तनु चौधरी के पति अनिल चौधरी की पीतल के सामान बनाने की अपनी फैक्ट्री थी. करोड़ों रुपए का एक्सपोर्ट का बिजनैस था. पति उसे दिलोजान से चाहता था. इस के बावजूद 2 बेटियों की मां तनु चौधरी को बेटे की चाहत थी. अपनी इसी इच्छा को पूरी करने के लिए वह एक तांत्रिक के चक्कर में फंस गई. तांत्रिक से उसे बेटा तो नहीं मिला, लेकिन वह पहुंच गई जेल.

''गुरुजी, मेरी अब कोरकोर दुखती है. अनिल मुझे रोजाना ही पीटता है. मैं अब उस की पिटाई बरदाश्त नहीं कर सकती. तुम्हें जल्द ही कुछ न कुछ उपाय करना पड़ेगा, वरना मैं सुसाइड कर लूंगी.’’ तनु चौधरी 

ने तांत्रिक कन्हैया की बांहों में सिर रख कर कहा, ''तुम्हें मालूम है, अब उस ने मेरे कहीं भी आनेजाने पर प्रतिबंध लगा रखा है. मैं तो यही कहती हूं कि उसे रास्ते से हटा ही दो.’’

''ठीक है, तुम परेशान मत होओ, मैं उस का ऐसा इंतजाम कर दूंगा कि किसी को हम पर शक भी नहीं होगा. तुम्हें क्या करना है, यह मैं तुम्हें बाद में बता दूंगा. और हां, यह सुसाइड करने वाली बात फिर कभी जुबान पर भी मत लाना. तुम आत्महत्या कर लोगी तो बेटा कहां से पैदा होगा? तुम पति से खुश रहने वाला व्यवहार करो.’’ तांत्रिक कन्हैया ने तनु चौधरी को समझाते हुए कहा.

तांत्रिक कन्हैया मुरादाबाद शहर के कटघर मेहबुल्लागंज मोहल्ले में तनु चौधरी के घर से कुछ दूर ही हर शनिवार बालाजी का दरबार लगाता था, जिस में लगभग 40-50 औरतें जुटती थीं. आमोद और मोहित नाम के 2 युवक उस के ऐसे चेले थे, जो तांत्रिक के कहने पर कुछ भी करने को तैयार रहते थे. इस के बाद कन्हैया ने अपने चेलों मोहित और आमोद के साथ गुफ्तगू कर तनु चौधरी के पति अनिल चौधरी को ठिकाने लगाने की बात कही तो वे दोनों तांत्रिक कन्हैया का साथ देने को राजी हो गए.

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