी के फंदे पर देखना चाहता हूं.’’ रवि दांत भींच कर बोला.

“तो तुम वह सब मुझे सचसच बताओगे, जो मैं तुम से पूछूंï?’’ एसएचओ ने रवि के चेहरे पर नजरें जमा दीं.

“मैं सचसच ही बताऊंगा सर.’’

“देखो, हमारा मानना है कि कातिलों ने घर में फ्रैंडली एंट्री ली है, क्योंकि पिछला दरवाजा अंदर से बंद रहता था और मेन गेट तुम ने खुद बंद किया था, ऐसा तुम ने कहा है.’’

“मैं ने खुद मेन गेट बंद किया था सर. गेट बंद कर के मैं रात को साढ़े 10 बजे तक उन के पास बैठा बातें करता रहा था, फिर ऊपर सोने चला गया था.’’

“तो फिर पिछला दरवाजा किस ने खोला, मैं यह जानना चाहता हूं?’’

“वह सर चोरों ने खोल लिया होगा.’’ रवि ने अपना शक जाहिर किया.

“नहीं खोल सकते थे चोर. दरवाजे की मोटी कुंडी न बाहर से खुल सकती थी न काटी जा सकती थी. वह अंदर से खोली गई है और यह काम तुम या तुम्हारी पत्नी मोनिका का हो सकता है.’’

“मैं कसम खा कर कहता हूं सर, मैं ने यह दरवाजे की कुंडी नहीं खोली.’’

“तो यह काम तुम्हरी पत्नी मोनिका ने किया होगा.’’ प्रवीण कुमार गंभीर स्वर में बोले.

“मैं इस विषय में नहीं जानता सर.’’

“एक बात बताओ रवि, तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का वैवाहिक जीवन कैसा चल रहा है? क्या तुम दोनों के बीच में सब कुछ ठीक है?’’

“ज… जी,’’ रवि थोड़ा झिझका फिर बोला, ‘‘मोनिका और मेरे बीच में सब ठीक नहीं है सर. मुझे लगता है मोनिका अब मुझे प्यार नहीं करती, वह मुझे पति का हक भी अदा नहीं करती है.’’

“इस का कारण?’’

“कोई है सर, जो हम पतिपत्नी के बीच में आ गया है. मैं ने मोनिका को किसी से रात को देरदेर तक बातें करते देखा है. मैं ने पूछा तो कहती थी वह अपनी सहेली से बातें करती है. मैं ने एक दिन उस का फोन चैक किया तो कोई आशीष नाम के युवक का फोटो और काल डिटेल्स मिली. मेरी मोनिका से खूब लड़ाई हुई. मैं ने स्मार्टफोन ले लिया और कीपैड वाला फोन मोनिका को दे दिया है. मोनिका इस बात पर मुझ से नाराज है.’’

“आशीष,’’ एसएचओ ने यह नाम दोहराया, फिर रवि के कंधे पर हाथ रख कर बोले, ‘‘रवि, मुझे मोनिका को पूछताछ के लिए यहां बुलाना पड़ेगा. तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?’’

“मुझे कोई ऐतराज नहीं है सर, आप अच्छी तरह से जांच करिए. मुझे मम्मीपापा के कातिल को फांसी के फंदे पर देखना है.’’

एसएचओ ने एसआई सीताराम के साथ एक महिला कांस्टेबल को भागीरथी विहार से मोनिका को लाने के लिए भेज दिया.

                                                                                                                                          क्रमशः

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